Dhumavati Jayanti 2024 why married women do not worship of maa dhumavati know the reason

Dhumavati Jayanti 2024: हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती की जयंती के रूप में मनाया जाता है. मां धूमावती आदिशक्ति की स्वरूप और 10 महाविद्याओं (10 Mahavidya) में सातवीं महाविद्या हैं.
कब है धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti 2024 Date)
इस वर्ष धूमावती जयंती शुक्रवार 14 जून 2024 को है. शत्रुओं पर विजय प्राप्ति, दरिद्रता से मुक्ति और रोग-दोष से मुक्ति के लिए मां धूमावती की पूजा करना फलदायी होता है. लेकिन सुहागिन महिलाएं इनकी पूजा करने से डरती हैं.
सुहागिन स्त्रियां क्यों नहीं करती मां धूमावती की पूजा
मां धूमावती देवी पार्वती (Goddess Parvati) की ही स्वरूप है. सुखी वैवाहिक जीवन (Happy Married Life) और पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं मां पार्वती की पूजा करती हैं. लेकिन मां धूमावती देवी पार्वती का ऐसा रूप है, जिसकी पूजा सुहागिन स्त्रियों को नहीं करनी चाहिए. हालांकि आप दूर से ही मां के दर्शन कर सकती हैं. इसमें कोई दोष नहीं है.
दरअसल मां धूमावती का रूप विधवा स्त्री की तरह है और ये वैधव्य का प्रतीक मानी जाती है. सुहाग पर वैधव्य का प्रभाव न पड़े, इसलिए सुहागिन स्त्रियां मां धूमावती की पूजा नहीं करतीं. मां धूमावती का स्वरूप भी बहुत उग्र, भयंकर और मलिन है. पौराणिक कथा के अनुसार, मां ने ऐसा रूप शत्रुओं पर संहार करने के लिए लिया था. इनके बिखरे और खुले हुए केश हैं, ये श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इनके रथ ध्वज पर कौए का चिह्न है और इन्होंने अपने हाथ में सूप धारण किया है.
मां पार्वती ने क्यों धारण किया वैधव्य रूप
मां पार्वती के विधवा रूप धारण करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती को बहुत तेज भूख लगी और उनकी भूख धीरे-धीरे और बढ़ने लगी. आखिरकार जब उन्हें भूख सहन न हुआ तो उन्होंने अपने पति यानी शिवजी (Shiv Ji) को ही खा लिया.
शिवजी को निगलते ही देवी पार्वती का रूप विधवा हो गया. शिव की काया बिन वह विधवा रूप में नजर आने लगी. देवी पार्वती का यही रूप मां धूमावती कहलाया. शिवजी ने अपनी माया से कहा कि, तुमने मुझे निगल लिया और अब तुम विधवा हो गई और तुम्हारे इस रूप का नाम धूमावती होगा. यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं देवी पार्वती के इस रूप की पूजा नहीं करती.
हालांकि अन्य कथा के अनुसार, देवी पार्वती का धूमावती बनना भी शिव की लीला ही थी. इससे जुड़ी कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती के मन में वैधव्स को महसूस करने की इच्छा जागी और वह शिवजी से कहने लगी कि वह विधवा रूप को महसूस करना चाहती हैं. देवी की इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए शिवजी ने यह लीला रची, जिसके कारण देवी पार्वती को अत्यंत भूख लगने लगी और भूख से व्याकुल होकर उसने महादेव (Mahadev) को ही निगल लिया.
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