Yogi से लेकर Himanta Biswa तक कर रहे PoK लेने की बात, लेकिन पहले जान लीजिए इसके लिए भारत के पास क्या क्या हैं विकल्प
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Yogi Adityanath Himanta Biswa Sarma: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024 Jammu-Kashmir) को लेकर हो रही वोटिंग के बीच देश में बीते कई दिनों से पाकिस्तानी कब्जे वाला कश्मीर (PoK) और वहां की खबरें सुर्खियों में हैं. BJP के तमाम दिग्गज और फायरब्रांड नेता जैसे गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हिमंता बिस्वा जैसे सूरमा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के जल्द आजाद होने और उसके भारत (Bharat) में विलय को लेकर बयान दे रहे हैं.
इस बीच महाराष्ट्र के पालघर की चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ ने डंके की चोट पर POK वापस लाने की तारीख बता दी. वहीं गृह मंत्री शाह ने भी लगातार वादा कर रहे हैं कि हम POK लेकर रहेंगे. इन बयानों के बाद सवाल उठ रहा है कि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने धोखे से हमारे कश्मीर पर कब्जा किया था. लेकिन 7 दशक बाद क्या वाकई ये संभव है और अगर हां तो कैसे? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
महाराष्ट्र में योगी का ‘डंका’, 6 महीने में PoK पर तिरंगा!
महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘आप देखना चुनाव के बाद मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने दीजिए अगले 6 महीने के अंदर आप देखेंगे की पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का हिस्सा है.’ जिस वक्त योगी पाकिस्तान को ललकार रहे थे, उससे थोड़ा पहले गृह मंत्री अमित शाह यूपी के बांदा में कांग्रेस को आड़े हाथ ले रहे थे. शाह ने यूपी में वादा किया कि मोदी सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर रहेगी.
पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) वापस लेने के क्या हैं विकल्प?
इसे संयोग नहीं कह सकते कि बीजेपी के 2 बड़े नेता एक ही मुद्दे पर लगभग एक ही वक्त में अलर्ट मोड में हैं. PoK भारत की एकता और अखंडता से जुड़ा मुद्दा है. संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) हो या G-7, G-20 और BRICS या फिर यूरोपियन यूनियन (EU) से लेकर पेट्रोल उत्पादक देशों का संगठन और QUAD, हर मंच पर भारत, का एक ही स्टैंड रहा है कि पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इस पर वो किसी की भी नहीं सुनेगा. यही वजह है कि पाकिस्तान, भारत के इस बयान को लेकर दुनिया के हर कोने में रोया लेकिन नए भारत की ताकत के आगे उसे कहीं भी भाव नहीं मिला.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर भारतीय संसद में प्रस्ताव रखा जा चुका है. 2014 के पहले की कांग्रेस सरकारों ने भले ही इस पर चुप्पी साध रखी हो लेकिन आज की मोदी सरकार इसे लेकर आल टाइम मुखर हो चुकी है. बीजेपी अपनी मंशा साफ कर चुकी है. यही वजह है कि पीएम मोदी के साथ उनके सारे नेता एक सुर में ‘अबकी बार 400 पार का नारा… POK हमारा’ का नारा लगाकर अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं.
मौसम के पूर्वानुमान में शामिल पीओके
बीते कुछ सालों से भारत का मौसम विभाग (IMD) तक पाकिस्तान को ये बता रहा है कि पूरा कश्मीर भारत का अंग है. 2020 में भारत ने घोषणा की थी कि भारत के प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भी अब अपने मौसम के पूर्वानुमान में शामिल कर दिया है. मई 2020 से भारतीय मौसम विभाग के बुलेटिन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ-साथ गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के मौसम का हाल भी बताया जा रहा है.
पाकिस्तान की बात करें को उत्तरी क्षेत्र है गिलगित-बाल्टिस्तान और दक्षिणी क्षेत्र है पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर जो भारत का हिस्सा है, जिसके भारत में विलय का दावा किया जा रहा है.
पीओके को वापस लेने के लिए भारत कैसे आगे बढ़ा?
पीओके के भारत में विलय की संभावनाओं को समझने के लिए हम समय के चक्र पर कुछ और साल पीछे जाना होगा. 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नमेंट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान ऑर्डर में संशोधन की इजाजत का आदेश जारी करते हुए वहां आम चुनाव कराने का हुक्म दिया. सीमा पार सर्कुलर छपते ही तत्काल भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई और पाकिस्तान को दो टूक चेतावनी देते हुए आड़े हाथ लिया. भारत ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, ‘गिलगित- बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इन क्षेत्रों को पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से तुरंत स्वतंत्र करना चाहिए.’
PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बता कर चेतावनी देना पाकिस्तान को भारत की अखंड भारत के लक्ष्य की दिशा में प्रथम कदम थी. आगे 2020 में भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान में गिलगित-बाल्टिस्तान का शामिल किया जाना केंद्र की मोदी सरकार के उस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अगला कदम माना गया.
पीओके की जनता मांग रही आजादी
बलूचिस्तान के अलावा यूं तो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की जनता दशकों से खुद की आजादी की मांग कर रही है. बीते 10 सालों में वहां के लोग पाकिस्तानी फौज और पुलिस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. बीते कुछ दिनों में पीओके में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश और गुस्सा चरम पर है. वहां पुलिस फेल हो गई तो पाकिस्तानी फौज के रेंजर्स हालात संभालने उतरे, लेकिन लोगों ने सेना के जवानों को भी मार-मार कर बैकफुट पर कर रखा था. वहां की जनता खुद संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका, यूरोप और तमाम दुनिया से खुद को आजादी दिलाने की अपील कर रही है.
‘PoK पर जब चीन ने था चौंकाया’
दुनिया जानती है कि चीन में अभिव्यक्ति की आजादी सिर्फ कागजों में है. वहां मीडिया पर भी शी जिनपिंग की सरकार का नियंत्रण है. ऐसे में PoK को लेकर करीब 6 साल पहले चीन ने दुनिया को चौंका दिया था. दरअसल चीन का न्यूज चैनल सीजीटीएन जब 23 नवंबर 2018 को कराची में चीनी दूतावास पर हुए हमले की खबर दिखा रहा था. उसी दौरान उस चैनल पर पाकिस्तान का नक्शा दिखाते हुए चैनल ने पीओके को भारत का हिस्सा दिखा दिया था. चूंकि भारत दशकों से पीओके को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाने पर आपत्ति जताता रहा है. ऐसे में जब चीनी चैनल ने PoK को भारत का हिस्सा दिखाया तब हर कोई हैरान रह गया. हालांकि इसके बाद चीन की सरकार ने इस बारे में कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया था.