West Bengal: भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है.. कलकत्ता HC के फैसले पर ममता ने चल दिया सियासी दांव
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West Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 के बाद जारी हुए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द करने का फैसला सुनाया है. कोर्ट के इस फैसले का पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने विरोध शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट का यह फैसला स्वीकार नहीं है. इतना ही नहीं कोर्ट के फैसलो को लेकर ममता ने भाजपा पर भी निशाना साधा. उन्होंने सवाल किया कि भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?
कोर्ट के फैसले पर ममता बिफरीं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि वह राज्य में कई वर्गों के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द करने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को ‘स्वीकार नहीं करेंगी.’ दमदम लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया.
भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लाया गया ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा. हमने घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद विधेयक बनाया था और मंत्रिमंडल तथा विधानसभा ने इसे पारित कर दिया था.’ तृणमूल प्रमुख ने कहा, ‘भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों का प्रयोग कर इसे रोकने की साजिश रची है. भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?’
कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों को दिया ओबीसी का दर्जा रद्द करते हुए कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों में 2012 के एक अधिनियम के तहत ऐसा आरक्षण गैरकानूनी है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) दर्जा रद्द कर दिया और राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया.
फैसले से नहीं प्रभावित होगी नौकरी
अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी. मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि इस फैसले से राज्य में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे.
क्या कहा कोर्ट ने…
अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया. न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी.
अब आगे क्या..
पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया. पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की राय और सलाह आमतौर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राज्य विधानमंडल के लिए बाध्यकारी है. पीठ ने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को आयोग के परामर्श से ओबीसी की राज्य सूची में नए वर्गों को शामिल करने या शेष वर्गों को बाहर करने की सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश दिया.
(एजेंसी इनपुट के साथ)