US: अबॉर्शन को लेकर अमेरिका के इस राज्‍य ने बदली नीति, 154 साल पुराना कानून किया चेंज

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US: यूएस स्टेट एरिजोना की सीनेट ने गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले 1864 के कानून को निरस्त करने के लिए मतदान किया है. विधेयक का समर्थन करने के लिए दो रिपब्लिकन सीनेट डेमोक्रेट में शामिल हो गए.  बीबीसी के मुताबिक राज्य-पूर्व कानून गर्भधारण के क्षण से ही गर्भपात पर रोक लगाता है, बलात्कार या अनाचार के लिए कोई अपवाद नहीं है. एरिजोना की शीर्ष अदालत ने इसे हाल ही में प्रभावी करने का आदेश दिया था.

राज्य अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस जो किए एक डेमोक्रेट, ने कहा, ‘1864 के कानून को 9 अप्रैल को राज्य सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले द्वारा पुनर्जीवित किया गया था, और जब तक विधायिका हस्तक्षेप नहीं करती, यह उस फैसले के 60 दिनों के भीतर प्रभावी हो सकता था.’

गर्वनर के हस्ताक्षर करने की उम्मीद
यह बिल अब डेमोक्रेटिक गवर्नर केटी हॉब्स के पास जाएगा जिनके इस पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है. उन्होंने एक बयान में कहा कि वह गुरुवार को होने वाले समारोह के साथ, बिल पर शीघ्र हस्ताक्षर करने के लिए उत्सुक हैं.

हॉब्स कहा, ‘एरिज़ोना की महिलाओं को ऐसे राज्य में नहीं रहना चाहिए जहां नेता ये फैसला लें कि एक महिला और उसके डॉक्टर के बीच क्या होना चाहिए. हालांकि यह बिल महिलाओं के जीवन की रक्षा के लिए जरूर है, यह प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल की रक्षा के लिए हमारी लड़ाई की शुरुआत है.’

गर्वनर के हस्ताक्षर करने के बाद क्या होगा?
गवर्नर हॉब्स यदि बिल पर साइन कर देती हैं तो एरिजोना में गर्भपात 2022 कानून द्वारा शासित होगा, जो केवल चिकित्सा आपातकाल जैसे अपवादों के साथ गर्भावस्था के 15 सप्ताह के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है. बलात्कार या अनाचार के लिए भी इसमें कोई अपवाद नहीं है.

हालांकि, यह नवंबर में बदल सकता है जब एरिज़ोनावासियों से एक मतपत्र प्रश्न पर मतदान करने की उम्मीद है जो गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक गर्भपात की पहुंच की रक्षा करेगा.

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
बता दें 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया, और इस मुद्दे पर फैसला लेने का अधिकार राज्यों पर छोड़ दिया.. रूढ़िवादी नेतृत्व वाले राज्यों ने तुरंत अपनी सीमाओं के भीतर गर्भपात पर सख्त प्रतिबंध लागू कर दिया.

डेमोक्रेट्स को यकीन है कि गर्भपात अधिकारों के समर्थन में जनता की राय उनके पक्ष में है, उन्होंने नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस मुद्दे को उठाने की कोशिश है.

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