UN: संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की एंट्री को भारत ने किया आसान, इजरायल को लगा बड़ा झटका
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India Supports Palestine: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता का रास्ता आसान कर दिया है. भारत ने फलस्ती को समर्थन देते हुए कहा कि सिर्फ द्विराष्ट्र समाधान से टिकाऊ शांति स्थापित की जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि सीधी एवं सार्थक बातचीत के जरिये हासिल ‘द्विराष्ट्र समाधान’ ही अशांत क्षेत्र में टिकाऊ शांति लाएगा. भारत के फलस्तीन को समर्थन से इजरायल जरूर नाखुश होगा. क्योंकि इजरायल नहीं चाहता है कि फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिले
भारत ने फलस्तीन के लिए किया वोट
भारत ने पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक मसौदा प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया था. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि फलस्तीन (पूर्ण सदस्यता पाने की) योग्यता रखता है और इसे संयुक्त राष्ट्र के पूर्ण सदस्य का दर्जा मिलना चाहिए तथा इस विषय पर सुरक्षा परिषद अनुकूल तरीके से पुनर्विचार करे. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रूचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को कहा, ‘अपने पुराने रुख को बरकरार रखते हुए, हम संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता का समर्थन करते हैं और इसलिए हमने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया है.’
यूएई ने प्रस्ताव पेश किया
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि फलस्तीन की अर्जी पर सुरक्षा परिषद आने वाले समय में पुनर्विचार करेगी और फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना लिया जाएगा.’ शुक्रवार को एक आपात विशेष सत्र के लिए 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक हुई, जहां संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की पूर्ण सदस्यता के समर्थन में अरब समूह के प्रस्ताव ‘संयुक्त राष्ट्र में नये सदस्य को शामिल करने’ को पिछले साल मई में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पेश किया था. यूएई ने अरब समूह के अध्यक्ष के तौर पर यह प्रस्ताव पेश किया था.
प्रस्ताव के पक्ष में भारत सहित 143 सदस्य देशों ने किया वोट
प्रस्ताव के पक्ष में भारत सहित 143 सदस्य देशों ने वोट दिए, नौ ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 25 सदस्य देश अनुपस्थित थे. मतदान के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा कक्ष तालियों से गूंज उठा. प्रस्ताव में कहा गया है कि फलस्तीन, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार वैश्विक संस्था की सदस्यता पाने के योग्य है तथा इसलिए इसे इसके सदस्य के रूप में स्वीकार करना चाहिए. वर्तमान में फलस्तीन, संयुक्त राष्ट्र में गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश है, उसे यह दर्जा 2012 में महासभा ने प्रदान किया था. यह दर्जा फलस्तीन को वैश्विक संस्था की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देता है लेकिन वह प्रस्तावों पर मतदान नहीं कर सकता.
इजरायल के लिए कही ये बात
कंबोज ने कहा कि भारत के नेतृत्व ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि पूर्ण सदस्य के दर्जा पर सीधी और सार्थक बातचीत के जरिये हासिल केवल द्विराष्ट्र समाधान ही टिकाऊ शांति लाएगा. उन्होंने कहा, ‘भारत द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन करने के प्रति प्रतिबद्ध है जहां फलस्तीन के लोग इजराइल की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अपनी सुरक्षित सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र देश में मुक्त रूप से रह सकें. एक टिकाऊ समाधान पर पहुंचने के लिए, हम सभी पक्षों से शीघ्र सीधी शांति वार्ता बहाल करने के लिए सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाने का अनुरोध करते हैं.’
गाजा में संघर्ष का भी जिक्र
कंबोज ने कहा कि गाजा में संघर्ष सात महीनों से जारी है और इसके चलते पैदा हुआ मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र में और इससे बाहर अस्थिरता बढ़ने की भी संभावना है.’ उन्होंने कहा कि इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष में काफी संख्या में नागरिकों की, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)