S Jaishankar: सिर्फ आरोप लगाता है, सबूत नहीं देता, कनाडा में 3 भारतीयों की गिरफ्तारी पर भारत का करारा जवाब
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Canada arrests Indians in Hardeep Singh Nijjar murder: कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. कनाडा प्रशासन का कहना है कि गिरफ्तार किए गए लोग भारतीय मूल के हैं. इसके बाद एक बार फिर भारत-कनाडा के बीच वाकयुद्ध (India Canada Row) शुरू हो गया है. इस मामले को लेकर कनाडा की तमाम उकसावे वाली कार्यवाई के बावजूद भारत ने डिप्लोमेटिक चैनल से कनाडा को माकूल और करारा जवाब दिया है.
आरोप लगाया और भाग गए….
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐसे आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कनाडा कभी भी कोई सबूत नहीं देता है बल्कि वो अपने देश में होने वाले अपराधों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराता है. उन्होंने ये भी कहा, ‘मैंने देखा कि तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वो स्पष्ट रूप से किसी प्रकार की गिरोह पृष्ठभूमि वाले भारतीय हैं. हम कनाडा पुलिस द्वारा हमें उनके बारे में और अधिक जानकारी देने का इंतजार करेंगे. आम तौर पर अगर आपके पास कोई पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है तो आप सबूत पेश करते हैं. हवा में बयानबाजी नहीं करते.’
हमें सबूत चाहिए, महज बयानबाजी कर रहा कनाडा: जयशंकर
जयशंकर ने ये भी रहा, ‘कनाडा ने हमें कभी भी कुछ भी नहीं दिया है जिससे इस मामले में भारत सरकार के शामिल होने की बात साबित होती है. हमने कनाडाई सरकार बार-बार कहा है, यदि आपके पास कुछ है तो कृपया हमें दें. जबकि वो बयानबाजी से आगे नहीं बढ़ रहे.’
गौरतलब है हरदीप सिंह निज्जर को 2020 में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी घोषित किया था. निज्जर पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित एक गुरुद्वारे के बाहर मारा गया था.
भारतीय दूतावास का बयान
अपने एक बयान में, कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त, संजय कुमार वर्मा ने कहा कि भारत को मामले में गिरफ्तार भारतीय नागरिकों के संबंध में संबंधित कनाडाई अधिकारियों से नियमित अपडेट मिलने की उम्मीद है.
ये बात कनाडा को कब समझ आएगी?
कनाडा में बसने की चाहत में वहां गए खालिस्तानी और कट्टरपंथी कब इतने मजबूत हो गए कि वहां के सियासतदानों को पता तक नहीं चला. अब वो वहां कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी कर रहे हैं. कनाडा किसी को भी अपनी नागरिकता दे ये उसका निजी मामला है. लेकिन वही लोग जब खुले आम मानवता के दुश्मन बन जाएं और दूसरे देशों के मामलों में दखल देते हुए आराजकता फैलाने की कोशिश करें तो ये बात किसी भी लोकतांत्रिक देश में बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.