Poonch Terror Attack: एम4 रायफल, स्टील से बनीं गोलियां, पुंछ आतंकी हमले का क्या है चीन-अमेरिका से कनेक्शन?
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Poonch News: पुंछ में भारतीय वायुसेना के काफिले पर आतंकी हमले के बाद से सेना और सुरक्षाबल आतंकियों को चप्पे चप्पे में तलाश रहे हैं. आसमान से हो या फिर जमीन पर आतंकियों को खोजा जा रहा है ताकि दुश्मन को सीधा संदेश पहुंचाया जा सके कि पीठ में मारा है, अब सीने पर खाओगे. छेड़ा है तो छोड़ेंगे नहीं.
चप्पे-चप्पे पर निगरानी. हर एक आहट पर नजर. लगातार सर्च ऑपरेशन.हेलिकॉप्टर से लेकर जमीन के जर्रे जर्रे पर दहशतगर्दों की तलाश जारी है. घने जंगलों को खंगाला जा रहा है ताकि हिंदुस्तान के जांबाजों पर घात लगाकर कायरों की तरह हमला करने वालों को उनके घातक अंजाम तक पहुंचाया जा सके. पिछले दो सप्ताह में राजौरी और पुंछ में फैले पीर पंजाल क्षेत्र में ये तीसरा आतंकी हमला है.
चीन में बनी स्टील की गोलियां मिलीं
इस बीच हमले वाली जगह से आतंक का चीन कनेक्शन भी सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक हमले वाली जगह से चीन में बनी स्टील की गोलियां बरामद हुई हैं. इसके अलावा अमेरिका में बनी m4 रायफल और AK-47 रायफल को भी हमले का जरिया बनाया गया, जिसमें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले विक्की शहीद हो गए. आतंकी हमले में विक्की और उनके चार साथी बुरी तरह घायल हो गए थे.उनके चार साथियों की हालत अभी भी गंभीर है.
दहशतगर्दों ने किस तरह से हमला किया, इसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं. गोलियां साइड वाले शीशे को आर पार कर गईं. काफी देर तक अंधाधुंध फायरिंग के बाद हमलावर आतंकी पास के घुप्प घने जंगलों में भाग गए.
दरअसल यहां घना जंगल होने की वजह से सुरक्षबलों के सामने चुनौती है क्योंकि आतंकी लगातार अपनी जगह बदलते रहते हैं. इसके साथ-साथ यहां कई ऐसी प्राकृतिक गुफाएं हैं, जिनका इस्तेमाल कर आतंकी छिपते रहते हैं.
आतंकी लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं. कुल 2 से 3 आतंकियों के होने की खबर है, जिन्हें ढूंढने के लिए लगातार हेलिकॉप्टर और ड्रोन कैमरों का सहारा लिया जा रहा है. सड़क मार्ग की भी पूरी तरह से जांच हो रही है. आसपास के सभी इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ताकि देश के दुश्मन बचकर जाने न पाएं.
पुंछ राजौरी में आतंकी हमले क्यों?
सीमा से सटा यह इलाका बेहद दुर्गम है. यहां घने जंगल हैं, जिस वजह से सुरक्षाबलों के सामने ज्यादा बड़ी चुनौतियां हैं. कुछ स्थानीय लोग भी आतंकियों को पनाह देते हैं. निचले इलाकों में लड़ना बेहद मुश्किल है. आतंकियों के पास अत्याधुनिक तकनीक है तो वहीं अचूक सुरक्षा नेटवर्क की कमी है. खुफिया तंत्र में सुधार की भी जरूरत है.