Odisha Assembly Election: दो सीटों से चुनाव क्यों लड़ रहे नवीन पटनायक? कोई खास रणनीति या हार का डर

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Naveen Patnaik Strategy: पूरे देश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की धूम है. तमाम सियासी पार्टियां अपने प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं. वहीं, ओडिशा में रोमांच डबल है क्योंकि यहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं. सत्तारूढ़ बीजेडी के सामने यहां वापस सरकार में आने की चुनौती है. इस बीच, ये बात भी बहुत चर्चा का विषय बनी हुई है कि ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. अब सियासी गलियारों में सवाल घूम रहा है कि क्या नवीन पटनायक को हार का डर सता रहा है. अगर नहीं तो क्या नवीन पटनायक के इस दांव के पीछे कोई खास रणनीति है.

दो सीटों से चुनाव लड़ने की रणनीति

गौरतलब है कि नवीन पटनायक इस बार हिंजिली के अलावा इस बार कंटाबंजी विधानसभा से भी चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, इसे डर इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि कंटाबंजी कोई सेफ सीट नहीं है. कंटाबंजी पर अभी कांग्रेस विधायक है और पहले यहां बीजेपी जीती थी. ऐसा में नवीन पटनायक ने खुद फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने की ठानी है.

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वेस्ट में नवीन पटनायक का खास मूव

माना जा रहा है कि नवीन पटनायक ने ये खास मूव वेस्टर्न ओडिशा में बीजेपी को काउंटर करने के लिए किया है. दरअसल, बीजेपी ने पिछले चुनाव में यहां की 8 विधानसभा सीटें और पांचों लोकसभा सीटें जीत ली थीं. बताया जा रहा है कि पश्चिमी ओडिशा की कंटाबंजी सीट और उसके आसपास की सीटों पर प्रभाव डालने के लिए नवीन पटनायक ने दो सीटों से लड़ने का फैसला किया है.

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2019 में काम किया था दो सीटों वाला फॉर्मूला

जान लें कि 2019 में भी नवीन पटनायक ने ऐसा किया था. नवीन पटनायक ने 2019 में हिंजिली के अलावा बीजापुर (Bijepur) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसका प्रभाव ये देखने को मिला था कि पश्चिमी ओडिशा में बीजेपी भले ही पांचों लोकसभा सीटें जीत गई थी लेकिन विधानसभा की 35 में से 22 सीटें बीजेडी ने ही जीती थीं. इसमें 8 विधानसभा सीटें बीजेपी और 5 अन्य को मिली थीं. पिछली बार नवीन पटनायक कां दांव ठीक बैठा तो माना जा रहा है कि नवीन पटनायक इस बार भी वही रणनीति अपना रहे हैं.

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