OBC सर्टिफिकेट पर क्यों चला हाईकोर्ट का हथौड़ा… ममता सरकार की गलती लाखों लोगों के लिए कैसे बनी मुसीबत?

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OBC Certificate: लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में खलबली मचा दी है. कोर्ट ने 2010 के बाद बने सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. इस फैसले से लगभग 5 लाख लोगों के प्रभावित होने की उम्मीद है. ममता सरकार पर भी इस फैसले का प्रभाव दिख रहा है. क्योंकि कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार ने सही और स्थापित कानूनों का पालन नहीं किया है. अब ममता बनर्जी कह रही हैं कि वे इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी. भाजपा कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है और ममता सरकार पर हमलावर है.
ओबीसी सर्टिफिकेट पर कोर्ट का फैसला
पहले आपको कोर्ट के फैसले के बारे में बताते हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत ओबीसी आरक्षण को अवैध पाया. अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी.
बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे
मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि इस फैसले से राज्य में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे. अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा)
(सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया. न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी.
कोर्ट ने जारी किया निर्देश
पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया. पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की राय और सलाह आमतौर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राज्य विधानमंडल के लिए बाध्यकारी है. पीठ ने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को आयोग के परामर्श से ओबीसी की राज्य सूची में नए वर्गों को शामिल करने या शेष वर्गों को बाहर करने की सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश दिया.
फैसले पर भाजपा बनाम टीएमसी
लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले ने सियासी दिग्गजों को चुनावी मुद्दा दे दिया है. ममता सरकार जहां फैसले को नहीं मानने की बात कह रही है वहीं भाजपा कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है. पहले आपको पीएम मोदी के बयान के बारे में बताते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि कोलकाता हाईकोर्ट ने इंडी गठबंधन को तमाचा मारा है. 2010 के बाद जारी सारे ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने मुसलमानों को वोट बैंक के लिए अनाप-सनाप रिजर्वेशन दे दिया.
पीएम मोदी ने ममता सरकार पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने केवल मुस्लिम वोट बैंक के लिए बेवजह मुसलमानों को ओबीसी प्रमाणपत्र दिए थे. ये वोट बैंक की राजनीति, ये तुष्टिकरण की राजनीति, हर हद पार कर रही है. आज कोर्ट ने तमाचा मारा है, ये खान मार्केट गैंग पाप की ज़िम्मेदार है’… कहते हैं देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है.. वक्फ बोर्ड को लगातार सरकारी जमीन दे रहे हैं और बदले में वोट मांग रहे हैं. ये लोग देश के बजट का 15% अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित करना चाहते हैं अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए…
भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?
कोर्ट के फैसले को अस्वीकार करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मैं यह फैसला नहीं मानूंगी. आज मैंने एक न्यायाधीश को एक आदेश पारित करते हुए सुना, जो काफी मशहूर रहे हैं. जिन्होंने आदेश दिया है.. वह इसे अपने पास रखें, भाजपा की राय हम नहीं मानेंगे. OBC आरक्षण जारी है और हमेशा जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लाया गया ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा. हमने घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद विधेयक बनाया था और मंत्रिमंडल तथा विधानसभा ने इसे पारित कर दिया था.’ तृणमूल प्रमुख ने कहा, ‘भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों का प्रयोग कर इसे रोकने की साजिश रची है. भाजपा इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?’
अमित शाह ने भी ममता सरकार को घेरा
ममता सरकार पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह मामला मूलतः वहां से है जब ममता बनर्जी ने 118 मुसलमान जातियों को बिना किसी पिछड़ेपन के सर्वे प्रक्रिया के OBC का आरक्षण दे दिया. कोई कोर्ट में गया और कोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर 2010 से 2024 तक के जारी प्रमाणपत्रों का स्थगन आदेश दे दिया. ममता बनर्जी पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर डाका डालकर मुसलमानों को देना चाहती हैं. मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. मैं बंगाल की जनता से पूछना चाहता हूं कि कोई मुख्यमंत्री, संवैधानिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति ऐसा हो सकता है कि हाईकोर्ट के आदेश को न मानें. किस प्रकार की मानसिकता से बंगाल का लोकतंत्र गुजर रहा है? मैं इसकी घोर निंदा करता हूं… हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हाईकोर्ट के फैसले का अमल हो और पिछड़े वर्ग को उनका अधिकार मिले न कि तुष्टीकरण और वोट बैंक की नीति के कारण उन्हें मिले जो पिछड़े नहीं है.
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