Jammu Kashmir: घाटी में आतंकियों के अंत का फुलप्रूफ प्लान, AI से लैस तकनीक पलक झपकते कर लेगी ट्रेस
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Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में वांटेड आतंकवादियों, ओजीडब्ल्यू (ग्राउंड पर आतंकियों की मदद करने वाले) और अन्य वांटेड अपराधियों को ट्रैक करने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है. स्मार्ट पुलिसिंग के तहत पहली बार जम्मू कश्मीर पुलिस ने कश्मीर घाटी के एंट्री और एग्जिट प्वाइंट- नवयुग सुरंग काजीगुंड में इनोवेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फेशियल रिकग्निशन सिस्टम शुरू किया है.
आतंकियों को पकड़ेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
स्मार्ट पुलिसिंग और अपने कौशल को उन्नत करने के तहत कश्मीर पुलिस ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में नवयुग सुरंग काजीगुंड के प्रमुख रास्ते पर इनोवेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फेशियल रिकग्निशन सिस्टम स्थापित किया है. इस तकनीक से फरार आतंकवादियों, आतंकी समर्थकों, हिस्ट्रीशीटरों, ड्रग पेडलर्स, ओजीडब्ल्यू और प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों सहित आपराधिक गतिविधियों में शामिल वांछित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें दबोचा जा सकेगा.
क्या कहा आईजीपी कश्मीर जोन ने
आईजीपी कश्मीर जोन वीके बिरदी ने ज़ी न्यूज़ को बताया कि कश्मीर घाटी एक सुरंग के माध्यम से जम्मू क्षेत्र से जुड़ी हुई है. सुरक्षा स्थिति को देखते हुए हमें इस पर नजर रखने की जरूरत है. हम देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों की गतिविधियों पर नजर रखना चाहते हैं. जो श्रीनगर से जम्मू और वापस सुरंग पार करते हैं. हमने सुरंग में कुलगाम जिले में इस तकनीक का इस्तेमाल किया है. यह सिस्टम एआई पर आधारित है और चेहरों को पहचानता है. जब हमारे पास विभिन्न गतिविधियों में शामिल लोगों की तस्वीरें होती हैं, तो यह तकनीक हमें उन तत्वों को पहचानने में मदद करती है. यह भगोड़ों को पकड़ने में काफी मदद करेगी.
कैसे काम करेगी ये तकनीक
यह सिस्टम इस्तेमाल करने में आसान और सटीक है. यह एक उचित कार्यक्रम के तहत काम करता है. पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने उस सिस्टम में उन लोगों का सारा डेटा डाला है, जो पुलिस रिकॉर्ड में अपराध या आतंकवाद की पृष्ठभूमि वाले हैं. उनका पिछला रिकॉर्ड और तस्वीरें पहले से ही सिस्टम में हैं. इसमें केवल व्यक्तियों का विवरण नहीं है, बल्कि लापता और वांछित वाहनों का डेटा भी है.
पुलिस को मिलेगा संकेत
यह सिस्टम पुलिस के दो टीमों के साथ काम करता है. एक जो सुरंग के पास रास्ते पर रहते हैं और दूसरा जो नियंत्रण कक्ष संभालता है. जहां दर्जनों विशेष कैमरे लगे हैं, जिनमें चेहरों को स्कैन करने और कंप्यूटर डिस्क में पहले से ही डाले गए डेटा के साथ मिलान करने की सुविधा है. अगर यह मेल खाता है तो यह बीप करता है और खोज दल को संकेत मिलता है और व्यक्ति पकड़ा जाता है. नियंत्रण कक्ष को संभालने वाले पुलिस कर्मी पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और इस काम के लिए तैयार हैं.
अब आतंकवादियों की खैर नहीं
इस प्रणाली का मकसद सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना और अपराधों से प्रभावी ढंग से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर निपटना है. यह सिस्टम आपराधिक इतिहास रखने वाले व्यक्तियों का तेजी से पता लगाने में बेहद मदद करेगा.