Dungarpur News: रिश्वतखोर गिरदावर दिनेश पंचाल के लोकर ने उगला सोना, जांच में मिला एक किलो से ज्यादा गोल्ड

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Dungarpur News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में नामांतरण खोलने की एवज में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार बिलडी गिरदावर दिनेश पंचाल के मामले में डूंगरपुर एसीबी की टीम ने आरोपी के बैंक का लोकर खोलकर जांच की. 

जांच के दौरान लोकर से 1 किलो 146 ग्राम सोना निकला है, जिसकी कीमत 75 लाख से ज्यादा की है. एसीबी डूंगरपुर के डीएसपी रतनसिंह राजपुरोहित ने बताया कि 18 मई को बिलड़ी के गिरदावर दिनेश पंचाल को नामांतरण खोलने की एवज में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथो गिरफ्तार किया था.

वही उसके घर का सर्च किया था. सर्च के दौरान डूंगरपुर शहर के एस बी आई बैंक के लोकर की चाबी मिली थी. इसके तहत आज टीम ने बैंक पहुंचकर लोकर की तलाशी ली गई. लोकर खोलते ही एसीबी के होश उड़ गए. 

लोकर से एक किलो 146 ग्राम सोना निकला है, जिसमे 100 ग्राम के 5 सोने के बिस्किट और 646 ग्राम सोने के आभूषण आभूषण शामिल है. एसीबी ने सोने की कीमत करीब 75 लाख 44 हजार रुपए बताई है.

इधर वैल्यूएशन के बाद एसीबी ने लोकर को सील कर दिया है. गौरतलब है की इससे पहले घर के सर्च में एसीबी को  आरोपी गिरदावर दिनेश पंचाल के रिहायशी घर से 41 लाख 39 हजार 500 रुपये का कैश मिला था. वहीं, 10 लाख का सोना और करोड़ो की 6 प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी मिले थे. 

पढ़िए डूंगरपुर की एक और खबर 
Dungarpur News: मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल में सरकारी दस्तावेजों में छेड़खानी कर ब्लड की हेराफेरी

Dungarpur News: डूंगरपुर जिले के मेडिकल कॉलेज के श्री हरिदेव जोशी जिला अस्पताल में ब्लड बैंक के संविदाकर्मी लैब टेक्नीशियन द्वारा सरकारी दस्तावेजों में छेड़खानी करते हुए दो यूनिट ब्लड की हेराफेरी करने का खुलासा हुआ है. सरकार की लाडली योजना के नाम पर हुई खून की हेरा फेरी का मामला सामने आने के बाद अब अस्पताल प्रशासन हरकत में आ गया है और गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लेब टेक्नीशियन को नोटिस देने और सेवाएं समाप्त करने की बात कर रहा है.

मामले के अनुसार उदयपुर जिले के सेमारी निवासी 16 वर्षीय उषा कुमारी की तबियत बिगड़ने पर उसे 17 मई को डूंगरपुर जिला अस्पताल के फीमेल मेडिकल वार्ड में भर्ती करवाया गया था. उषा को एनीमिया होने की वजह से खून चढ़ाए जाने की जरूरत थी. उषा की भर्ती टिकिट पर उसकी उम्र 16 वर्ष अंकित है. वहीं खून की डिमांड के लिए वार्ड से भेजी गई डिमांड पर्ची में भी उसकी उम्र 16 वर्ष अंकित थी, लेकिन ब्लड बैंक के एक संविदा कर्मी ने डिमांड पर्ची में मरीज की उम्र में काटा-फांसी कर उम्र 14 वर्ष कर दी और लाडली योजना का हवाला देते हुए उसे 2 यूनिट ब्लड निशुल्क उपलब्ध करा दिया.

दरअसल लाडली योजना के तहत 14 वर्ष तक की लडकियों को खून की जरुरत पड़ने पर निशुल्क और बिना रिप्लेसमेंट के खून उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है जबकि अन्य मामलो में खून दिए जाने के एवज में भर्ती मरीज के परिजन या परिचित को पहले रक्तदान करना होता है. उसके बाद ही ब्लड बैंक से खून जारी होता है, लेकिन उषा के मामले में बिना रिप्लेसमेंट लिए ही 2 यूनिट खून जारी कर दिया गया . 

मामले का खुलासा होने के बाद ब्लड बैंक कार्मिकों में हडकंप मच गया है. वही ब्लड बैंक प्रशासन ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है. इधर अस्पताल के डिप्टी कंट्रोलर डॉक्टर कोस्तुभ सिंह ने दस्तावेज में कांट छांट कर ब्लड ब्लड इश्यु होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि मामला खून के बदले राशि लेन देन का भी हो सकता है.फिलहाल ब्लड के संविदा कार्मिक दिनेश सेवक को नोटिस जारी किया है. वहीं जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर उसकी सेवाए समाप्त करने की बात कही है. 

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