Dungapur News: भारतीय जैन संघटना की तालाबों को पुनर्जीवित करने की पहल, सूखा मुक्त अभियान के तहत डिसिल्टिंग का काम शुरू

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Dungapur latest News: डूंगरपुर जिले में पिछले साल हुई बारिश की कमी के चलते तालाब सूख चुके हैं. जिसके चलते शहर सहित गांवों में पानी का संकट गहरा गया है. इधर पानी के संकट को देखते हुए डूंगरपुर जिले में भारतीय जैन संघटना ने जिले के तालाबों व जलाशयों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया गया है. इसी के तहत डूंगरपुर पंचायत समिति के पाटडी गांव के एडवर्ड समंद तालाब से भारतीय जैन संघटना की ओर से सूखामुक्त अभियान का आगाज किया गया. डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह, भारतीय जैन संघटना के राष्ट्रीय महासचिव राजकुमार फत्तावत, जिला परिषद के सीईओ मुकेश चौधरी, अध्यक्ष नीरव जैन ने तालाब की खुदाई के कार्य का शुभारंभ किया.

सूखा मुक्त अभियान के तहत आयोजित समारोह को अतिथियों ने संबोधित किया. अपने संबोधन में डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने जैन समाज के इस अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के जीवन में जल का बड़ा महत्व है. ऐसे में जल के संरक्षण बचाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि एडवर्ड समंद तालाब शहर की पेयजल का प्रमुख स्रोत है. लेकिन बारिश की कमी के चलते तालाब में इस बार पानी नहीं आया. लेकिन भारतीय जैन संघटना के इस अभियान से जहां तालाबों की खुदाई होने से वर्षा का जल अधिक संचित होगा. वहीं तालाब में पानी की उपलब्धता होने से जल स्तर बढ़ने के साथ मवेशियों को भी पानी की दिक्कत नहीं आएगी. अतिथियों ने कार्यक्रम में आए लोगों को जल संरक्षण व बचत करने का भी आव्हान किया.

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इस मौके पर भारतीय जैन संघटना के जिला अध्यक्ष नीरव जैन ने बताया की अभियान के तहत भारतीय जैन संघटना की ओर से तालाब की खुदाई व डिसिल्टिंग कार्य के लिए 2 जेसीबी और 7 ट्रैक्टर-ट्रॉली लगाई गई हैं. ये मशीनें एक माह तक इस तालाब की खुदाई व डिसिल्टिंग का कार्य करेंगी ताकि आने वाले समय में तालाब की भराव क्षमता अधिक हो. वहीं आने वाली गर्मियों में पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े. वहीं नीरव जैन ने बताया कि आने वाले समय में जिला प्रशासन का सहयोग लेते हुए अन्य तालाबों की भी डिसिल्टिंग करते हुए उन्हें गहरा किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक मात्रा में बारिश के पानी का तालाब में संचय हो सके.

बहराल गर्मी के मौसम में पानी के संकट को देखते हुए भारतीय जैन संघटना की ओर से तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए की गई पहल काबिले तारीफ है. परंपरागत जल स्रोत के संरक्षण से आने वाले समय में इन जल स्रोतों में पानी की उपलबध्ता होगी. जिससे आसपास के लोगों व मवेशियों को तो पानी सुलभ हो सकेगा वहीं जल स्तर भी बढ़ेगा.

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