Bangladesh News: मालदीव के बाद अब बांग्लादेश में इंडिया आउट के नारे, लेकिन भारत ने साथ छोड़ा तो धड़ाम हो जाएगा मुल्क

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Bangladesh India Out Campaign: पिछले कुछ दिनों से सरहद पार से इंडिया ऑउट की अपील का शोर तेज हो रहा है. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक हाथों में इंडिया-आउट की तख्तियां लेकर नारों का नया वायरस फैल रहा है. मालदीव के बाद भारत विरोध का यह इन्फेक्शन अब बांग्लादेश में भी फैल रहा है, इससे पहले हम नेपाल और श्रीलंका में भी हम भारत-विरोधी प्रदर्शनों का एक पैटर्न देख चुके हैं और इन सवालों के बाद आपके मन में भी कई सवाल उठ रहे होंगे. 

– क्या सोची समझी रणनीति और प्लान के तहत भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का यह अभियान चल रहा है?

– क्यों भारत विरोध का पैटर्न लगभग हर जगह एक जैसा है?

– कैसे भारत के दोस्तों और खासकर पड़ोसियों को भड़काने का खेल खेला जा रहा है? 

– कहां से इस सोची समझी टूलकिट को धार दी जा रही है

– कौन हैं इस खेल के मोहरे और कौन है इसका सूत्रधार?

– कब से भारत के खिलाफ ये षड़यंत्र रचा जा रहा है?

भरोसा रखिए, हम ऐसा नहीं होने देंगे- एस. जयशंकर
 
ये वो सवाल है जो सोशल मीडिया पर या भारत विरोधी मुहिम की खबरें देखने के बाद हर एक भारतीय के मन में जरूर होंगे. इन सभी सवालों का जवाब परत दर परत तलाशेंगे. शुरूआत इंडिया नॉटआउट पर हमारी एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ करते हैं.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘…टूल किट तो है…मगर आप भी जानते हैं कि कुछ बातें मैं सार्वजनिक तौर पर नहीं कहता हूं…इंडिया आउट कहने से कोई इंडिया आउट नहीं हो जाता भरोसा रखिए कि हम ऐसा नहीं होने देंगे.’

ज़ी न्यूज के मंच से भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने 140 करोड़ देशवासियों को भरोसा दिलाया तो दूसरी तरफ दुनिया को भी कड़ा संदेश दिया कि केवल नारे लगाने से भारत के असर को कम करने की कोशिश ना तो पड़ोसियों के लिए मुमकिन है और ना ही मुफीद.  

भारत की सुंदर साड़ियों को क्यों नहीं जलाते- शेख हसीना

मगर फिर भी भारत के खिलाफ विरोध का जहर उगलने का सिलसिला चलाया जाता है. संकट के वक्त पर पड़ोसियों की मदद के बावजूद भारत-विरोधी अभियानों को हवा दी जाती है. कई बार घरेलू सरकारों के ऐतराज के बावजूद भारत पर कीचड़ उछालने की कोशिश होती है.

बांग्लादेश में चलाए जा रहे इंडिया आउट कैंपेन पर पहले आप देश की पीएम शेख हसीना की टिप्पणी पढ़िए, फिर हम इस टूल-किट का विश्लेषण करते हैं. विपक्षी पार्टियों के इंडिया आउट अभियान पर आपत्ति जताते हुए शेख हसीना ने कहा, ‘इन सभी लोगों की पत्नियों के पास भी भारत की बड़ी सुंदर-सुंदर साड़ियां हैं. उन्हें लाकर क्यों नहीं जलाते?’

बांग्लादेश में कौन चला रहा इंडिया आउट अभियान?

बहरहाल, सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि बांग्लादेश में यह इंडिया आउट और बायकॉट इंडिया कैंपेन चला कौन रहा है? इसके पीछे दरअसल, बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी BNP है, जिसने पिछले आम चुनावों का बहिष्कार किया था और सत्ता में एक बार फिर हुई शेख हसीना सरकार की वापसी के लिए वो भारत की मदद को जिम्मेदार बताती है

मुमकिन है कि बीएनपी भी भारत विरोध के सहारे विपक्ष से सत्तापक्ष में पहुंची मालदीव की MDP की तर्ज पर राजनीतिक प्रयोग से सत्ता संयोग का रास्ता बनाने की जुगत तलाश रही हो. विपक्षी BNP के साथ साथ बांग्लादेश के कई कट्टरपंथी संगठन और मीडिया का एक तबका भी इस भारत विरोधी अभियान को समर्थन दे रहा है. 

पर्दे के पीछे तारिक रहमान का हाथ

इस अभियान के सूत्र टटोलें तो पता चलता है कि सड़क पर बीएनपी के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन से लेकर सोशल मीडिया तक इस प्रोपगैंडा टूलकिट के तार बिखरे नजर आते हैं. सूत्रों के मुताबिक इंडिया आउट कैंपेन के किरदार लंदन में निर्वासित जिंदगी बिता रहे बीएनपी के उपाध्यक्ष और पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान के इशारे पर पार्टी के कार्यकर्ता इस अभियान से जुड़े हैं.

बांग्लादेश से भागकर पेरिस पहुंचे डॉक्टर पिनाकी भट्टचार्य सोशल मीडिया पर इस मुहिम को हवा दे रहे हैं. इसके अलावा कई यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज और सोशल मीडिया हैंडल भारत विरोध की तस्वीरों को बढ़ाने में जुटे हैं. एक नाम अमेरिका में मौजूद फजल अंसारी का भी है जो BNP का सदस्य भी है और पत्रकार भी. इसी शख्स ने बीते दिनों अमेरिकी विदेश विभाग की ब्रीफिंग में भारत के अंदरूनी मामलों पर सवाल पूछे थे.

बांग्लादेशी कपड़ा कारोबारी कर रहा फंडिंग

इतना ही नहीं बांग्लादेश की एक प्रमुख कपड़ा उद्योग से जुड़ी कंपनी मोहम्मद ग्रुप का न्यूज चैनल नॉगरिक टीवी भी इस बायकॉट इंडिया मुहिम के प्रचार-प्रसार का हिस्सा है. इस पूरे अभियान के निशाने पर भारत के प्रधानमंत्री, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और साथ ही बांग्लादेश के बाजार में मौजूद हर भारतीय उत्पाद और सेवाएं हैं. 

यह काफी कुछ वैसा ही है जैसा मालदीव में हो चुका है. इतना ही नहीं सोशल मीडिया के पन्नों पर इस अभियान को खाड़ी मुल्कों समेत कई देशों के बाजार में भारत के उत्पादों को आउट करने के साथ ही पाकिस्तानी प्रोडक्ट्स को इन करने का खेल भी साफ नजर आता है. यानि भारत के नुकसान को पाकिस्तान की फायदे में बदलने की एक सोची-समझी साजिश. पर्चे बांटे जा रहे हैं और लोगों को भारतीय उत्पादों की पहचान करने और उनसे दूर रहने की सलाह दी जा रही है.

भारत से आयात बंद करने में बांग्लादेश का नुकसान

आइए अब आपको इस भारत विरोधी कैंपेन का कारोबारी खेल भी समझाते हैं. बांग्लादेश की सत्तारूढ़ आवामी लीग पार्टी के फाइनेंस और प्लानिंग कमेटी के सदस्य स्क्वाड्रन लीडर रिटायर्ड सदरुल अहमद खान के मुताबिक उनका मुल्क भारत से सालाना 14 अरब डॉलर का आयात करता है. 

यह भारत के कुल निर्यात 468 अरब डॉलर का केवल 3.5 प्रतिशत है. ऐसे में बांग्लादेश अगर भारत से सामान लेना पूरी तरह बंद कर दे तो भी भारत की आर्थिक सेहत पर किसी बड़े असर की उम्मीद बेमानी है जबकि इस समीकरण को रिवर्स करें तो बांग्लादेश की मुश्किल बढ़ सकती है.

दूसरी जगह से खरीदारी पर बढ़ जाएगी लागत

बांग्लादेश भारत से 97 उत्पाद आयात करता है. इसमें कपास,धागे, गार्मेंट उद्योग के लिए कच्चे माल की हिस्सेदारी 3 अरब डॉलर की है. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी निभाने वाला रेडीमेड गार्मेंट उद्योग अगर भारत की बजाए किसी दूसरे देश से सामान आयात करने लगेगा तो उसकी लागत 4.5 अरब डॉलर बढ़ जाएगी. भारत से बांग्लादेशी आयात में एक बड़ी हिस्सेदारी तेल उत्पादों की है. इसका सालाना आयात 2 अरब डॉलर का है.

बांग्लादेश में डीजल की सालाना खपत 46 लाख टन की है जिसका 80 प्रतिशत हिस्सा आयात से ही पूरा होता है. खेती से लेकर ऊर्जा उत्पादन के लिए इसकी जरूरत है और भारत से इसका आयात बांग्लादेश को किफायती भी पड़ता है और आसान भी. तीसरा सबसे बड़ा आयात खाद्य सामग्री का है जिसमें प्याज से लेकर खाद्यतेल, चिप्स, बिस्कुट, चॉकलेट समेत कई चीजें शामिल है.

करीब डेढ़ अरब डॉलर की खाद्य सामग्री बांग्लादेश आयात  करता है. इसके अलावा बांग्लादेश में मेड इन इंडिया दोपहिया और तिपहिया वाहन भी खूब चलते हैं और इनका इस्तेमाल रोकने से मुल्क की रफ्तार थम सकती है. 

इंडिया आउट अभियान से किसे फायदा?

जाहिर है साफ नजर आने वाले घाटे के इस खेल को खेलने के पीछे बड़ी वजह शेख हसीना सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी करना है. साथ ही फायदे की पाइपलाइन चीन की तरफ मोड़ने की कोशिश भी नजर आती है क्योंकि मालदीव से लेकर नेपाल और श्रीलंका तक हर जगह भारत विरोधी अभियान का बड़ा लाभार्थी तो चीन ही रहा है जो बीआरआई के बहाने आर्थिक उपनिवेश बनाने का नया खेल खेल रहा है, ताजा उदाहरणों से इसे समझते हैं

– मालदीव में पिछले साल हुए चुनाव के दौरान विपक्ष ने एंटी भारत कैंपेन चलाया.

– मोइज्जू की पार्टी सत्ता में आई और भारत विरोधी एजेंडे को तेजी से आगे बढ़ाया.

– इससे पहले चीन ने श्रीलंका का हमदर्द बनकर उसे कर्ज के जाल में फंसाया और फिर हंबनटोटा पोर्ट ले लिया.

मजहब की सियासत भी जोरों पर

बांग्लादेश में भारत विरोध कोई नया नहीं है. इसका एक पुराना वोट-बैंक है. इसमें जमात-ए-इस्लामी,हिफाजत-ए-इस्लाम और अंसार-अल-इस्लाम समेत कई कट्टरपंथी संगठन शामिल हैं. साथ ही बायकॉट इंडिया अभियान केवल आयात-निर्यात और कारोबारी नफे-नुकसान का खेल नहीं है. बल्कि इसके पीछे मजहब की सियासत के पासे भी खूब फेंके जा रहे हैं. सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर हिंदू-बनाम मुस्लिम के मतभेदों के साथ-साथ भारत-इजराइल की दोस्ती के बहाने भारत के हित पर चोट की कोशिश है. 

साथ ही यह भी साफ है कि भारत के अलावा चीन से लेकर रूस और फ्रांस पर आवामी लीग की मदद का इल्जाम लगाने वाली बीएनपी और उसके समर्थकों की टोली अब सोचे-समझे एजेंडे के तहत सिर्फ भारत को ही निशाना बनाने में जुटी है. ऐसे में भारत इसे कतई हल्के में नहीं ले सकता है. साथ ही ढाका में बैठी शेख हसीना सरकार को भी इसे गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई करना चाहिए, ताकि सरकार की नीयत केवल बयानों तक ही सीमित न नजर आए. 

भारत की कृपा से ही बना था बांग्लादेश

खास बात ये है कि बांग्लादेश के नाम पर इंडिया आउट की मुहिम चला रहे ज्यादातर किरदार खुद बांग्लादेश और वहां की सियासत से आउट हैं. इंडिया आउट तो जो टूलकिट आज पाकिस्तान को इन करने की कोशिश में है वो भूल गए हैं तब के पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान के चुंगुल से छुड़ाकर भारत दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के नए देश का नक्शा खींचा था. 

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