21 जुलाई तक रहेगा आषाढ़ मास: देवी-देवताओं के साथ ही गुरु पूजा करने का है ये महीना, जानिए आषाढ़ मास की खास बातें

24 मिनट पहले

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आज (22 जून) की सुबह 6.20 बजे से हिन्दी पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ शुरू हो गया है। ये महीना 21 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई से 15 जुलाई तक, देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को रहेगी। इस महीने में पूजा-पाठ के साथ ही खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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  • आषाढ़ मास की अंतिम तिथि पर गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वजह से ये पूरा महीना गुरु पूजा के लिए बहुत खास है। आषाढ़ में देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही अपने गुरु की भी पूजा जरूर करें। गुरु का आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करें, गुरु को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या कोई अन्य भेंट दें।
  • आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है। बादलों की वजह से अधिकतर जगहों पर सुबह-सुबह सूर्य देव के दर्शन नहीं हो पाते हैं, ऐसे में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
  • ये महीना किसानों के लिए भी बहुत खास है, क्योंकि इस महीने से बारिश शुरू हो जाती है और किसान नई फसल के बीज बोना शुरू कर देते हैं।
  • आषाढ़ मास धर्म-कर्म के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस महीने से चातुर्मास शुरू होते हैं। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु का विश्राम शुरू हो जाता है। इसके बाद विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कामों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहेंगे। देवशयनी एकादशी से 2 दिन पहले भड़ली नवमी (15 जुलाई) सीजन का आखिरी मुहूर्त रहता है।
  • इस महीने में पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य जरूर करें। बारिश की वजह से कई लोगों का काम प्रभावित होता है, कई लोगों की कमाई ठीक से नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान जरूर करना चाहिए।
  • आषाढ़ मास में देवी मां दस महाविद्याओं की साधना के लिए खास गुप्त नवरात्रि आती है। इन दिनों में देवी मां के लिए भक्त कठिन साधनाएं करते हैं। आषाढ़ मास की अंतिम तिथि गुरु पूर्णिमा होती है। इस तिथि पर अपने गुरु के दर्शन करना चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • आषाढ़ मास में अपने इष्टदेव की पूजा नियमित रूप से करें। दीपक जलाकर मंत्र जप करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

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