‘सत्या’ के लिए मनोज ने खुद से ही खरीदे कॉस्ट्यूम्स: प्रोडक्शन टीम से ₹25,000 मिले थे; लोकल मार्केट से लिए कपड़े Headlines Today Headlines Today News
4 मिनट पहले
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मनोज बाजपेयी ने अपनी बहुचर्चित फिल्म सत्या में भीखू म्हात्रे के रोल के लिए खुद से स्टाइलिंग की थी। उन्होंने कपड़े भी खुद से ही जाकर खरीदे थे। इसके लिए उन्हें प्रोडक्शन टीम से 25 हजार रुपए मिले थे। मनोज बाजपेयी ने कहा कि उस वक्त छोटे एक्टर्स को खुद से ही अपनी स्टाइलिंग और कॉस्ट्यूम्स पर काम करना पड़ता था। उन्हें भी सत्या के लिए एक बजट अलॉट कर दिया गया था।
मनोज ने कहा कि उन्होंने बांद्रा के हिल रोड मार्केट में जाकर सारे कपड़े खरीदे थे।
बता दें, रामगोपाल वर्मा के डायरेक्शन में बनी फिल्म सत्या 1998 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में मनोज ने गैंगस्टर भीखू म्हात्रे का रोल निभाया था। इस फिल्म ने ही मनोज को इंडस्ट्री में एक आला एक्टर के तौर पर स्थापित कर दिया।
बांद्रा के हिल रोड मार्केट से खरीदे सारे कपड़े
मनोज बाजपेयी ने गलाटा इंडिया से बात करते हुए कहा- मुझे भीखू म्हात्रे के कैरेक्टर के लिए ड्रेस खरीदने के लिए 25 हजार रुपए अलॉट किए गए थे। मैं उस कैरेक्टर के लिए बिल्कुल ऑथेंटिक ड्रेस खरीदना चाहता था। इसके लिए मैं बांद्रा के हिल रोल मार्केट गया। वहां से मैंने सारे कपड़े खरीदे। आपने फिल्म में भीखू म्हात्रे को जिन भी कपड़ों में देखा है, वो सारे हिल रोड से ही लिए गए थे।
छोटे स्टार्स खुद से ही कॉस्ट्यूम्स पर काम करते थे
मनोज ने आगे कहा- उन दिनों छोटे स्टार्स को खुद से ही अपनी स्टाइलिंग और कॉस्ट्यूम्स पर काम करना पड़ता था। हालांकि कॉस्ट्यूम्स दादा (जिनके ऊपर एक्टर्स को कपड़े पहनाने की जिम्मेदारी होती है) भी होते थे, लेकिन वो साधारण तरीके से कपड़े सिलकर दे देते थे। मैं चाहता तो उनसे मदद ले सकता था, लेकिन खुद से ही करना ज्यादा सही समझा।
मनोज अपनी फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम्स खुद देखते थे
मनोज ने कहा कि उन्होंने करियर की शुरुआत में काफी सारी फिल्मों के लिए खुद ही कॉस्ट्यूम डिसाइड किया। जब भी उनके पास कोई फिल्म आती थी, वो अपने कैरेक्टर के बारे में सोचने लगते थे। कैरेक्टर के बारे में सोचने के साथ उन्हें इस बात की भी जानकारी हो जाती थी कि किस किरदार में उन पर कौन सा कपड़ा सही लगेगा।
‘भीखू म्हात्रे’ बन जीता नेशनल अवॉर्ड
मनोज ने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से डेब्यू किया था। हालांकि ‘सत्या’ को मनोज अपना असली डेब्यू मानते हैं और इसी फिल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी। ‘भीखू म्हात्रे’ के रोल से वो पूरे देश में पहचाने गए। इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।