मातृभाषा हिन्दी से यूथ का मोहभंग: पांच साल में सरकारी कॉलेजों में हिंदी साहित्य के विद्यार्थी 15% घटे, अंग्रेजी साहित्य में 68% बढ़े – Jaipur Headlines Today News

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पिछले 5 साल में हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है, जबकि अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थियों की संख्या में चौंकाने वाली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हिंदी साहित्य के विद्यार्थी 5 साल में 15.12 फीसदी घट गए। वही

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अन्य विषयों की विद्यार्थियों की संख्या का अध्ययन किया गया तो पंजाबी और हिंदी में ही विद्यार्थियों की संख्या घटी है, जबकि अंग्रेजी साहित्य, राजस्थानी, संस्कृत, सिंधी, उर्दू और जैनोलॉजी में विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों विधायक युनूस खान ने सरकार से पूछा था कि पिछले 5 वर्षों में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भाषाओं का अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट या बढ़ोतरी की संख्या बताई जाए।

सरकार नेे जवाब में बताया कि पिछले 5 साल में हिंदी में 15.12 फीसदी और पंजाबी में 26.61 फीसदी विद्यार्थी घट गए, जबकि अंग्रेजी में 68.47 फीसदी, राजस्थानी में 33.42 फीसदी, संस्कृत में 10.62 फीसदी, सिंधी में 20.93 फीसदी, उर्दू में 46.22 फीसदी और जैनोलॉजी में 9.65 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। प्रदेश में सरकारी कॉलेजों की संख्या 536 हैं।

अध्यापक भर्ती में हिंदी में अधिक प्रतिस्पर्धा

तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2022 और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-2022 में हिंदी विषय के पद पर प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक थी। अन्य विषयों के पदों पर प्रतिस्पर्धा बहुत कम थी। थर्ड ग्रेड में हिंदी में एक पद के लिए 55 अभ्यर्थियों और अंग्रेजी में महज 6 अभ्यर्थियों के बीच मुकाबला था।

इसी तरह से वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में हिंदी में एक पद के लिए 232 और अंग्रेजी में 51 अभ्यर्थियों के बीच मुकाबला था। राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में प्रो. विनोद शर्मा का कहना है कि यूजी स्तर पर भले ही हिंदी के विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई हो, लेकिन पीजी स्तर पर लगातार हिंदी में विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अध्यापक भर्तियों में हिंदी में अधिक प्रतिस्पर्धा रहती है, इसलिए जल्दी से जल्दी रोजगार पाने की वजह से कुछ कमी आई है। भाषाई विद्यार्थियों की संख्या में कमी का एक बड़ा कारण अध्यापक भर्ती में प्रतिस्पर्धा को माना जा रहा है।

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