बेटा बोला- पूजा-किट्टू नहीं रहे पापा, सिर्फ मैं बच गया: पोते के जन्मदिन पर ही उसकी 13वीं; दादा बोले- बहू-पोता दोनों साथ गए, घर सूना कर गए – Jaipur Headlines Today News

बेटे पवन का फोन आया- बोला पापा पूजा और किट्टू की नहीं रहे, बस मैं बच गया…

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ये पवन की पहली कॉल थी जो रविवार को आतंकी हमले के बाद उन्होंने अपने पिता रामलाल को की थी।

रुंधे गले से रामलाल बताते हैं- पूजा हमारी बहू पूरे घर को संभालती थी, बच्चों का ख्याल रखती और सुबह की चाय भी वही पिलाती थी। किट्टू तो उसकी जान था, हमेशा उसे सीने से लगाए रखती थी। दोनों से हमारे घर की खुशियां थी। अब दोनों एक साथ चले गए। अब आंगन में कौन खेलेगा, सुबह की चाय कौन पूछेगा, हमारा घर सूना हो गया। ये कहते हुए दादा रामलाल जोर-जोर से रोने लगे।

आज से ठीक 13 दिन बाद घर के लाडले किट्टू का जन्मदिन है। नियति देखिए, परिवार में इसी दिन किट्टू और उसकी मां की 13वीं है…

ये हैं पवन के पिता रामलाल सैनी, अपनी बहू और पोते को याद करके रोने लगते हैं।

ये हैं पवन के पिता रामलाल सैनी, अपनी बहू और पोते को याद करके रोने लगते हैं।

मौत की खबर सुनते ही खून सूख गया

जयपुर के मुरलीपुरा स्थित घर में रविवार रात 9.30 बजे तक खुशियों का माहौल था। एक फोन कॉल ने उनकी खुशियों को ग्रहण लगा दिया। रविवार रात कश्मीर में वैष्णो देवी के दर्शन को श्रद्धालुओं को ले जा रही बस पर हमला हुआ था। इसमें पिता रामलाल सैनी को बेटे पवन सैनी के घायल होने की सूचना मिली। जबकि बहू पूजा सैनी (30) और पोते लिवांश उर्फ किट्टू (2) की मौत की सूचना मिली तो खून सूख गया। जो 2 साल का पोता 3 दिन पहले उनके गले आकर लग जाता था। अब वो वापस नहीं लौटेगा।

मंगलवार सुबह 12 बजे के करीब जम्मू से पहले जयपुर जंक्शन और फिर मुरलीपुरा पहुंचे। जब बहू और पोते के शव मुरलीपुरा पहुंचे तो पूरे परिवार में मातम छा गया। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे दोनों की पार्थिव देह जम्मू से जयपुर जंक्शन लाए थे। इसके बाद मुरलीपुरा लेकर पहुंचे।

पार्थिव देह जब घर पहुंची तो परिवार की महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।

पार्थिव देह जब घर पहुंची तो परिवार की महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।

12 दिन बाद किट्टू के जन्मदिन पर उसकी 13वीं

चरण नदी, अजमेरा कॉलोनी स्थित पवन सैनी का घर शोक का माहौल है। ये शोक सिर्फ एक घर में नहीं बल्कि पूरे मुरलीपुरा इलाके में है। जो पवन को नहीं जानता वे भी आतंकी हमले में जान गंवाने वाली पूजा और उनके बेटे किट्टू के अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे। सबसे घुलने मिलने वाला पवन एकदम शांत है। ऐसा लगता है वो खौफनाक मंजर रह रह के उसकी आंखों के सामने आता है। वो कुछ कहने बोलने लायक नहीं है। उनके पिता रामलाल कुछ कहते हैं तो उनका गला भर आता है।

पवन के पिता रामलाल बताते हैं- किट्टू को अभी 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे। इस महीने की 24 जून को किट्टू का जन्मदिन था। इस दिन किट्टू पूरे दो साल का हो जाता। आतंकी हमले ने हंसते खेलते परिवार की खुशियां इस कदर उजाड़ दी कि जिस घर में महज 12 दिन बाद लाव्यांश (किट्टू) का जन्मदिन मनाया जाना था। वहां अब शोक मनाया जाएगा। इस आंगन में खेलने वाला किट्टू और इस घर को संभालने वाली पूजा लौट कर नहीं आएगी। दोनों एक साथ चले गए हमें अकेला कर गए।

2 साल के किट्टू की देह को देखकर अंत्येष्टि में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थी।

2 साल के किट्टू की देह को देखकर अंत्येष्टि में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थी।

कैसे जिएंगे भाभी और किट्टू के बिना…

ननद मीनू सैनी कहती हैं- भाभी पूजा और किट्टू से जुड़ी अब हमारे पास यादें रह गई हैं। जिंदगीभर इन्हीं यादों के जरिए कैसे जिएंगे। जिस मासूम को अपनी गोद में खिलाया। उसके नन्हे हाथों को महसूस किया उसके लिए ये यादें जिंदगी भर का सदमा है। कैसे जिएंगे हम पूजा और किट्टू के बिना…

क्या था अंत्येष्टि का मंजर

दैनिक भास्कर ने इस पूरे मंजर को सैनी परिवार के साथ महसूस किया। पूजा और उनके बेटे की अर्थी एक साथ उठी। रौंगटे खड़े कर देने वाला मंजर था जब एक मासूम अपनी मां के साथ इस दुनिया से विदा ले रहा था। गलती ना तो मासूम की थी ना उसकी मां की… हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया। शवयात्रा में मौजूद लोग दोनों के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। घर की महिलाओं, बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। शाम 7 बजे दोनों की अंत्येष्टि की गई। पुलिस के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।

किट्टू की दादी को होश नहीं है, वे मानने को तैयार नहीं है कि उनका किट्टू और बहू पूजा अब इस दुनिया में नहीं हैं।

किट्टू की दादी को होश नहीं है, वे मानने को तैयार नहीं है कि उनका किट्टू और बहू पूजा अब इस दुनिया में नहीं हैं।

फंक्शन करने वाला था परिवार

लिवांश (2) अपने दादा-दादी का बहुत चहेता था। सुबह उठता तो उनकी गोद में आकर बैठ जाता…मां डांटती तो दादा के पीछे छुप जाता..घर का कोना-कोना उसकी यादों से भरा हुआ है। दोनों बुजुर्ग उसके खिलौने, कपड़ों के देखकर केवल रोए जा रहे हैं। उसकी छोटी-छोटी शरारतें आज उनकी आंखों के सामने तैर रही हैं।

पोते के साथ बहू पूजा का जाना भी दोनों के लिए किसी पहाड़ टूटने जैसा है। परिवार के दो चहेते अचानक चले गए इस बात पर वो हादसे के तीन बाद भी विश्वास नहीं कर पाए हैं। लिवांश का 24 जून को बर्थडे था। दादा रामलाल सैनी, उसके दोनों चाचा और पूरा परिवार उस दिन बड़ा फंक्शन करने वाले थे।

सब इंतजार कर रहे थे कि बेटा पवन और बहू-पोते जल्द से जल्द वैष्णो देवी से लौट आएं तो सभी को निमंत्रण भेजना शुरू करेंगे। दादा रामलाल सैनी ने भरी आवाज में बताया कि बहू ने कहा था कि … पापा हम वैष्णो देवी जाकर आते हैं…अब कौन आएगा?

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घटना बहुत दर्दनाक थी। मुझे न्याय चाहिए। हमलावरों को जल्दी पकड़ो। पता ही नहीं चला गोलियां कहां से चल रही थीं। मैं सीट पर बीच में बैठा था। बेटा लिवांश मेरी गोद में था। गोलीबारी के बाद बस खाई में गिर गई। इसके बाद होश नहीं रहा। होश आया तो मेरी दुनिया उजड़ चुकी थी।

ये कहना है जयपुर के मुरलीपुरा के रहने वाले पवन सैनी (32) का। पवन सैनी 5 जून को पत्नी पूजा सैनी (30), बेटे लिवांश उर्फ किट्टू (2) और चाचा ससुर राजेंद्र सैनी (42) और चाची सास ममता सैनी (40) के साथ वैष्णो देवी माता के दर्शन के लिए निकले थे। (पढ़ें पूरी खबर)

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जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले ने जयपुर के चौमूं निवासी ओमप्रकाश सैनी से दो परिवार छीन लिए। एक तरफ बेटी पूजा और 2 साल के दोहिते की मौत हो गई तो दूसरी तरफ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले छोटे भाई और उसकी पत्नी को भी इस हमले ने छीन लिया। (पढ़ें पूरी खबर)

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15 दिन बाद पोते का जन्मदिन था। दादा-दादी धूमधाम से बर्थडे मनाने के लिए तैयारियां कर रहे थे। बेटा-बहू पोते के साथ वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे। मोबाइल पर लगातार स्टेटस अपडेट कर रहे थे। मुस्कुराती तस्वीरें देख परिवार के लोग भी खुश थे, लेकिन 9 जून की रात को आए एक फोन ने उनकी जिंदगी बदल दी। (पढ़ें पूरी खबर)

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