ज्येष्ठ पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं: पूर्णिमा पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की भी है परंपरा

15 मिनट पहले

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आज ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस बार ये तिथि दो दिन (21-22 जून) रहेगी। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर संत कबीर दास जी की जयंती (22 जून) भी मनाई जाती है। ये पूर्णिमा धर्म-कर्म के नजरिए से बहुत खास है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान भी जरूर करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किए गए पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनकी कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस तिथि पर देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही नदी स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।

जानिए ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • हिन्दी पंचांग की सभी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, अलकनंदा, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। जो लोग नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय नदियों का और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
  • स्नान के बाद सूर्य नारायण भगवान को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। इसके लिए लोटे में जल के साथ ही चावल, कुमकुम और फूल भी डाल लेना चाहिए। इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जपते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाएं और फिर भगवान का अभिषेक करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
  • पूर्णिमा की दोपहर में पितर देवता को धूप देना चाहिए। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव कहा जाता है। इन्हें धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करते रहें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें।
  • घर के मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का भी अभिषेक करें। नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-जलाएं। आरती करें।
  • किसी गोशाला में हरी घास का दान करें। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। किसी मंदिर पूजन सामग्री का दान करें। जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, अनाज, जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।

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