सुमेधानंद बोले-कस्वां का टिकट काटने से हम 4 सीटें हारे: सीकर के पूर्व सांसद ने माना अग्निवीर से नुकसान हुआ, कहा- वसुंधरा प्रचार करतीं तो फायदा होता – Jaipur Headlines Today News

‘राहुल कस्वां की टिकट काटने का चूरू ही नहीं बल्कि सीकर, झुंझुनूं व नागौर में भी असर पड़ा है। इसी वजह से हम 4 सीटों पर हार गए।’
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ये कहना है कि 2 बार सीकर के सांसद रहे भाजपा नेता सुमेधानंद सरस्वती का। भास्कर से विशेष बातचीत में सुमेधानंद ने सीकर में हार के लिए अग्निवीर याेजना के प्रति नाराजगी को बड़ा फैक्टर बताया।
सुमेधानंद ने कहा कि वसुंधरा राजे चुनावों में सक्रिय रहती तो काफी फायदा मिलता।
पढ़िए पूरा इंटरव्यू…

पूर्व सांसद सुमेधानंद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लागू की गई योजनाओं को जनता तक नहीं पहुंचा पाए।
भास्कर : लगातार दो जीत के बाद इस बार हार के क्या कारण मानते हैं?
सुमेधानंद : 2024 का लोकसभा चुनाव हुआ, उससे 10 साल पहले हमने 10 हजार करोड़ की योजनाएं लागू की। लेकिन हम प्रधानमंत्री की ओर से लागू सम्मान निधि योजना, मकान बनाने की योजना को धरातल पर नहीं पहुंचा पाए। कार्यकर्ता लोगों तक बात नहीं पहुंचा पाए।
जब मैं सांसद बना तो दिल्ली तक एक ही ट्रेन थी। जयपुर भी एक ट्रेन दो चक्कर लगाती थी। अब 52 ट्रेन चल रही है। दूरंतों जैसी ट्रेन चल रही है। हम लोगों तक अपनी योजनाओं का प्रचार नहीं कर पाएं।
भास्कर : क्या सीकर के चुनावों में अग्निवीर योजना का असर पड़ा?
सुमेधानंद : बिल्कुल असर पड़ा है। सीकर, कुचामन, झुंझुनूं में काफी कोचिंग हैं, जो बंद हो गई है। युवाओं ने अग्निवीर में 4 साल के लिए जाने के लिए मन नहीं बनाया।
हम स्कीम को पूरी तरह से क्लियर नहीं कर पाए। 50 प्रतिशत युवाओं को अर्द्धसैनिक बलों में भेजा जाना था। 25 प्रतिशत परमानेंट किए जाएंगे।
कांग्रेस और आरएलपी सहित कम्यूनिस्टों ने अग्निवीर के खिलाफ माहौल बनाया। पूरे भारत में एक सैनिक एकेडमी मोहाली पंजाब में थी। हम सीकर में भी एकेडमी लेकर आए।
भास्कर : अग्निवीर में संशोधन की बात हो रही है, क्या फर्क पडे़गा ?
सुमेधानंद : अग्निवीर स्कीम में पहले ही कुछ संशोधन किए जाते तो लाभ मिलता। लेकिन आगे भी पंचायत के चुनाव होंगे। नगरपालिका से लेकर 5 उपचुनाव भी हो रहे हैं। अगर संशोधन होता है तो युवाओं के हित में भी होगा और पार्टी के हित में भी रहेगा।

अग्निवीर को लेकर सीकर ही नहीं, प्रदेश के कई जिलों में युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किए थे।
भास्कर : चूरू में राजेंद्र राठौड़ और राहुल कस्वां के बीच जातीय समीकरण का सीकर में क्या असर पड़ा?
सुमेधानंद: माननीय रामसिंह कस्वां और राजेंद्र राठौड़ के बीच विवाद काफी समय से रहा है। राहुल कस्वां नौजवान है। दो बार एमपी रहा। हमारे साथ भी एमपी रहा। उसका एग्रेसिव स्वभाव मैंने नहीं देखा।
विषय उठाया गया कि राजेंद्र राठौड़ की हार के पीछे राहुल कस्वां है। हार का मुद्दा बनाकर उसकी टिकट कटवा दी गई और कोई कारण नहीं था।
इससे लोगों ने काफी रियेक्ट किया। प्रदेश में और बहुत से नेता हैं। उन पर भी हार के आरोप लगते हैं, क्या उनकी टिकट कटी?
विषय ये था कि जहां पर पार्टी की हार हुई है और जिस-जिस नेता ने सपाेर्ट नहीं किया है। उनकी टिकट काटी जाएं। उन्हें 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया जाए, लेकिन ऐसा नहीं होकर एक व्यक्ति के साथ हुआ।
उसका लोगों में गहरा रिक्शन हुआ। केवल चूरू ही नहीं बल्कि सीकर से लेकर झुंझुनूं व नागौर में भी असर पड़ा है। इसी वजह से हम 4 सीटें खो चुके है।
भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि सामाजिक माहौल बिगड़ रहा है। पार्टी के लिए भी ठीक नहीं है और लोगों के लिए भी ठीक नहीं है। इससे गलत मैसेज जाता है।
जाट-राजपूत का मुद्दा शेखावाटी में खत्म हो चुका था। 30 साल पहले जरूरत होता था। लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस ने अपने फायदे के लिए इसे मुद्दा बनाया।

चूरू में भाजपा के उम्मीदवार देवेंद्र झाझड़िया थे, लेकिन पूरा चुनाव राहुल कस्वां वर्सेज राजेंद्र राठौड़ हो गया था।
भास्कर : क्या अबकी बार 400 पार के नारे के कारण आरक्षण हटाने का मैसेज गया?
सुमेधानंद : 303 सीटें थी तो मोदीजी ने टारगेट लिया था कि 400 सीटें लानी हैं। उनका विजन था कि अच्छे बहुमत से आएंगे तो गरीब, मजदूर और किसान वर्ग के लिए अच्छा काम कर पाएंगे।
आज टीडीपी और जेडीयू के समर्थन के साथ एनडीए की सरकार है। अन्य दलों का भी समर्थन है। मिलकर अच्छे विजन से काम करेंगे।
कांग्रेस ने आरक्षण और संविधान खतरे का एक मैसेज फैला दिया। इसे हम समय पर पकड़ नहीं सके। हमारी टीम लोगों को समझा नहीं सकी कि आरक्षण और संविधान को लेकर कोई दिक्कत नहीं है।
भास्कर : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राज चुनावों में एक्टिव नहीं रहीं, इसका कितना असर पड़ा?
सुमेधानंद : वसुंधरा राजे बड़ी लीडर रही हैं। उनका वजूद राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश में है। हमारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
पता नहीं क्या कारण रहे कि वो चुनावाें में कहीं पर नहीं गई। ये कारण तो पार्टी ही जानती है। लेकिन अगर वो प्रचार के लिए जातीं तो सीटों पर फायदा होता।
पार्टी ने उन्हें काम नहीं दिया या उन्होंने काम नहीं लिया। पार्टी उनसे बात करती तो काफी फायदा होता। चूरू जैसा विवाद भी नहीं हो पाता।

पूर्व सांसद सुमेधानंद का कहना है कि अगर वसुंधरा राजे चुनावों में एक्टिव होतीं तो पार्टी को इसका काफी फायदा मिलता।
भास्कर : हरियाणा से सटे राजस्थान के इलाके में किसान आंदोलन का कितना असर पड़ा?
सुमेधानंद : मेरे चुनाव के बाद 25 दिन हिसार रहा था। मैंने 72 मीटिंग की थी। मैंने उन्हें बोला था कि बड़ी रैली नहीं करूंगा। प्रत्याशी के साथ नहीं जाएंगे। केवल अमित शाह के साथ रैली की। कई गांवों में भी गए थे।
वहां पर किसान आंदोलन के अलावा जाट आंदोलन का भी फर्क पड़ा, क्योंकि जाट आरक्षण में काफी लोग मारे गए थे।
शेखावाटी में भी उसका असर पड़ा क्योंकि हरियाणा से सटा है। किसान आंदोलन हुआ उसमें सीकर, नागौर से केवल 400 से 500 लोग गए थे, जो कम्यूनिस्ट थे।
शेखावाटी से केवल इतने लोग ही पहुंचे तो बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ, लेकिन हरियाणा की वजह से असर पड़ा।
भास्कर : आरोप है कि जाट बोर्डिग को लेकर आपने कहा कि यहां से आतंकवादी निकलते हैं। क्या इससे जाट समाज नाराज हुआ ?
सुमेधानंद: मैंने पहले भी कहा कि ऐसा कुछ नहीं था। एक मीटिंग रखी गई थी। वहां विषय ये था कि संस्थाओं को अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए।
तब मैंने जाट संस्थाओं का जिक्र भी किया था। जाट परिवार जिन संस्थाओं को चला रहे हैं वहां बहुत अच्छे कार्य हो रहे हैं। तब किसी ने पूछा कि इस संस्था के बारे में क्या कहेंगे।
मैंने कहा था कि किसी समय हुआ। किसी समय को काट दिया। 7 मिनट का पूरा वीडियो था। उसे 28 सेकेंड का काट कर वायरल कर दिया गया।
ये षड्यंत्र था। संस्था 42 से है। एक समय आया तीन साल तक बंद भी रही थी। मर्डर भी हुआ था। काफी बदनामी हुई थी।
यहां से अच्छे वैज्ञानिक,डॉक्टर और इंजीनियर निकलने चाहिए। जाट संस्थाएं बच्चों के लिए माहौल को अच्छा बनाए रखें।

वीडियो जिसके सामने आने के बाद सारा विवाद खड़ा हुआ था।
भास्कर : सीकर से कुछ लोग टिकट मांग रहे थे, क्या उन्होंने डैमेज किया?
सुमेधानंद : चुनाव की चर्चा हुई तो मैंने कहा था कि पार्टी टिकट देगी तो लड़ूंगा। मेरे अलावा किसी को टिकट दिया तो उसके साथ पूरी निष्ठा के साथ लग जाएंगे।
जितने लोग टिकट मांग रहे थे, उनसे मेरी कोई नाराजगी नहीं है। उनमें से कई लोगों को बोला गया कि ये क्यों घूम रहे हैं, इन्हें बाहर निकालो। मैंने उनसे कुछ नहीं कहा।
लोकतंत्र में सभी काे चुनाव लड़ने का अधिकार है। टिकट मांगने का अधिकार है। पुराने से लेकर नए लोग टिकट मांग रहे थे। उनमें से ज्यादातर हमारे साथ रहे थे।
भास्कर : हार के बाद अब आगे क्या करेंगे ?
सुमेधानंद : मैं संन्यासी हूं। पार्टी की तरफ से फील हुआ कि हम हार गए। हार-जीत का मुझ पर असर नहीं होता है।
भगवान कृष्ण और योग शास्त्र कहते हैं अगर कोई निराश होता है तो वह अध्यात्मिक शक्ति नहीं हो सकता है। निराशा का मेरे जीवन पर कोई असर नहीं होता है।
हमारी सरकार केंद्र और राज्य दोनों में है। हम दोनों सरकारों के साथ मिलकर सीकर के लोगों के लिए काम करेंगे।
केंद्र के कई मंत्रियों से बात की है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि जनता के जो काम होंगे, उन्हें पूरा कराएंगे।
मैं सामाजिक व्यक्ति हूं। सप्ताह में एक दिन कार्यालय में रहूंगा। आश्रम में भी रहूंगा। लोगों को भी सुनेंगे। साथ ही पार्टी अगर कोई जिम्मेदारी देती है तो उसे पूरी करेंगे।