सुपरमार्ट के देसी घी में सड़ी हुई चमड़ी जैसी बदबू: दो ग्राहकों की जागरूकता से पकड़ी गई ब्रांडेड घी की नकली खेप – Rajasthan Headlines Today News

जयपुर के डी मार्ट (D Mart) स्टोर पर की गई छापेमारी में सरस जैसे ब्रांड का घी भी नकली पाया गया है। यह खबर लाखों ग्राहकों को चिंता में डाल देती है। क्या आप जानते हैं, यह सच्चाई सामने कैसे आई? हमारे-आपके तरह ही डी-मार्ट में खरीदारी करने वाले 2 ग्राहकों
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दैनिक भास्कर ने दोनों ग्राहकों, खाद्य सुरक्षा विभाग से बात की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। घी से जली हुई चमड़ी जैसी सड़ांध आ रही थी। भीषण गर्मी में भी गाय का घी जमा हुआ था। बस इसी बात से ग्राहकों का माथा ठनका और उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों से शिकायत कर दी।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा-गुजरात से लाखों लीटर नकली घी राजस्थान में सप्लाई हो रही है। एक्सपर्ट की मानें तो ऐसा नकली घी चर्बी, इंडस्ट्रियल ऑयल से तैयार होता है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी दे सकता है।
इस रिपोर्ट में पढ़िए- पूरा मामला कैसे खुला और कैसे लाखों ग्राहकों के घरों तक कैंसर देने वाला नकली घी पहुंच रहा है….
दो हीरो, जिनकी जागरूकता से पकड़ी गई नकली घी की खेप
हीरो नंबर-1 : धूप में रखकर देखा नहीं पिघला घी, चखा तो तेल जैसा स्वाद
त्रिवेणी नगर निवासी जलज शर्मा ने बताया कि उन्होंने मई के महीने में अग्रवाल फार्म, मानसरोवर पेट्रोल पंप के पास बने डी मार्ट से प्रो वैदिक कंपनी का घी (गाय का) खरीदा था। घी पर रिटेल मार्ट की ओर से ऑफर भी दिया गया था। डिस्काउंट के बाद 470 रुपए का मिला। मैंने काउंटर पर जाकर बिल कटवाया और घर आ गया।

जलज शर्मा ने बताया कि एक-दो दिन बाद घी का इस्तेमाल करने के लिए डिब्बा खोला तो उसमें डलियां जमी हुई थीं। गाय का घी भयंकर गर्मी और धूप में रखे होने के बाद भी पिघल नहीं रहा था। तवे या बर्तन में गर्म करने पर ही पिघल रहा था। इसका रंग और महक भी गाय के सामान्य घी की तरह नहीं लग रही थी। प्राकृतिक रंगत और तरलता भी ठीक नहीं लगी।
करीब 7-8 दिन इस्तेमाल करने के बाद हमें समझ में आ गया कि घी नकली है। स्वाद ऐसा लग रहा था मानो डालडा घी खा रहे हों। पहले हम 700 से 800 रुपए में दूसरे ब्रांड का घी खरीदकर लाते थे। लेकिन सुपरमार्ट पर भरोसा कर पहली बार यह ब्रांड इस्तेमाल किया था। शक तो खरीदते समय भी हुआ था कि गाय का घी 470 रुपए में कैसे मिल सकता है। इस्तेमाल के बाद भेद खुल गया। तब करीब 15 दिन पहले मैंने इस बारे में खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय में शिकायत की थी।
हीरो नंबर-2 : घी से आ रही थी जली हुई चमड़ी की बदबू
कालवाड़ रोड के सुशांत सिटी निवासी विशेष कुमार शुक्ला ने बताया कि कुछ दिन पहले वह कालवाड़ रोड स्थित डी-मार्ट से महीने का राशन खरीदकर लाए थे। उसमें उन्होंने ऑफर देखते हुए प्रो-वैदिक घी (गाय का) भी खरीद लिया। ऑफर में एक किलो का डिब्बा 429 रुपए का मिला था।

घर लाकर जब पहली बार घी का इस्तेमाल किया तो उसमे से चमड़ी के सड़ने जैसी बदबू आ रही थी। पत्नी को देसी घी का हलवा तैयार करना था। हलवा बनाने के लिए उन्होंने जैसे ही घी कढ़ाई में डाला आंच लगने पर उसमें से बदबू आने लगी। यहां तक की पूरा घर बदबू से भर गया। हम भी यह सब देखकर चौंक गए। तुरंत घी को निकालकर किनारे रख दिया।
विशेष ने बताया हमने सोचा कि घी का इस्तेमाल दीया बाती में कर लेते हैं। जब भी दीया जलाते थे, घर में दुर्गंध फैल जाती थी। परेशान होकर हमने इसकी शिकायत खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय में अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा से की। इसके बाद यह एक्शन हुआ है।

डी मार्ट के बिल की कॉपी जिसमें खरीदारी का सबूत है।
कार्रवाई करने पहुंची टीम तो पता चला सरस जैसा ब्रांड भी नकली
अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा ने बताया नामी सुपरमार्ट के खिलाफ पहली बार शिकायत मिलने के बाद 20 जून को टीम मालवीय नगर स्थित डी-मार्ट स्टोर पर छापा मारने पहुंची। हम शिकायत के आधार पर प्रो-वैदिक के माल की जांच करने गए थे, लेकिन तब वहां नजर सरस के डिब्बों पर भी गई। बारीकी से जांच करने पर सभी के एक जैसे सीरीज नंबर 564345 के दस और 566432 के भी दस डिब्बे मिलने पर नकली सरस घी की कलई खुल गई।

डी मार्ट में जांच करते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग के अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा व उनकी टीम।
सरस घी के हर डिब्बे पर एक यूनिक सीरीज और बैच नंबर दर्ज होता है, जिससे इसकी शुद्धता तय होती है। यह बिल्कुल नोट के नंबर की तरह की प्रक्रिया है। हर पैकेट पर आपको अलग-अलग सीरीज नंबर मिलेंगे। लेकिन डी मार्ट में मिले सरस घी के डिब्बों पर इन दोनों सीरीज के एक सामान नंबर के 10-10 पैकेट मिले, जिससे ये पकड़े गए।
उधर, कार्रवाई की सूचना मिलने पर सिरसी रोड स्थित आईपर मार्ट समेत कई अन्य रिटेलर्स ने भी नकली घी की खेप सुबह 6 बजे आउटलेट खुलने से पहले ही हटवा ली। शुक्रवार को पूरे शहर में डी मार्ट के 12 स्टोर और आईपर रिटेल के 12 स्टोर पर विभाग ने कार्रवाई की।

गुरुवार को डी मार्ट स्टोर के गोदाम से एक ही बैच नंबर और सीरीज के कई पैकेट मिले थे।
थर्ड पार्टी से नकली सरस घी खरीद रहा था डी-मार्ट
अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा ने बताया कि हमें कार्रवाई के दौरान ही पता चला कि नकली घी अनाधिकृत डील यानी थर्ड पार्टी से खरीदा गया था। डी-मार्ट हर महीने अकेले जयपुर शहर में करीब 1 लाख 20 हजार लीटर सरस घी खरीदता है। जब टीम ने एरिया मैनेजर से पूछा कि जब इतनी मात्रा में घी खरीदते हैं तो सरस के अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर से क्यों नहीं खरीदा?
एरिया मैनेजर ने बताया कि सरस डेयरी के डिस्ट्रीब्यूटर इतनी मात्रा में हमें घी उपलब्ध नहीं करवा पाते, इसलिए हमने थर्ड पार्टी से माल उठाना शुरू किया था। हालांकि टीम के ज्यादा पूछने पर वह कोई जवाब नहीं दे सके।

सरस घी के प्रोडक्ट नकली मिलने के बाद कई पैकेट को विभागीय अधिकारियों ने कब्जे में लिए।
हरियाणा से खरीदे माल की जांच तक नहीं की, अब मसालों की भी होगी जांच
पंकज ओझा ने बताया कि प्रो-वैदिक ब्रांड हरियाणा के महेंद्रगढ़ का है। डील के बाद डी मार्ट की ओर से इसकी भी जांच नहीं करवाई गई। नकली घी बेचने को लेकर सरस डेयरी भी इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाएगी। ओझा ने बताया कि डी मार्ट अपने ब्रांड से ही मसाले भी बेच रहा था। इन मसालों में डंठल भी पीसे जा रहे थे, जो नियम विरुद्ध है। घी की इस कार्रवाई के बाद अब डी मार्ट के मसालों की क्वालिटी भी जांचेंगे।
गुजरात-हरियाणा से आ रहा सेहत बिगाड़ने वाला घी
ओझा ने बताया कि इस समय राजस्थान में सबसे ज्यादा नकली घी की खेप हरियाणा और गुजरात से आ रही है। वहां की सरकार की ओर से इन मिलावटखोरों पर सख्ती करने के बाद अब राजस्थान का रुख किया है। बीते तीन महीने में विभाग अब तक 2 से 3 लाख किलो नकली खाद्य सामान जब्त कर चुका है। कोटा, बीकानेर से लेकर जयपुर तक कई फैक्ट्रियों में हजारों लीटर नकली घी पकड़ा जा चुका है।
कैंसर से लेकर आंतों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं
एसएमएस के वरिष्ठ फिजिशियन (एमडी) डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि नकली घी या उससे बने खाद्य पदार्थों के सेवन से गंभीर रोग हो सकते हैं। आमतौर पर नकली घी बनाने के लिए मिलावटखोर डालडा, इंडस्ट्रियल ऑयल या एनिमल फैट (चर्बी) का इस्तेमाल करते हैं।
प्लांट ऑयल, एनिमल फैट और डालडा से बने घी की वजह से उल्टी आना, चक्कर आना, लंबे समय तक सेवन से हार्ट की बीमारियां और कैंसर तक का खतरा होता है।

ऐसे पहचानें नकली उत्पाद
डॉ. विशाल गुप्ता और अतिरिक्त आयुक्त खाध सुरक्षा पंकज ओझा ने बताया कि नकली घी को बिना लैब में जांच करवाए पकड़ना मुश्किल है। इसके लिए हमेशा खाद्य उत्पाद खरीदने से पहले उन्हें अच्छे से चेक कर लेना चाहिए।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि अन्य खाद्य उत्पादों जैसे दूध और मसालों की पहचान घर पर भी की जा सकती है। जैसे नकली घी की पहचान या घी में मिलावट की जांच करने के लिए घी को गर्म कर उसमे आयोडीन की कुछ बूंदें दाल दीजिए। आयोडीन बाजार में आसानी से उपलब्ध भी है। अगर घी का कलर पर्पल हो जाता है तो घी में स्टार्च या प्लांट ऑयल मिला हुआ है।

इन बातों का रखें ध्यान तो नहीं होगा नुकसान
आमतौर पर जागरूकता के अभाव में शॉपिंग करते समय लापरवाही बरतते हैं। खरीदारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
- सबसे पहले जो उत्पाद खरीद रहे हैं उसकी बनावट और पैकिंग पर ध्यान दें। इसमें एक्सपायरी डेट, मैन्युफैक्चरिंग डेट और कंपनी का नाम और उसका पूरा पता साफ-साफ लिखा हो तभी लें।
- बिल हमेशा अपने नाम से बनवाएं, जिस पर रिसीट नंबर, जीएसटी नंबर हो। इससे शिकायत होने पर आप कंज्यूमर कोर्ट में अपना पक्ष सबूतों के साथ रख सकेंगे।
- उपभोक्ता के बिल लेने से ही आधी मिलावट खत्म हो सकती है। घी जैसे प्रोडक्ट्स के बैच नंबर भी हमेशा चेक करें।
घटिया उत्पाद की कैसे करें शिकायत?
गलती से कहीं उत्पाद घटिया आ गया हो तो विभाग की चल प्रयोगशाला (मोबाइल लैब) या विभाग की लैब में अपने सैंपल की जांच करवा सकते हैं।
1000 रुपए की फीस देकर आप कोई भी उत्पाद यहां जांच करवा सकते हैं, जिसकी रिपोर्ट उपभोक्ता मंच पर भी मान्य होती है। इसके लिए आप विभाग के शिकायती वॉट्सऐप नंबर 9462819999 पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
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