संभागीय आयुक्त ने की जनसुनवाई, 64 प्रकरण आए: बिजली, पानी, सड़क की बदहाली और अतिक्रमण से जुड़े मामले आए, संभागीय आयुक्त ने दिया रटा-रटाया जवाब- जांच करवाकर कार्रवाई करेंगे – Nagaur Headlines Today News

जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित जिला स्तरीय जनसुनवाई में मौजूद संभागीय आयुक्त, आईजी रेंज समेत तमाम प्रमुख अधिकारीगण।
राज्य सरकार ने प्रत्येक माह के तीसरे गुरूवार को जिला स्तरीय जनसुनवाई के लिए मुकर्रर किया हुआ है। लेकिन इन जनसुनवाई कार्यक्रमाें में आमजन को समाधान के नाम पर बार-बार आश्वासन मिल रहा है। नागौर के कलेक्ट्रेट में स्थित सूचना प्रौद्योगिकी सभागार में जिला
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आज जिला स्तरीय जनसुनवाई में राजस्व विभाग के 15, नगर परिषद के 10, पीएचईडी के 11, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के 7,पीडब्ल्यूडी के 6 सहित कुल 64 परिवाद प्राप्त हुए। जनसुनवाई में जिले के सभी उपखंड अधिकारी और ब्लॉक स्तरीय अधिकारी वीसी के माध्यम से जुड़े रहे। नागौर के अजमेरी गेट इलाके के रहने वाले हाजी शौकत खान ने बताया कि अजमेरी गेट इलाके में नगर परिषद ने बताया कि खसरा नंबर 385 नगर परिषद की सरकारी भूमि होने के बावजूद भूमाफियों के इशारे पर पट्टे जारी कर दिए गए, जबकि इन जगहों पर पार्क विकसित करना प्रस्तावित था। वहीं दूसरी ओर जिन लोगों के नाम पर पट्टे जारी हुए, भूमाफियाओं ने पट्टे जारी होने के कुछ ही दिनों में वो जगह अपने नाम करवा ली। सरकार ने जांच करवाई तो सच्चाई बाहर आ गई, इसके बाद वहां नगर परिषद का बोर्ड लगाने के निर्देश जारी हो गए लेकिन आज भी उस जगह भूमाफियाओं का कब्जा है।
इसी तरह साडोकन गांव से आए 71वर्षीय गौसेवक हरकाराम जाट ने बताया कि उनके गांव में 500 बीघा से अधिक गोचर-अंगोर भूमि पर दबंगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। 13 नवंबर 2013 को हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए 3 माह में इस अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद आज तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। 2019 में हाईकोर्ट ने आदेशों की अवमानना करने संबंधी नोटिस भी जारी किया था, लेकिन प्रशासन आंखें मूंद कर बैठा है। हरकाराम का कहना है कि उनकी लड़ाई निजी नहीं है, मूक जानवरों के हितों के लिए है। सरकार और सरकारी प्रतिनिधियों के दर पर चक्कर काटते-काटते जूतियां घिस गई हैं। उम्र ज्यादा होने की वजह से अब शरीर में भी खाक छानने की ताकत नहीं बची है।
मेड़ता तहसील के आकेली निवासी पांचाराम अपनी पुश्तैनी भूमि के सीमाज्ञान व कब्जा दिलवाने की मांग को लेकर संभागीय आयुक्त के दर पर पहुंचा। यहां पांचाराम की 81 वर्षीय बूढ़ी मां भी साथ में पहुंची और जमीन का हक दिलाने की मांग के कागजात अफसरों को दिखाए। पांचाराम ने बताया कि वह 3 सालों से सरकारी दफ्तरों व मुख्यमंत्री कार्यालय के चक्कर लगा रहा है। पिछली सरकार में प्रशासन शहरों के संग शिविर में सीमाज्ञान नि:शुल्क कराने का दावा सरकार की ओर से किया गया, लेकिन उसे नियमों के तहत मशीन से मेपिंग कराने के लिए भारी भरकम राशि जमा कराने को कहा गया। भू-प्रबंध अधिकारी अजमेर से सीमाज्ञान के आदेश के बाद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और अब उसके हक की जमीन पर कब्जा भी नहीं मिल रहा। पांचाराम ने बताया कि वह राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, पंचायतीराज मंत्री, मुख्य सचिव लोकायुक्त, एसीबी के महानिदेशक, संभागीय आयुक्त व पुलिस महानिदेशक तक को पीड़ा जता चुका है।
इन प्रकरणों के अलावा बाबा गार्डन के पीछे और बासनी गांव की महिलाओं ने पेयजल संकट को लेकर परिवाद पेश किया। ग्रामीण इलाकों में विद्युत कटौती, कलक्ट्रेट निवास के पीछे रास्ते की जमीन पर दुकान का अवैध पट्टा देने, ताऊसर में मंदिर का मुख्य गेट उखाड़ने के मामले और मेघवाल समाज की श्मशान भूमि के रास्ते विवाद के बारे में संभागीय आयुक्त को शिकायत की गई। संभागीय आयुक्त ने हर बार की तरह समाधान करने का आश्वासन दिया। इस दौरान जिला कलक्टर अरूण कुमार पुरोहित, एएसपी सुमित कुमार, एडीएम चंपालाल जीनगर, सभापति मीतू बोथरा समेत सभी विभागों के प्रमुख अधिकारी भी मौजूद रहे।