शिविर में बताई भोजन और अनुशासन की महत्वपूर्ण बातें: अनुशासन को जीवन में अपनाएं और घर, परिवार, समाज में अच्छा संदेश दे: परमालय – Jaipur Headlines Today News
भवानी निकेतन में नया दृष्टिकोण वाले शिविर में भोजन और अनुशासन की महत्वपूर्ण बातें बताई गई।
हमारा जीवन अनुशासन से चलता है। जीवन में कुछ भी काम करना होगा तो उसके लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है। यदि हम स्वयं अनुशासन में रहेंगे तो हीं हमारे घर का हर सदस्य अनुशासन में रहेंगा। हम अनुशासन में रहकर छोटे बड़ों को फॉलो करते हैं। अनुशासन से ही हम अपन
.
इस मौके पर संजय महेश्वरी अजय मित्तल, कमल सोमानी, नरेंद्र वेद, आलोक तिजारिया, राजेश नागपाल बिल्ला प्रणामी राजेश नागपाल ने भी परमालय का साफा और शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। शिविर के आयोजन में मुख्य सहयोगी कोगटा फाउंडेशन के राधा किशन कोगटा और जीनस ग्रुप के आईसी अग्रवाल, नीमच से आए शिव, कोलकाता से आदित्य निमानी ने भी परमालय का साफा, दुपट्टा और माला पहना कर अभिनंदन किया। इस मौके पर उपस्थित साधकों में परमालय से मिलने के लिए लोगों में उत्सुकता दिखी। समय का अभाव होने के कारण उन्होंने मंच से ही सबका आभार जताया है और हर्षोल्लास व तालिया की गड़गड़ाहट के बीच विदाई ली। उपस्थित हजारों लोगों ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत करते हुए इसी वर्ष पुन: शिविर लगाने का आग्रह किया।
जो ऊर्जा से भर दे, ऐसे विचार और भोजन जरूरी
शिविर के प्रमुख आयोजक सदस्य संजय महेश्वरी, आलोक तिजारिया, अजय मित्तल ने बताया कि इसके बाद अपने संबोधन में परमालय ने बताया कि हमारा भोजन मां के दूध जैसा ही होना चाहिए। जैसे मां का दूध पौष्टिक और पचने वाला होता है, वैसा ही हमारा भोजन भी ऐसा होना चाहिए जो हमारे शरीर को ऊर्जा से भर दे और शीघ्रता से हजम हो जाए। इससे हमारा शरीर पचा पाए और ब्रेन की ऊर्जा को बढ़ाएं। उन्होंने नियमित रूप से सुबह के नाश्ते दोपहर के भोजन और शाम के भोजन के समय का सही निर्धारण करने के लिए भी कहा।
ऐसा होना चाहिए हमारा भोजन
शिविर के मीडिया प्रभारी राजेश नागपाल ने बताया कि भोजन के बारे में बताते हुए परमालय ने कहा कि सुबह सबसे पहले हम जो ब्रेकफास्ट करते हैं, उसे ईमानदारी से करना चाहिए। सुबह का ब्रेकफास्ट एल्कलाइन होना चाहिए। क्योंकि सुबह सूरज की किरणें बहुत तेज नहीं होती और दोपहर का भोजन स्ट्रॉन्ग एसिडक होना चाहिए। दोपहर में सूर्य की किरणें सबसे ज्यादा तेज होती है और वह स्ट्रॉन्ग एसिड और स्ट्रांग एल्कलाइन को पचा सकती है। उन्होंने लार से जुड़े हुए सूत्रों को बताते हुए कहा कि जैसे दाल और चावल को साथ में नहीं खाना चाहिए, उनकी लार अलग-अलग होती है
शाम को पेय पदार्थ का ही उपयोग करना चाहिए। नहीं तो फलों का उपयोग भी कर सकते हैं। फिर भी ज्यादा आवश्यकता हो तो लौकी से बने पदार्थ ले सकते हैं। क्योंकि शाम को सूर्यास्त का समय होता है और सूरज की किरणें कमजोर होती हैं। उन्होंने लार को मजबूत करने के सूत्र देते हुए कहा कि हमें दिन में सिर्फ 3 बार ही मुंह झूठा करना चाहिए। एक बार सुबह, एक बार दोपहर को और एक बार शाम को, तभी हम अपनी लार को मजबूत कर पाएंगे।
परमालय ने बताया कि सूर्य हमारा परमपिता है और इसी से हम जीवित हैं। वही हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है अगर वह नहीं हो तो हम भी नहीं रहेंगे। इसलिए हमें सुबह सूर्य से पहले जगना चाहिए यह अनुशासन पूर्वक करने से व्यक्ति अपने जीवन को विकसित कर सकता है। राजेश नागपाल ने बताया उपस्थित हजारों लोगों ने आज अंतिम दिन पूरे भाव और उल्लास के साथ नृत्य किया झूमे नाचे और उसके बाद सभी ने अल्कलाइन नाश्ता किया। शिविर स्थल पर हजारों लोग उपस्थित थे तथा अंतिम दिन होने पर सभी के चेहरे उदास हो गए और उसकी तो आंखों में आंसू भी आने लगे।मंच से शिवर आयोजन समिति के सदस्यों ने भवानी निकेतन प्रबंध समिति का धन्यवाद किया तथा स्थल निशुल्क उपलब्ध कराने पर उनका सम्मान भी किया।