यहां 6 संतों ने ली थी जिंदा समाधि,बिना घोड़े के जयपुर से चलकर पहुंचा था रथ
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दौसा. धार्मिक स्थानों से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित होती हैं फिर वो चाहें किसी भी धर्म के हों. दौसा ज़िले में भी ऐसे अनेक धर्मस्थल हैं, जिनकी अपनी पहचान और इतिहास है. इन सबके बीच एक स्थान ऐसा है, जिसके साथ कई तरह के रोचक किस्से और विश्वास जुड़े हुए हैं. ज़िले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम से करीब 20 किलोमीटर दूर हिंगवा गांव में नाथ समाज की प्रमुख गद्दी रखी हुई है. यहां कई संत महात्मा रहे हैं. इस स्थान से जुड़े कई रोचक और चमत्कारिक किस्से हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं यहां करीब 6 महात्माओं ने जीते जी समाधि ली. यहां किस तरह के चमत्कारों पर लोग विश्वास करते हैं. हिंगवा के स्थानीय निवासी लोकेश, राहुल ,रामधन छोटूराम से जब इस बारे में बात की गयी तो वो बताते हैं जयपुर के राजा सवाई मानसिंह करीब 1800 वर्ष पहले यहां दर्शन करने आए थे. तब उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाना शुरू किया था. लेकिन मंदिर निर्माण एक बार में पूरा नहीं हुआ. कई बार में अलग-अलग भाग में इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप बन सका. योगी रामेश्वर ने बताया राजस्थान की नाथ समाज की पहली पीर गद्दी इस गांव में स्थापित है. देश और प्रदेश से नाथ समाज के लोग यहां आकर दर्शन करते हैं. अब आपको बताते हैं इस स्थान से किस तरह के चमत्कारों की बातें जुड़ी हैं.
सुजाननाथ महाराज ने दो बार ली समाधि!
समाधि का एक रोचक किस्सा लक्ष्मण नाथ सुनाते हैं. वो बताते हैं इस गद्दी पर कई महाराज रहे हैं. यहां 58 समाधि स्थल बने हुए हैं. इनमें छह महाराजाओं ने जीवित रहते ही समाधि ली. नाथ ने बताया इनमें सुजान नाथ महाराज ने सबसे पहले समाधि ली थी. इसकी भी किंवदंति है. कहते हैं वो यहां से समाधि लेकर जमीन के अंदर से चलकर सबसे पहले कालवान गांव जाकर निकले. लोगों से पूछा यह कौन सा गांव है! पहाड़ी पर पशु चरा रहे चरवाहों ने बताया यह कालवान गांव है. सुजाननाथ महाराज ने दोबारा वहां ज़मीन के अंदर ही समाधि ले ली और फिर हिंगवा गांव के पहाड़ के पास निकले. यहां आज भी लोग पूजा करते हैं.
ओलों की दिशा बदल दी
गांव के काडू राम और बाबूलाल मीणा एक और किस्सा सुनाते हैं. वो बताते हैं काफी साल पहले उनके गांव के लोग गंगा स्नान के लिए गए थे. गंगा में स्नान करते समय यहां के महाराज ने गांव में जोरदार ओलावृष्टि की भविष्यवाणी की. डरे हुए ग्रामीणों ने फसल बचाने की गुहार लगाई तो महाराज ने चमत्कार किया! महाराज जी ने इनाम में मिली मंदिर की ज़मीन पर ही सारे ओले बरसवा दिए. गांव में कहीं और एक भी ओला नहीं गिरा और सारी फसल सुरक्षित बच गयी. इस चमत्कार को गांव के लोग आज भी मानते हैं और अब भी गांव से बाजरे और गेहूं की फसल महाराज के यहां पहुंचायी जाती है.
जयपुर से बिना घोड़े के आया था रथ
स्थानीय ग्रामीण रामधन कन्हैया मीणा और गद्दी पर आसीन लक्ष्मण नाथ एक और किस्सा सुनाते हैं. वो बताते हैं हिंगवा गांव के बाबा किशन नाथ महाराज जयपुर के राजा के पास गए थे. उन्होंने जयपुर के महाराजा को आशीर्वाद दिया था. इससे खुश होकर महाराजा ने किशन नाथ महाराज को अपना रथ भेंट कर दिया था लेकिन मजाक के तौर पर उन्होंने बिना घोड़े का रथ ले जाने के लिए कहा. अविश्वसनीय बात यह हुई कि किशन महाराज रथ पर सवार हो गए और रथ से कहा अब आप चलिए. उनका आदेश सुनते ही बिना घोड़े के ही रथ रवाना हो गया और जयपुर से सीधे हिंगवा आकर रुका. यह रथ आज भी मंदिर के अंदर रखा है. हालांकि अब रथ धीरे-धीरे खराब हो रहा है. इसके पहिए अब नहीं हैं.
(Disclaimer: न्यूज़18 इस कहानी के तथ्यों को प्रमाणित या पुष्टि नहीं करता है. गद्दी पर आसीन महाराज लक्ष्मण नाथ के अनुसार यह स्थानीय मान्यताओं एवं विश्वासों पर आधारित फैक्ट्स हैं, इनके वैज्ञानिक आधार की पुष्टि नहीं की गयी है.)
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FIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 14:53 IST