महाराष्ट्र से राजस्थान में शिफ्ट हो रही ड्रग फैक्ट्री: मुंबई में छापों के बाद प्रदेश के 3 जिलों में फैलाया नेटवर्क, यहीं तैयार हुई 250 करोड़ की MD

राजस्थान सबसे कुख्यात नशा MD ड्रग तैयार करने की बड़ी फैक्ट्री बनता जा रहा है। बीते चार साल में महाराष्ट्र में सख्ती और ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद भागे तस्करों ने प्रदेश के 3 जिलों में अपनी जड़ें जमा ली हैं।

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राजस्थान के जो तस्कर मुंबई से चोरी छिपे MD ड्रग खरीदकर लाते थे, उन्ही के जरिए बड़े माफियाओं ने जालोर, जोधपुर और सिरोही के कई गांवों में एमडी ड्रग बनाने की फैक्ट्रियां खोल ली हैं। इन फैक्ट्रियों में तैयार 250 करोड़ की MD ड्रग्स तो महज 3 महीने में ही पकड़ी जा चुकी है।

हाल ही में एक माफिया मुंबई में रेड के बाद MD ड्रग बनाने वाली फैक्ट्री के पूरे इक्विपमेंट खोलकर जोधपुर ले आया था। उसकी प्लानिंग आस-पास कई गांव-ढाणियों में इंस्टॉल कर 10 नई फैक्ट्रियां शुरू कर ने की थी।

इस खुलासे के बाद भास्कर ने MD ड्रग के पूरे नेटवर्क की पड़ताल की। पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में….

फलोदी से हुई थी MD ड्रग की राजस्थान में एंट्री

एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की जांच में एमडी की सबसे पहले एंट्री करीब 7 साल पहले फलोदी में हुई, यहां से लोहावट, सांचौर और जोधपुर में सप्लाई होना शुरू हुई।

तस्कर महाराष्ट्र और गुजरात से MD खरीदकर लाते और सबसे ज्यादा जोधपुर, जयपुर, कोटा में स्टूडेंट्स, युवाओं को निशाना बनाते। यह नशा बड़ी तेजी से राजस्थान में फैला।

ड्रग माफिया महाराष्ट्र से फैक्ट्रियों के इक्वीपमेंट खोलकर ला रहे हैं।

ड्रग माफिया महाराष्ट्र से फैक्ट्रियों के इक्वीपमेंट खोलकर ला रहे हैं।

क्यों राजस्थान का रुख कर रहे ड्रग माफिया?

सात साल में जिस तरह से राजस्थान में एमडी की खपत होने लगी थी, इतनी आपूर्ति महाराष्ट्र और गुजरात से नहीं हो रही थी।

वर्ष 2023 के खत्म होते हुए महाराष्ट्र व गुजरात में एमडी ड्रग और इसके माफिया पर काफी सख्ती हो गई। ऐसे में ज्यादातर ड्रग पैडलर ने अपनी प्रोडक्शन लैबों को जोधपुर, सांचौर, भीनमाल, सिरोही, जालोर के इलाकों में स्थापित करना शुरू कर दिया।

राजस्थान व गुजरात के बॉर्डर पर आने वाले 20 से ज्यादा क्षेत्र में यहां अभी भी लैब में एमडी तैयार हो रहा है।

तस्करों के जरिए नेटवर्क, फरवरी से आए रडार पर

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहले राजस्थान के तस्कर MD खरीदने के लिए मुंबई के पैडलर से संपर्क करते थे। पिछले 3-4 साल में महाराष्ट्र पुलिस की लगातार छापेमारी के बाद माफियाओं ने वहां से भागना शुरू कर दिया। राजस्थान के तस्करों के जरिए जालोर, जोधपुर और बाड़मेर जैसे जिलों में फैक्ट्रियां खोल दीं।

भनक लगने पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक्टिव हो गया और माफियाओं पर नजर रखना शुरू कर दिया था। सबसे पहली लीड गुजरात पुलिस की एटीएस के डीएसपी एसल चौधरी को फरवरी 2024 में मिली। उन्हें तस्करों-माफियाओं के रूट की पूरी जानकारी मिल गई थी। फिर योजनाबद्ध तरीके से रेड प्लान की गई।

एनसीबी की रेड में पकड़े गए तस्कर। यह तस्वीर जोधपुर के मोगड़ा खुर्द गांव में कार्रवाई के दौरान की है।

एनसीबी की रेड में पकड़े गए तस्कर। यह तस्वीर जोधपुर के मोगड़ा खुर्द गांव में कार्रवाई के दौरान की है।

अप्रैल महीने में सबसे बड़ी छापेमारी एक साथ गुजरात और राजस्थान के तीन ठिकानों पर की गई। अबतक तीन बड़ी कार्रवाई में 250 करोड़ से ज्यादा की MD पिछले तीन महीने में पकड़ी जा चुकी है। वहीं 10 से ज्यादा फैक्ट्रियों का खुलासा हो चुका है। 2024 में करीब 300 करोड़ की एमडी ड्रग व इसके केमिकल को जप्त किया जा चुका है।

तीन महीने, तीन बड़ी कार्रवाईयां, 3 फैक्ट्रियां पकड़ी, एक गोदाम और एक जगह मिले उपकरण

28 अप्रैल 2024 : सिरोही में पकड़ी 50 करोड़ की MD, फैक्ट्री देख चौंकी राजस्थान पुलिस

राजस्थान में एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री देख पुलिस उस समय चौंक गए जब गुजरात एटीएस व जोधपुर एनसीबी ने सिरोही के लोटीवाड़ा बड़ा गांव में छापा मारा। यहां एक खेत में ड्रग्स की फैक्ट्री चल ही थी। मौके से पुलिस ने 50 करोड़ की ड्रग जब्त की। रगाराम मेघवाल के खेत में MD ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री चलाने वाले दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया।

मौके पर तैयार 12 किलोग्राम (मैथ ड्रग्स) जब्त की। साथ ही करीब 60 किलोग्राम (लिक्विड फॉर्म में सेमी प्रोसेस्ड मैथ) व ड्रग्स बनाने के केमिकल्स व उपकरण जब्त किए गए। इसकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपए बताई गई। इस ड्रग्स की खेप को गुजरात व अन्य राज्यों और राजस्थान राज्य के विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने के लिए तैयार किया था।

लोटीवाड़ा बड़ा गांव में रेड के दौरान मिली एमडी बनाने की फैक्ट्री ने एजेंसियों को चौंका दिया।

लोटीवाड़ा बड़ा गांव में रेड के दौरान मिली एमडी बनाने की फैक्ट्री ने एजेंसियों को चौंका दिया।

दूसरी रेड ओसियां में, मिला ड्रग बनाने का माल : 28 अप्रैल को ही जोधपुर एनसीबी ने ओसियां में एक एमडी बनाने वाली फैक्ट्री पर दबिश दी। यहां से टीम को एमडी तो नहीं मिली लेकिन उसे बनाने का सामान मिला। यहां से ओसियां जोधपुर निवासी रामप्रताप को गिरफ्तार किया था। यह मेडिकल स्टोर संचालक भी है।

12 मई 2024 : सर्विस सेंटर की आड़ में MD ड्रग्स की फैक्ट्री

मुंबई पुलिस ने जोधपुर के मोगड़ा में दबीश देकर एक एमडी फैक्ट्री को पकड़ा। इस फैक्ट्री के गोदाम से करीब 200 करोड़ की एमडी व केमिकल बरामद किया गया। इस फैक्ट्री को पुणे का सबसे कुख्यात ड्रग पैडलर प्रशांत पाटिल चला रहा था। पुलिस ने पुणे से प्रशांत पाटिल को गिरफ्तार किया वहीं मोगड़ा से हुकमाराम जाट (40) पुत्र भारमल को गिराफ्तार किया था। पूछताछ में हुकमाराम ने बताया कि उसने झालामंड में एक गोदाम भी बना रखा है।

जोधपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर मोगड़ा खुर्द गांव में राजस्थान की सबसे बड़ी 200 करोड़ की खेप पकड़ी गई।

जोधपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर मोगड़ा खुर्द गांव में राजस्थान की सबसे बड़ी 200 करोड़ की खेप पकड़ी गई।

29 मई 2024 : मुंबई से फैक्ट्री का सामान खोलकर लाए तस्कर, 10 जगह लगाने की थी तैयारी

लगातार मुंबई पुलिस, नारकोटिक्स ब्यूरो और गुजरात पुलिस की छापेमारी के बाद जोधपुर भी एक्टिव हुई। तस्करों से ही पुलिस को इनपुट मिला कि महाराष्ट्र से एमडी ड्रग्स की फैक्ट्रियों के इक्वीपमेंट जोधपुर लाए गए हैं। इस पर विवेक विहार पुलिस ने शेखनाड़ा गांव के बॉर्डर पर एक सुनसान मकान में छापा मारा तो वहां एमडी ड्रग बनाने की पूरी लैबोरेट्री और कई उपकरण देखकर चौंक गई।

इस सामान को किसी चालू फैक्ट्री से खोलकर लाया गया था। इक्विपमेंट की संख्या इतनी है कि इससे 10 फैक्ट्री स्थापित की जानी थी। इससे पहले ही पुलिस को इसकी भनक लग गई और सामान जब्त कर लिया।

जोधपुर की विवेक विहार पुलिस की कार्रवाई में पकड़े गए एमडी तैयार करने वाले इक्वीपमेंट।

जोधपुर की विवेक विहार पुलिस की कार्रवाई में पकड़े गए एमडी तैयार करने वाले इक्वीपमेंट।

इस मामले में भी मोगड़ा निवासी हुकमाराम और पुणे के माफिया प्रशांत पाटिल की भूमिका सामने आई है। पुलिस ने मामले में चार लोगों प्रशांत पाटिल, मोगड़ा निवासी हुकमाराम, मोगड़ा के खीचड़ों की ढाणी निवासी राकेश खीचड़ और सांचौर निवासी रमेश विश्नोई के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

महाराष्ट्र में चालू फैक्ट्री को किया जा रहा शिफ्ट

विवेक विहार पुलिस की जांच में सामने आया कि ड्रग माफिया महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से ड्रग बनाने वाली चालू फैक्ट्रियों को जोधपुर व आस-पास इलाकों में शिफ्ट कर रहे हैं। हाल में पकड़ी गई शेखनाड़ा गांव की फैक्ट्री से पुलिस का शक और गहरा गया है।

क्योंकि यहां के सामान में ताजा बनाए हुए एमडी ड्रग के अवशेष मिले हैं। साथ पूरा सामान कुछ ही दिन पहले खोल कर लाए जाने का आभास हो रहा है।

जोधपुर की विवेक विहार थाना पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि ड्रग माफिया राजस्थान में बहुत तेजी से फैक्ट्रियां इंप्लांट कर रहे हैं।

जोधपुर की विवेक विहार थाना पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि ड्रग माफिया राजस्थान में बहुत तेजी से फैक्ट्रियां इंप्लांट कर रहे हैं।

पुलिस जांच में खुलासा : जोधपुर में 10 से ज्यादा हो सकती हैं ड्रग फैक्ट्री

पुलिस का अनुमान है कि जोधपुर और संभाग के अन्य जिलों में तेजी से एमडी ड्रग की सप्लाई बढ़ने लगी है। पुलिस सूत्रों की मानें तो क्षेत्र में ऐसी फैक्ट्रियों की संख्या 10 से ज्यादा हो सकती है। क्योंकि दो फैक्ट्री और एक गोदाम सामने आ चुके हैं और तीसरी फैक्ट्री को स्थापित होने से पहले ही पकड़ी जा चुकी है। यहां से बड़े पैमाने पर एमडी बनाने का सामान मिला है।

NCB को पता चला तस्करी का रूट

एमडी के लिए तस्कर/माफिया मुंबई और राजस्थान के बीच बड़ा सेंटर अहमदाबाद है। अहमदाबाद से डीसा- धानेरा होते हुए सांचौर के रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

जोधपुर, जालोर व सिरोही तस्करों के लिए इसलिए मुफीद है क्योंकि महाराष्ट्र से सीधे कनेक्ट हैं। यह व्यापार का पुराना रूट भी रहा है। इन तीनों जिलों से मुंबई जाने के लिए आसानी से यातायात संसाधन भी उपलब्ध हैं।

डोडा पोस्त, अफीम से लेकर MD ड्रग के नशे के सबसे कुख्यात तस्कर भी इन्ही इलाकों में ज्यादा सक्रिय हैं।

सुनसान इलाकों में बन रहा नशे का सामान

एनसीबी के जोनल डायरेक्टर घनश्याम सोनी ने बताया कि अभी तक जोधपुर में तीन ड्रग फैक्ट्री सामने आ चुकी हैं। इन सभी फैक्ट्रियों को सुनसान जगहों, खेतों में ऐसी जगह लगाया गया था, जहां लोगों की आवाजाही न के बराबर थी। ये फैक्ट्रियां आबादी क्षेत्र से भी दूर लगाई गई थी। ड्रग बनाने में एक या दो माहिर लोगों की जरूरत होती है। इसलिए आम लोगों को शक भी नहीं होता।

मोगड़ा खु्र्द में जो फैक्ट्री पकड़ी गई वो सर्विस सेंटर की आड़ में चलाई जा रही थी।

मोगड़ा खु्र्द में जो फैक्ट्री पकड़ी गई वो सर्विस सेंटर की आड़ में चलाई जा रही थी।

सबसे बड़ा कारण यह है कि एमडी ड्रग बनाते समय जो केमिकल इस्तेमाल होते हैं उसकी बदबू फैलने की संभावना रहती है। इसलिए ड्रग माफियाओं ने यहां के तस्करों को ही साथ मिलाकर उनकी जगहों पर फैक्ट्रियां बनाईं। ये माफिया मेहंदी के कोन बनाने की फैक्ट्री, सर्विस सेंटर की आड़ में नशा तैयार कर रहे हैं।

पहले समझा जाता था साधारण कैमिकल, दो जगहों से आती है खेप

नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि 2015 के बाद MD ड्रग को NDPS के क्राइम में लिया गया। इससे पहले इसे साधारण केमिकल समझा जाता था।

एमडी के लिए मेथमफेटामाइन केमिकल वापी व अंकलेश्वर से आता है। माफियाओं ने इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा फर्जी जीएसटी नम्बर की फर्म बनाई हुई हैं। जिससे एमडी बनाने के लिए केमिकल खरीदा जाता है।

समुद्री तट से सटे गुजरात के वापी और अंकलेश्वर में माफिया एमडी बनाने वाला रसायन बेखौफ होकर खरीद रहे हैं।

समुद्री तट से सटे गुजरात के वापी और अंकलेश्वर में माफिया एमडी बनाने वाला रसायन बेखौफ होकर खरीद रहे हैं।

मास्टरमाइंड प्रशांत पाटिल खोलेगा राज

जोधपुर में एमडी ड्रग फैक्ट्री खोलने का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड पुणे का रहने वाले प्रशांत पाटिल है। प्रशांत पाटिल मुंबई का कुख्यात ड्रग पैडलर है। आरोपी ने केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री कर रखी है और लैब में MD ड्रग बनाने का पूरा फार्मूला जानता है। पिछले साल 31 दिसंबर को मुम्बई में अलग-अलग क्षेत्र में एमडी ड्रग के साथ बड़ी पार्टियों का आयोजन होने वाला था।

यह टिप मिलने के बाद मुंबई एनसीबी व पुलिस की रडार पर सभी ड्रग पैडलर आ गए थे। उन्हीं से सूचना मिली थी कि मुंबई से सभी ड्रग पैडलर को प्रशांत पाटिल ड्रग की सप्लाई करता है।

जोधपुर का हुकमाराम जाट, माफिया प्रशांत पाटिल का सबसे बड़ा पार्टनर बताया जता है।

जोधपुर का हुकमाराम जाट, माफिया प्रशांत पाटिल का सबसे बड़ा पार्टनर बताया जता है।

इसके बाद मुंबई पुलिस ने प्रशांत पाटिल को करोड़ों रुपए के ड्रग के साथ पकड़ा था। प्रशांत पाटिल के पकड़े जाने से चार महीने पहले ही उसने जोधपुर के मोगड़ा में ड्रग बनाने की फैक्ट्री डाली थी। अब जोधपुर पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर लाने की तैयारी कर रही है, उसके बाद कई राज खुलने की संभावना है।

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