मंच पर उतरा नारी का सामजिक संघर्ष: ‘लोहा कुट्ट’ में कभी भावनाओं का ज्वार उमड़ा तो कभी सामने आई सामजिक बेड़ियों की व्यथा – Sriganganagar Headlines Today News

श्रीगंगानगर के राष्ट्रीय कला मंदिर में नाटक का मंचन करते कलाकार।
पंजाबी में बेहतरीन संवाद अदायगी, हर दृश्य के साथ कलाकारों के चेहरे पर बदलते भाव, सामजिक ताने-बाने में ढली पंजाब की लोक संस्कृति। शनिवार को शहर के राष्ट्रीय कला मंदिर परिसर में कुछ ऐसा ही माहौल था। मौका था जोरा क्रिएशन की ओर से राष्ट्रीय कला मंदिर सभा
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श्रीगंगानगर के राष्ट्रीय कला मंदिर में नाटक का मंचन करते कलाकार।
नाटक के कलाकारों ने सत्तर के दशक के लुहार परिवार की कहानी के जरिए नारी पर सामाजिक प्रतिबंधों को दिखाया। परिवार की युवती की प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत दिखाकर इसके जरिए नारी के सामजिक बेड़ियों में जकड़े होने का मंचन किया गया। कलाकारों ने अपने किरदारों में डूबकर उन्हें कुछ इस तरह मंच पर उतारा कि हर दृश्य के बाद हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

श्रीगंगानगर के राष्ट्रीय कला मंदिर में नाटक का मंचन करते कलाकार।
बलवंत गार्गी के लिखे और विजय जोरा निर्देशित नाटक में गौरव बलाना, ममता पुरी, ऐशदीप कौर, अर्जुन बलाना, विक्रम मोंगा, दीपिका मोंगा, ऋतुसिंह, भव्य गुप्ता और राकेश मोंगा ने भूमिकाएं निभाईं।

श्रीगंगानगर के राष्ट्रीय कला मंदिर में नाटक मंचन के दौरान मौजूद लोग।
रंगकर्मी भूपेंद्रसिंह की स्मृति में हुए आयोजन के मुख्य अतिथि टांटिया युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. आरके बिश्वास थे। अध्यक्षता डॉ.एनपी सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ.रवनीत कौर, कुमुद गुप्ता, परमजीतसिंह सूफी और सन्नी थिंद थे। कार्यक्रम