मंगलवार और चतुर्थी का योग 25 जून को: गणेश जी के साथ ही हनुमान जी और मंगल ग्रह की करें पूजा, लाल मसूर का करें दान
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25 मिनट पहले
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मंगलवार, 25 जून को आषाढ़ मास का पहला चतुर्थी व्रत है। मंगलवार को चतुर्थी होने से इसे अंगारक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस तिथि पर घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से व्रत किया जाता है। मंगलवार और चतुर्थी के योग में गणेश जी के साथ ही हनुमान जी और मंगल ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं, इसी तिथि पर गणेश ने अवतार लिया था। एक माह में दो चतुर्थियां आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। गणेश जी के भक्त इन दोनों चतुर्थियों पर व्रत रखते हैं। इस व्रत में भक्त दिनभर निराहार रहते हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद गणेश पूजा करके व्रत पूरा करते हैं।
ऐसे कर सकते हैं गणेश जी की सरल पूजा
गणेश जी को जल, दूध और फिर जल से स्नान कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। चंदन का तिलक लगाएं। दूर्वा, चावल, जनेऊ सहित अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। लड्डू और फलों का भोग लगाएं।
गणेश जी के 12 नाम वाले मंत्रों का जप कम से कम 108 बार करें। गणेश जी के मंत्र- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
धूप-दीप जलाकर गणेश जी की आरती करें। अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
मंगल देव हैं नौ ग्रहों के सेनापति
ज्योतिष में मंगल देव को ग्रहों का सेनापति माना गया है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। अंगारक चतुर्थी पर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी के बाद मंगल ग्रह की पूजा करें।
मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग का अभिषेक करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल के साथ ही लाल फूल भी चढ़ाना चाहिए। मंगल देव को लाल गुलाल चढ़ाएं। मंगल देव की भात पूजा खासतौर पर की जाती है। भात पूजा में शिवलिंग का पके हुए चावल से श्रृंगार करना चाहिए। ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जप करते हुए शिव पूजा करें।
जिन लोगों की कुंडली मंगल ग्रह से संबंधित दोष हैं, उन्हें मंगलवार को लाल मसूर का दान करना चाहिए।
मंगलवार को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। मंगलवार को ही हनुमान जी का अवतार हुआ था, इस वजह से हर मंगलवार हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है।