भ्रष्टाचार का मामला: एमडी के सलाहकार भ्रष्ट महेश गुप्ता ने रिश्वत के नोट गिनने केलिए मशीन खरीदी, उसी से एसीबी ने गिनी घूस की काली कमाई – Jaipur Headlines Today News
जिस बैग में हाथ डाला, नोट निकले।
राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड (आरएसआरडीसी) में संविदा पर लगे महेश गुप्ता को पकड़ने के बाद एसीबी उसके घर गोनेर रोड स्थित घर पहुंची। सर्च के दौरान नोट गिनने की मशीन, एक कार्टन में डिजीटल लॉकर व सूटकेस में नोट भरे थे। गुप्ता के घर मे
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अब एसीबी ने उसी मशीन से नोट गिने। देर रात तक एसीबी ने ~99 लाख जब्त किए। घर से 650 ग्राम सोना और 4 किलो चांदी भी मिली, जिनकी कीमत 50 लाख बताई जा रही है। प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी मिले हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर सियाराम के घर से 31 लाख और अन्य सामान मिला। सियाराम जयपुर में ससुर के घर में एक कमरे में रहता था। धौलपुर स्थित घर भी सर्च जारी है।
गुप्ता के ट्रैप की सूचना मिलते ही ठेकेदार आरएसआरडीसी पहुंचे
गुप्ता के ट्रैप होने की सूचना फैलते ही जयपुर और आसपास के कई ठेकेदार आरएसआरडीसी ऑफिस व एसीबी पहुंच गए। इनमें शामिल सीकर के ताराचंद सैनी बोले कि टोल प्लाजाओं के टेंडर में भी बड़ा घोटाला हो रहा है। एसीबी को शिकायत भी दे चुका हूं। एसीबी के डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि इनपुट की तस्दीक से पता चला कि मामला पूरे राजस्थान से जुड़ा है। सोमवार को पूरे राजस्थान की टीमों को अलर्ट रखा था। एसीबी के एएसपी हिमांशु की टीम ने ट्रैप की कार्रवाई की।
Insight – घूस का एक्सटेंशन क्यों?
गुप्ता पुराने खिलाड़ी; हर प्रोजेक्ट पर फिक्स थी घूस, बजट एक्स्ट्रा होते ही 10% एक्स्ट्रा चार्ज लगाते
आरएसआरडीसी में भ्रष्टाचार का खेल पिछले 8 माह से चल रहा था। रिश्वत की राशि का निर्धारण रिटायर्ड असिस्टेंट अकाउंट ऑफिसर महेश गुप्ता करता था। खास बात यह है कि मूल विभाग डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी एंड अकाउंट से आरएसआरडीसी में लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर लगा हुआ था।
सेवानिवृत्त होने के बाद एमडी सुधीर माथुर ने इन्हें सलाहकार के पद नियुक्त कर रखा था। अधिकारियों की हर प्रोजेक्ट में रिश्वत की राशि फिक्स थी। प्रोजेक्ट में राशि बढ़वाने की 10% रिश्वत अलग से लगती थी।
रिश्वत की राशि नहीं देने पर ठेकेदारों को एमडी के नाम से धमकाता था
गुप्ता रिश्वत की राशि नहीं मिलने पर ठेकेदारों को एमडी से फर्म ब्लैक लिस्ट कराने और टेंडर से डिबार करने की धमकी देता था। आगे से काम देने के लिए भी मना कर देता था। रिश्वत देने आने वाले लोगों को लग्जरी होटल में ठहराता था। ठेकेदारों और विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टरों-इंजीनियरों से इंटरनेट से बातचीत करता था। प्रोजेक्टर मंजूर करने और बिल पास करने की रिश्वत फिक्स थी। लेकिन कई बार ठेकेदार को घाटा लग जाता तो दूसरे प्रोजेक्ट अधिक दरों में दे देते थे और बदले में 10% अतिरिक्त लेते थे।
प्रोजेक्ट मिलते ही अगर रिश्वत की राशि नहीं दी तो भुगतान अटकना तय होता था
रिश्वत तय होने के बाद ठेकेदार को प्रोजेक्ट मिल जाता था। अगर ठेकेदार प्रोजेक्ट मिलने के बाद रिश्वत देने से मना करता था तो बिलों को अटका देता था। एसीबी की जांच में सामने आया है कि एएओ ठेकेदारों से बोलता था कि साहब नाराज हो रहे हैं। टेंडर के समय तय हुआ कमीशन ही देना होगा। तब तक बिलों का भुगतान नहीं होगा। रिश्वत की यह राशि संबंधित जिले के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और इंजीनियर के जरिए लेता था।
जिस बैग में हाथ डाला, नोट निकले।
धौलपुर-भरतपुर से जयपुर तक भ्रष्टाचार की सड़क; आरएसआरडीसी में घूस की जड़ें कहां तक? एसीबी की जांच जारी
- आरएसआरडीसी में रिटायरमेंट के बाद संविदा पर होने के बावजूद गुप्ता इतना पावरफुल था कि वह जिस कमरे में बैठता, वही उसका ऑफिस बन जाता। वहां के कर्मचारी को दूसरी जगह बैठना पड़ता।
- चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर सेकंड आरके लूथरा फरार है। इसकी भूमिका संदिग्ध होने पर एसीबी ने ऑफिस की तलाशी ली तो बैग में 52 हजार रुपए मिले। मोबाइल बंद कर लिया। श्याम नगर स्थित घर में एसीबी की सर्च जारी है।
एमडी से भी पावरफुल गुप्ताजी! जिस कमरे में बैठ जाए, वही इनका ऑफिस
जेवर भी जब्त
एसीबी ने मशीन से नोट गिने और गुप्ता के घर मिले सोने-चांदी के गहनों को एसीबी ने इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तोले।
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आगे क्या; एसीबी जब्त रिकॉर्ड की जांच कर रही है। पकड़े गए प्रोजेक्ट डायरेक्टरों के अलावा 6 प्रोजेक्ट डायरेक्टर एसीबी के रडार पर हैं। दो माह में जिन भी प्रोजेक्ट डायरेक्टरों ने रिश्वत दी, जांच होगी। ठेकेदारों से ली रिश्वत कहां-कहां बंट रही थी, एसीबी कुंडली खंगालेगी।