बेटी की नौकरी की मन्नत मांगने गए थे वैष्णो देवी: भाई बोले- 72 घंटे तक मौत की खबर छुपाई, आतंकियों ने मेरे परिवार उजाड़ दिए – Rajasthan Headlines Today News

9 जून को जम्मू के कटरा में आतंकियों के हमले से बस खाई में गिर गई थी। इस हादसे में जान गंवाने वालों में जयपुर के भी 4 लोग थे।

जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले ने जयपुर के चौमूं निवासी ओमप्रकाश सैनी से दो परिवार छीन लिए। एक तरफ बेटी पूजा और 2 साल के दोहिते की मौत हो गई तो दूसरी तरफ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले छोटे भाई-भाभी भी इस हमले ने छीन लिए।

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ओमप्रकाश की बेटी पूजा 2 साल के बेटे लिवांश की लंबी उम्र तो छोटा भाई अपनी बेटी की सरकारी नौकरी की मन्नत मांगने वैष्णो देवी गया था। लाखों का लोन लेकर राजेंद्र ने कुछ समय पहले ही नया बिजनेस खोला था। वह अपने लिए नया मकान भी बनवा रहा था, लेकिन मुहूर्त से पहली पत्नी सहित मौत हो गई।

गमगीन माहौल में हम ओमप्रकाश सैनी से मिले तो इस सदमे के बारे में बताते ही बिलख पड़े। बोले- मेरा परिवार उजड़ गया, सुख-दुख का साथी छोटा भाई चला गया।

चौमूं (जयपुर) के पांच्यावाली ढाणी में राजेंद्र सैनी के घर में मातम पसरा है।

चौमूं (जयपुर) के पांच्यावाली ढाणी में राजेंद्र सैनी के घर में मातम पसरा है।

बच्चों से 72 घंटे तक छिपाकर रखा मौत का सच
मंगलवार की सुबह चौमूं के वार्ड नंबर-5 की पांच्यावाली ढाणी स्थित राजेंद्र सैनी (मृतक) के घर दाखिल हुए। वहां बैठे राजेंद्र के बड़े भाई ओमप्रकाश सैनी ने बताया कि रविवार की रात करीब 9.15 बजे उन्हें अपनी बेटी-दोहिते, भाई राजेंद्र और उनकी पत्नी ममता की मौत की मनहूस खबर मिली तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।

ओमप्रकाश सैनी ने बताया कि हादसे में बेटी और दोहिते की मौत हो गई। छोटा भाई और उसकी पत्नी भी नहीं रहे।

ओमप्रकाश सैनी ने बताया कि हादसे में बेटी और दोहिते की मौत हो गई। छोटा भाई और उसकी पत्नी भी नहीं रहे।

मैं बस यही दुआ कर रहा था किसी भी तरह वो सब जिंदा घर लौट आएं, मगर सच को कौन झुठला सकता है। कैसे भी करके उन्होंने इस गम को 72 घंटे तक बच्चों से छुपाकर रखा। ये सदमा बच्चे अचानक से झेल नहीं पाते। मैंने बस अपने आंसू पी लिए, मन ही मन रोता रहा। बस सभी को यही दिलासा देता रहा- सभी का इलाज चल रहा है।

घर के बरामदे में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले राजेंद्र और ममता की बड़ी बेटी वर्षा, दोनों बेटे राहुल और लकी एक चारपाई पर लेटे हुए थे। तभी घर में राजेंद्र के साले दाखिल हुए तो वर्षा ने उनसे सवाल पूछना शुरू कर दिया- आप बताओ ना… पापा-मम्मी कब ठीक होकर आएंगे?

घर के बरामदे में बेसुध पड़े राजेंद्र सैनी (मृतक) के तीनों बच्चे।

घर के बरामदे में बेसुध पड़े राजेंद्र सैनी (मृतक) के तीनों बच्चे।

घर से सड़क पर आया परिवार
ओमप्रकाश ने बताया कि भाई राजेन्द्र ने दो साल पहले लोन लेकर मकान बना रहा था। उसका काम पूरा होने के बाद मुहूर्त करना था। उससे पहले ही राजेन्द्र सैनी और उसकी पत्नी ममता की मौत हो गई। अब पीछे तीन जवान बच्चे रह गए हैं। मंगलवार दोपहर तक उन्हें यह भी मालूम नहीं था कि वे अनाथ हो चुके हैं। घर की दहलीज से पूरा परिवार एक झटके में सड़क पर आ गया है।

एक ही परिवार में 4 मौत के बाद घर का चूल्हा बुझा दिया गया।

एक ही परिवार में 4 मौत के बाद घर का चूल्हा बुझा दिया गया।

लोन लेकर खोली थी रेडीमेड कपड़ों की दुकान
ललित सैनी (राजेंद्र के साले) ने बताया- जीजा राजेन्द्र ने लोन लेकर सरकारी हॉस्पिटल के पीछे गणपति ट्रेडर्स के नाम से रेडीमेड कपड़ों की दुकान खोली थी। डेढ़ बीघा की खेती भी राजेन्द्र के जिम्मे थी, लेकिन उससे परिवार का गुजर-बसर मुश्किल से ही चलता था।

पत्नी ममता के साथ राजेंद्र सैनी। दोनों बेटी की सरकारी नौकरी की मन्नत मांगने वैष्णो देवी दर्शन को गए थे। आतंकी हमले में दोनों की मौत हो गई।

पत्नी ममता के साथ राजेंद्र सैनी। दोनों बेटी की सरकारी नौकरी की मन्नत मांगने वैष्णो देवी दर्शन को गए थे। आतंकी हमले में दोनों की मौत हो गई।

राजेन्द्र की सारी उम्मीद बच्चों के पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी लगने पर ही टिकी हुई थी। घर-परिवार की समृद्धि और बेटी की नौकरी की मन्नत मांगने ही वे माता रानी (वैष्णो देवी) के दर्शन करने जम्मू गए थे, लेकिन किस्मत ने परिवार को एक पल में जुदा कर दिया।

बीएड की पढ़ाई कर रही वर्षा ने 93 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं पास की थी। माता-पिता ने भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही वर्षा को अपने सपने पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया।

वर्ष 2023 में वर्षा ने स्टेनो पद के लिए परीक्षा दी, जिसमें वह डेढ़ अंक से रह गई थी। तब भी पिता राजेन्द्र और मां ममता ने उसे हार को भुलाकर और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया था।

ललित बताते हैं कि वर्षा को अपने माता-पिता का प्यार भी उतना नहीं मिल पाया। पैदा होने के बाद 12 साल तक वर्षा अपने ननिहाल में रही। इसके बाद वह चौमूं में अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी।

शव घर पहुंचे तो बिलख पड़े बच्चे
मुआवजे की मांग को लेकर राजेंद्र और ममता को लेकर परिवार और समाज के लोग दिनभर थाने के बाहर धरने पर बैठे रहे। उधर मंगलवार शाम करीब 4.30 बजे बेटी वर्षा, बेटे राहुल एवं लकी के उस समय पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उनके माता-पिता के शव घर पहुंचे। जैसे ही एम्बुलेंस से शवों को उतारा गया, पूरे घर में मातम छा गया।

चौमूं में मुआवजे की मांग को लेकर दिनभर प्रदर्शन चलता रहा। सहमति होने के बाद ही शवों को घर लाया गया।

चौमूं में मुआवजे की मांग को लेकर दिनभर प्रदर्शन चलता रहा। सहमति होने के बाद ही शवों को घर लाया गया।

हर तरफ से रोने और बिलखने की आवाजें आ रही थीं। परिवार वालों को तीनों बच्चों को संभालना मुश्किल हो गया था। उन्हें समझा पाना उतना ही मुश्किल था जितना तीनों बच्चों का अपने माता-पिता की मौत पर विश्वास करना। बच्चे अपने माता-पिता के शवों से लिपटकर रो रहे थे। बच्चों को देखकर हर कोई आतंकियों की इस नापाक हरकत के लिए कोस रहा था।

पति-पत्नी का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।

पति-पत्नी का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।

लिखित में आश्वासन के बाद माना परिवार
मंगलवार सुबह करीब 11 बजे सभी के शव जम्मू से जयपुर जंक्शन लाए गए थे। ओमप्रकाश की बेटी पूजा (32) की शादी जयपुर के मुरलीपुरा में पवन (32) सैनी से हुई थी। पूजा और उनके बेटे लिवांश (2) के शवों को मुरलीपुरा थाना क्षेत्र में अजमेरा की ढाणी, जयपुर पहुंचाया गया। उधर राजेंद्र सैनी (42) और ममता (40) के शवों को चौमूं ले जाया गया।

शवों के पहुंचते ही मामला गरमा गया। दिनभर चौमूं और मुरलीपुरा थाने के बाहर परिजन चारों मृतक आश्रितों को 50-50 लाख रुपए और सरकारी नौकरी देने की बात पर अड़े रहे। लिखित में कोई आश्वासन न मिलने पर शव घर नहीं ले गए। इस दौरान लोगों ने गाड़ियां रोककर चौराहा जाम करने और दुकानें बंद करवाने की कोशिश की।

शाम को लिखित आश्वासन देने और मांगों पर गंभीरता से विचार करने के वादे पर परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया। घर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद श्मशान में दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में परिवार के साथ आस-पास के गांव-ढाणियों के लोग भी शामिल हुए।

जम्मू में हुआ था हमला, 10 जून को पूजा एक्सप्रेस से थी वापसी
राजेंद्र (मृतक) के परिवार के सदस्यों ने बताया- 5 जून को पवन सैनी, पूजा सैनी, उनका बेटा लिवांश, पूजा के चाचा राजेंद्र सैनी और चाची ममता एक साथ वैष्णो देवी ट्रेन से गए थे। 8 जून को वैष्णो देवी के दर्शन के बाद पवन ने परिवार के लोगों से फोन पर बातचीत की। उन्होंने पिता को बताया कि वह वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं।

इसके बाद 9 जून को पवन और राजेंद्र परिवार के साथ बस से शिव खोड़ी पहुंचे और वहां दर्शन किए। इसके बाद पवन की मामा प्रभु दयाल सैनी से शाम 4:00 बजे फोन पर बात हुई थी।

पूजा सैनी (मृतक) की शादी से पहले की एक तस्वीर।

पूजा सैनी (मृतक) की शादी से पहले की एक तस्वीर।

प्रभु दयाल ने बताया- तब पवन ने बताया कि शिव खोड़ी के दर्शन कर लिए हैं। वह अब बस से कटरा पहुंचेंगे। इसी दौरान आतंकी हमला हो गया। उनकी 10 जून की शाम को 6 बजे की ट्रेन थी। उस ट्रेन से उनको जयपुर पहुंचना था, लेकिन आज शव आए हैं।

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