पानी की किल्लत से गांव के लड़के रह गए कुंवारे: लड़कियां शादी से मना कर देती हैं; 5 शादी के बाद पति को छोड़ गई – Ajmer Headlines Today News
सालों पुराने 2 गांव। 5 हजार से ज्यादा आबादी। यहां लड़कों की शादी नहीं हो पा रही। वजह- पानी की किल्लत।
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सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन ये चौंकाने वाला सच है अजमेर जिले के ‘बलवंता’ और ‘आखरी’ गांव का।
गर्मी से प्रदेश के कई इलाकों में पानी संकट है। लोगों को तीन से चार दिन में पीने का पानी मिल रहा है। इस बीच जब इन दोनों गांव की कहानी सामने आई तो भास्कर टीम बलवंता और आखरी गांव पहुंची।
बलवंता पुष्कर विधानसभा में आता है और अजमेर से इसकी दूरी करीब 20 किलोमीटर की है।
आखरी गांव गेगल एरिया में पड़ता है। जिले का ये आखिरी गांव है, इसलिए नाम भी इसका वैसा ही है। ये अजमेर से करीब 22 किलोमीटर दूर है।
जब इन दोनों गांव में पहुंचे तो यहां की पीड़ा सामने आई। गांव के लोगों ने बताया कि हालात ये है कि मंदिर में भगवान को नहलाने तक के लिए पानी नहीं है।
महिलाएं भरी दोपहरी में गांव से दूर पानी लेने जाती हैं। इन महिलाओं की ये रोज की कहानी है।
बलवंता गांव : एक टंकी के भरोसे 5 हजार की आबादी
टीम सबसे पहले अजमेर के बलवंता गांव पहुंची। 5 हजार की आबादी है। बताया जाता है कि गांव एक हजार साल पुराना है। अभी जटिया गांव के सोहन सिंह रावत सरपंच है।
गांव के सरकारी टंकी पर महिलाओं की लाइन लगी हुई थी। महिलाएं अपनी बारी के लिए झगड़ रही थीं।
टीम ने उनसे समस्या के बारे में पूछा तो अपनी पीड़ा बताई।
20 साल से यहां के ग्रामीण बीसलपुर के पानी के लिए तरस रहे हैं। 5 साल पहले गांव में बीसलपुर बांध से पानी के लिए पाइप लाइन डाली गई। अफसोस, आज दिन तक यहां पानी नहीं पहुंचा।
गांव में पहुंचे तो ग्रामीण अजयराज पोसवाल से मुलाकात हुई। पीने के पानी के लिए जब पूछा तो बताया कि गांव के पास हाईवे निकल रहा है, जो करीब 3 किलोमीटर दूर है।
वहां बीसलपुर बांध से आने वाली एक पाइप लाइन में रिसाव है। वहीं से गांव की महिलाएं कई बार पानी लाती हैं।
गांव में एक टंकी है और यहां का पानी खारा है। इसी एक टंकी पर गांव की पूरी आबादी जी रही है। गांव में सरकारी बोरवेल तो है, लेकिन कम प्रेशर होने की वजह से पानी भी नहीं मिलता।
कई बार मजबूरन ग्रामीणों को 400 से 500 रुपए देने पड़ते हैं। गांव में लगे हुए हैंडपंप भी खराब पड़े हैं।
इसकी शिकायत भी JEN से की थी, लेकिन शिकायत के बावजूद आज तक कोई समाधान नहीं हुआ।
अजमेर के बलवंता गांव में पानी के लिए कई बार इस तरह की लाइन लग जाती है। पानी का प्रेशर भी इतना कम रहता है कि महिलाओं को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है।
जब महिलाओं से पूछा तो दर्द छलका, बोलीं- रिश्ते टूट गए, बेटे कुंवारे हैं
इसी बीच गांव की कुछ महिलाएं मिलीं। जब महिलाओं से पानी के बारे में पूछा गया तो उनका दर्द सामने आया।
किसी ने बताया कि पानी के लिए रात-रातभर टंकी पर बैठना पड़ता है तो एक महिला कहने लगी पानी की वजह से हमारे बेटे कुंवारे रह गए। हालात ये है कि दूसरे गांव के लोग इस गांव में शादी तक नहीं करते।
एक महिला ने अपने ही गांव के एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा- 5 युवकों के रिश्ते टूट चुके हैं और उनकी पत्नियां छोड़कर चली गई।
कारण केवल इतना था कि पानी के लिए हाईवे तक जाना पड़ता था। इन हालातों से परेशान हुई तो पतियों को छोड़कर चली गईं।
सपना और नंदू ने बताया कि पानी की वजह से गांव के रिश्ते टूट रहे हैं। यहां रिश्ते के लिए पहली शर्त ही पानी है।
पानी से परेशान ग्रामीणों की पीड़ा को पढ़िए, एक-एक बूंद के लिए कितना संघर्ष
नंदू ने बताया 20 साल से गांव में पानी नहीं है। अब वोट तभी देंगे जब गांव में पानी आएगा। रात-रात भर पानी के लिए टंकी पर बैठना पड़ता है। कई बार तो टंकी में भी पानी नहीं आता।
सपना गुर्जर कहती हैं- दूसरे गांव की लड़कियां कहती हैं कि यहां पानी की कमी है। यहां हम शादी नहीं करेंगे।
रिश्ते के लिए बात करते हैं तो साफ कह देते हैं जब गांव में पानी आएगा, तब ही बेटी की शादी करेंगे।
सिर्फ एक टंकी है, जिस पर सारा दिन महिलाओं की लाइन लगी रहती है।
पुजारी जगदीश प्रसाद ने बताया- बलवंता गांव के हालात काफी बुरे हैं। गांव के मंदिर में वह पूजा करते हैं। इस गांव के हालात यह है कि भगवान को नहाने के लिए तक के लिए एक बाल्टी पानी तक नहीं है। सनातन धर्म में पुराने पानी से नहीं नहलाया जाता है। प्रशासन को बोलने के बावजूद उनके कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।
पानी के लिए लोकसभा चुनाव का किया था बहिष्कार
गांव के ही अजयराज पोसवाल ने बताया कि गांव के अंदर से होकर बीसलपुर की लाइन गुजर रही है। यहां हमेशा केवल आश्वासन दिया गया कि जल्दी पानी की समस्या का समाधान होगा।
लोकसभा चुनाव के मतदान का बहिष्कार किया था। सरकारी कर्मचारियों के अलावा किसी ने वोट नहीं डाले। प्रशासन ने बहिष्कार नहीं किए जाने पर एक दिन में पानी की व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया था।
अभी तक प्रशासन का कोई अधिकारी मौके पर जाकर पूछ तक नहीं रहा है कि पानी की समस्या का समाधान हुआ या नहीं।
आग उगलती गर्मी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। वह इस समस्या को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है।
गांव की महिलाएं पानी की वजह से काफी परेशान हैं। एक-एक घड़ा लेकर 3 किलोमीटर तक दूर जाना पड़ता है।
पानी के लिए ऐसी ही कहानी आखरी गांव की
बलवंता के बाद टीम जिले के ही गेगल क्षेत्र के आखरी गांव पहुंची। यहां की आबादी 2500 है। बताया जाता है कि 300 साल पहले इस गांव को स्थापित किया गया था।
10 साल से यहां के लोग बीसलपुर बांध के पानी का इंतजार कर रहे हैं। 2013-14 में पाइप लाइन डाली गई थी। इसके बाद आज दिन तक घरों तक पानी नहीं पहुंचा।
सरपंच प्रतिनिधि नजमुद्दीन ने बताया कि गांव में बीसलपुर की लाइन बुबानी से दाता गांव होते हुए आखरी गांव तक आती है। बीच में ही अवैध कनेक्शन होने की वजह से गांव तक पानी नहीं पहुंच पाता।
ये बीसलपुर बांध के पाइप लाइन का लीकेज है। गांव के लोगों को कई बार गांव से बाहर इस लीकेज पर पानी लेने आना पड़ता है। इसी वजह से गांव में भी पानी सप्लाई नहीं हो रहा।
3 किलोमीटर पैदल चलकर लाना पड़ता है पानी
गांव पहुंचे तो यहां के लोगों की पीड़ा सामने आई। ग्रामीणों ने बताया कि गांव से तीन किलोमीटर दूर दाता या गेगल जाकर पीने का पानी भरकर लाना पड़ता है। कई बार तो ये हालात हो जाते हैं कि दिन में दो से तीन बार टैंकर मंगवाने पड़ते हैं।
पानी रिश्ते जोड़ नहीं तोड़ रहा है
सरपंच प्रतिनिधि ने बताया कि इस गांव को भी जलदाय विभाग ने नाम के साथ ही आखिरी साबितकर दिया है। पानी की समस्या के कारण इस गांव के युवकों की सगाई टूट रही है।
गांव में रिश्ता करने वाले जब देखते हैं कि पानी भरने के लिए तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है तो वे बेटी का रिश्ता करने से मना कर देते हैं।
आखरी गांव के ग्रामीणों ने बताई अपनी पीड़ा…
संजू ने बताया- पानी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। इस समस्या के कारण गांव में सगाई और शादी तक नहीं हो रही है। महिलाओं को दूर-दूर तक जाकर पानी लाना पड़ता है। कभी तो हालात ये भी हो जाते हैं कि वहां भी पानी नहीं मिलता।
चंद्रकांता ने बताया- इस गांव में बहुत ज्यादा समस्या है। हमारे गांव में कोई भी रिश्ता नहीं करना चाहता है। सगाई टूट रही है, क्योंकि नई लड़कियां पानी के लिए दूर-दूर जाकर पानी नहीं ला सकती हैं। हमारे लड़के कुंवारे कब तक रहेंगे। लोग रिश्ता करने आते हैं पानी का पता चलते ही चले जाते हैं।
पानी के लिए कई बार आपस में बहस भी हो जाती है। कारण रहता है बारी का इंतजार करते-करते कई बार पानी चला जाता है।
हैंडपंप सूख गया, ट्यूबवेल में पानी नहीं निकला
दैनिक भास्कर की टीम जब आखरी गांव पहुंची और पानी की समस्या को लेकर बात छेड़ी तो महिलाएं इकट्ठी हो गईं। महिलाओं का दर्द सामने आया। उन्होंने बताया हैंडपंप भी सूख गया है। गांव में जिला परिषद द्वारा ट्यूबवेल खुदवाया गया था, लेकिन उसमें पानी नहीं निकला। जगदीश गुर्जर के अनुसार गांव में 5-6 हैंडपंप हैं। सब खराब पड़े हैं। बाइक पर ड्रम बांध कर बूबानी, गेगल से पानी लाते हैं।