निगम की बढ़ेगी सीमा: 58 महीने बाद फिर निगम की तस्वीर बदलने की तैयारी, अगले साल होने वाले चुनावों में 150 वार्ड और 1 निगम होगा – Jaipur Headlines Today News

58 महीने बाद जयपुर नगर निगम के वार्डों की तस्वीर फिर बदलने वाली है। अगले साल होने वाला निकाय चुनाव दो की जगह एक ही नगर निगम के लिए हो सकता है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा से संकेत मिलते ही स्वायत्त शासन विभाग व स्थानीय निकाय निदेशालय ने वार्डों के

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संभावना है कि पिछली सरकार द्वारा दो नगर निगम करने से पहले 91 वार्डों का परिसीमन कर 150 वार्डों का जो खाका तैयार किया था, भाजपा सरकार उसे ही लागू करेगी। खास बात यह है कि नए परिसीमन में नगर निगम का दायरा बढ़ाया जा सकता है। यानी प्रस्तावित रिंग रोड के अंदर नगर निगम काम करेगा और बाहर जेडीए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अब तक जेडीए, निगम व हाउसिंग बोर्ड की कोई सीमा तय नहीं है।

बता दें कि पिछली सरकार ने 91 वार्डों को तोड़कर 250 वार्ड किए थे। 100 वार्ड का हेरिटेज और 150 वार्ड का ग्रेटर निगम बनाया था। हेरिटेज में कांग्रेस और ग्रेटर में भाजपा की मेयर है। दोनों निगमों में महिलाओं के लिए 33% वार्ड आरक्षित हैं। उस समय मालवीय नगर से भाजपा विधायक कालीचरण सराफ व सांगानेर से पूर्व विधायक अशोक लाहोटी ने परिसीमन पर एतराज जताया था।

अब तक 6 बार हो चुका है वार्डों का परिसीमन

जयपुर में अब तक 6 बार वार्डों का परिसीमन हो चुका है। 1995 में निगम का पहला बोर्ड बना था, तब 60 वार्ड थे। उसके बाद 64 वार्ड, फिर 70 वार्ड हो गए। बाद में 7 वार्ड बढ़ाकर 77 कर दिए गए। इसके बाद 91 वार्ड। 2019 में 91 वार्डों का परिसीमन करते हुए 250 वार्ड बनाकर शहर को दो नगर निगमों में बांट दिया।

2030 में 50 लाख होगी शहर की जनसंख्या, इसलिए बढ़ सकती है निगम सीमा

जनगणना 2001 के अनुसार जयपुर की आबादी 26 लाख थी, तब 70 वार्ड थे। पिछला ​परिसीमन 2011 की जनगणना को आधार मानकर किया गया था। तब 40 लाख आबादी मानी गई, जो 45 लाख पार हो चुकी है। निगम का अगला बोर्ड वर्ष 2030 तक काम करेगा, तब तक आबादी 50 लाख पार हो जाएगी, इसीलिए निगम की सीमा बढ़ना जरूरी है।

एक्सपर्ट व्यू : शहर का जनसंख्या के हिसाब से पुनर्गठन और सीमांकन जरूरी

राजस्थान नगर पालिका अधिनियम-3 के तहत राज्य सरकार को नगर पालिकाओं का परिसीमन करने का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत नई नगर पालिका का गठन, विभाजन एवं पुनर्गठन किया जा सकता है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019 में 2011 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का परिसीमन किया था। उस समय बड़े वार्डों और अनमेड एरिया को ध्यान में रखकर प्लानिंग की थी। अब जनसंख्या और बढ़ चुकी है, ऐसे में पुनर्गठन के साथ निगम का पुन:सीमांकन भी किया जाना जरूरी है।
-अशोक सिंह, पूर्व डायरेक्टर लॉ, डीएलबी

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