डूब क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही से परिंदे खतरे में – Pali (Marwar) Headlines Today News

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जवाई बांध डूब क्षेत्र खाली होने के बाद हर साल सैकडों परिंदे देश-विदेश से यहां आते है। इसमें प्रमुखतः जमीन पर घोंसला बनाने वाले परिंदे स्मॉल प्रेटिनकॉल, केंटिश प्लावर, यलोवेंन्टेड लेपविंग, रेड वेन्टेड लेपविंग, इंडियन करसर, रिंग प्लोवर आदि फरवरी-मार्च से जून-जुलाई तक यहां प्रजनन कर अपने अण्डे देते हैं और डूब क्षेत्र में बरसात के बहकर आने वाले पानी से पहले अपने चूजे साथ लेकर दोबारा अपने देश लौटते हैं।
स्मॉल प्रेटिनकॉल या स्वॉलो प्लोवर सैंकड़ों मील का सफर तय कर बंगाल, नेपाल, बांग्लादेश व श्रीलंका से जवाईबांध में आते रहे हैं। इन्हें विज्ञान में ग्लारीओला लेक्टियां टेमिन्क के नाम से जाना जाता है। ये समूह में आते हैं और कॉलोनी बनाकर रहते हैं, लेकिन जवाई बांध में डूब क्षेत्र के खाली होने के बाद कमांड क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही बढ़ने और वाहनों के माध्यम से बड़ी संख्या में यहां पहुंचने वाले देशी सैलानियों के कारण डूब क्षेत्र में मानवीय दखल बढ़ रहा है।
इससे परिन्दों और जलीय जीवों के स्वच्छंद विचरण में परेशानियां पैदा हो रही है। डूब क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही बढ़ने के कारण जमीन पर बने परिन्दों व जलीय जीवों के घोंसलों पर वाहनों के भारी पहिये गुजरने से अंडों से बाहर निकलने के लिए आतुर पक्षी भ्रूणों को असमय ही मौत का शिकार होना पड़ता है।
वाहन के इंजन का शोर भांप जान बचाने के लिए बड़े परिंदे उड़ भी जाए तो जमीन पर दिए उनके अंडे कुचले जाते हैं। साल में सिर्फ एक बार प्रजनन के लिए आने वाले परिंदों का जीवन मानवीय करतूतों के कारण खतरे में पड़ रहा है। उन्हें असमय ही जान से हाथ धोना पड़ रहा है।