जैसलमेर में गले मिल कर मनाई गई ईद: ईदगाहों और मस्जिदों में हुई नमाज; देश में अमन चैन की मांगी दुआ – Jaisalmer Headlines Today News

जैसलमेर। एक दूसरे को गले लगकर ईद की बधाई देते बच्चे।

मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-अजहा सोमवार को जैसलमेर में मनाया गया। जैसलमेर जिले की सभी ईदगाहों और मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की गई। इस दौरान भारी संख्या में मुस्लिम भाई इकट्ठा हुए। पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा और ट्रेफिक व्यवस्था को बनाए

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जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नवाबुद्दीन भाटी ने सभी को ईद की मुबारकबाद देते हुए देश में अमन चैन कायम रहे इसकी दुआ की। उन्होंने बताया कि इस पवित्र त्योहार पर सभी भाई अपनी प्यारी चीज अल्लाह के नाम पर कुर्बान करते हैं। उन्होंने कहा- ये त्योहार समाज में भाईचारे और सद्भाव को मजबूत करने का त्योहार है।

ईदगाह के बाहर पुलिस के पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त।

ईदगाह के बाहर पुलिस के पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त।

ईदगाह में हुई नमाज

शहर स्थित गीता आश्रम और बेरा रोड ईदगाह में सोमवार को नमाज अदा की गई। शहर की मस्जिदों में भी नमाज अदा की गई। गीता आश्रम स्थित बड़ी ईदगाह में शहर काजी मौलाना बेग मोहम्मद कादरी ने ईद की नमाज पढ़ाई। शहर काजी ने बताया कि जून का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए कुर्बानी का महीना माना जाता है। इसे बकरीद भी कहते हैं। इस्लामिक कैलंडर के मुताबिक, बकरीद यानी ईद-उल-अजहा, जिलहिज्जा के 12वें यानी आखिरी महीने का चांद दिखने के 10वें दिन मनाई जाती है।

बकरीद का महत्व

ईद-उल-अजहा का त्योहार पैगम्बर इब्राहिम की अल्लाह पर विश्वास की याद में मनाया जाता है। इस दिन अल्लाह ने इब्राहिम को अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का आदेश दिया था। इब्राहिम ने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और अपने ही बेटे की कुर्बानी देने के लिए आगे बढ़ा। ये देखकर अल्लाह बहुत खुश हुए। उन्होंने इब्राहिम को अपने जान से भी प्यारे बेटे की कुर्बानी से रोकते हुए उन्हें एक भेड़ की कुर्बानी देने का आदेश दिया। जिसके बाद से अपनी सबसे खास चीज की कुर्बानी देने का रिवाज बन गया। माना जाता है कि इससे अल्लाह के प्रति और भी एतबार कायम होता है।

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