जैन संत मदन मुनि की निकाली डोल यात्रा: नम आंखों से दी विदाई, अज्ञात गाड़ी की टक्कर से हुई थी मौत – Chittorgarh Headlines Today News

शनिवार शाम को जैन संत मदन मुनि का सड़क हादसे में मौत हो गई। उस समय वो शंभूपुरा से सतखंडा पैदल विहार कर रहे थे। वहीं, रविवार को सुधर्म भवन से उनकी डोल यात्रा निकाली गई। इसमें जैन समाज के कई महिला पुरुष शामिल हुए थे। जिसके बाद सेंथी स्थित शमशान घाट में
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मेवाड़ और मालवा से पहुंचे लोग
शंभूपुरा से सतखंडा की ओर सड़क किनारे पैदल यात्रा कर रहे जैन संत मदन मुनि (78) को पीछे से किसी अज्ञात गाड़ी ने टक्कर मार दी। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। उस दौरान उनके साथ संत संदीप मुनि भी थे। हॉस्पिटल में पहुंचने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। आज रविवार को सुबह सुधर्म भवन से महाप्रयाण यात्रा निकाली गई। इस दौरान मेवाड़ और मालवा से कई लोग शामिल हुए। यह यात्रा सेंथी स्थित शमशान घाट पर जाकर खत्म हुई। वहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। इसके बाद वहीं पर एक श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया। इस आयोजन में तहसीलदार महिपाल कलाल ने जिला कलेक्टर आलोक रंजन की ओर से उनका संदेश वाचन किया। तहसीलदार महिपाल कलाल ने कहा कि मदन मुनि श्री हमेशा जन सेवा और लोक सेवा करते आए हैं। हमें भी वही सेवा भाव को देखते हुए इस बारिश में उनके नाम से एक-एक पौधा रोपण करना चाहिए। जो प्रकृति के लिए अच्छा होगा और उनके नाम से सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके बाद जैन समाज के सुधीर जैन ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दक का भी संदेश वाचन किया।
सांसारिक पुत्र ने ली थी पहले दीक्षा
मुनिश्री सिंगोली के मूल निवासी थे। अपनी सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट लेने के बाद उन्होंने दीक्षा ली थी। संदीप मुनि जी उनके सांसारिक पुत्र भी है। जो आखिरी समय में भी उनके साथ पदयात्रा कर रहे थे। संदीप मुनिश्री का पद अपने पिता से बढ़ा था। उन्होंने अपने पिता से पहले दीक्षा ली थी। इसलिए मदन मुनि उन्हें गुरु समान मानते थे।