गाना ऐसा लिखा कि टाटा-अंबानी ने केस कर दिया: लिरिक्स राइटर ए.एम. तोराज बोले- मैं तैयार नहीं था..प्रकाश झा बोले- आप ही लिखोगे Headlines Today Headlines Today News
मुंबई21 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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हीरामंडी, पद्मावत और बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए म्यूजिक देने वाले लिरिक्स राइटर ए.एम. तोराज ने एक बार ऐसा गाना लिख दिया, जिस पर बवाल हो गया था। उन्होंने प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह के लिए एक गाना लिखा, जिसकी वजह से देश की बड़ी टॉप बिजनेस फैमिलीज ने उनके ऊपर केस कर दिया। ए.एम. तोराज यह गाना लिखने को तैयार नहीं थे, लेकिन प्रकाश झा के मनाने पर वो तैयार हो गए थे। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कुछ दिलचस्प बातें बताई हैं।
मुजफ्फरनगर से निकलकर देश के मशहूर गीतकार बने
ए.एम. तोराज से इंटरव्यू लेते हुए सबसे पहले हमें उनके नाम के बारे में जानने की दिलचस्पी हुई। उन्होंने बताया, ‘आस मोहम्मद मेरा मूल नाम है। तोराज का मतलब होता है अपनी पहचान छोड़ देने वाला। ऐसे पूरा नाम होता है- आस मोहम्मद तोराज। चूंकि यह नाम बहुत बड़ा है। क्रेडिट रोल में ज्यादा जगह लेगा, यही सोचकर मैंने इसका शॉर्ट फॉर्म ए.एम. तोराज कर दिया।’
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले ए.एम. तोराज 19 साल की उम्र में ही मुंबई आ गए थे। घर वाले जमींदार थे। उनका कहना था कि पढ़ लिख कर खेती ही करो। तोराज दुनिया से इतर कुछ अलग करना चाहते थे। अपने एरिया का क्राइम देख कर काफी परेशान भी होते थे।
बचपन से पढ़ने-लिखने और शेरो-शायरी का शौक था। पिता के साथ मुशायरे में जाते थे। पिता भी उर्दू के बहुत अच्छे जानकार हैं। हालांकि वे नहीं चाहते थे कि बेटा आगे चलकर इसे अपना प्रोफेशन बना ले। तोराज के घर पर टीवी देखना क्राइम माना जाता था। वे चुपके से दूसरों के घर में जाकर टीवी देखा करते थे। जब पिता को यह बात पता चलती तो वे डांट भी लगाते थे।
हालांकि समय के साथ उन्हें समझ आ गया कि बेटे को ज्यादा दिन रोकना सही नहीं होगा। उन्होंने तब कहा कि तुम्हें जो करना है करो, हम तुम्हारा सपोर्ट करेंगे। पिता की सहमति के साथ तोराज मुंबई आ गए। एक डेढ़ साल तक उन्हें पिता की तरफ से खर्चे भी मिलते रहे।
ए.एम. तोराज ने लगभग 50 फिल्मों के लिए गाने लिखे हैं।
बिना सोचे समझे मुंबई आ गए, एक-डेढ़ साल आरामतलबी में कट गए
ए.एम. तोराज ने कहा, ‘मुंबई में मेरा कोई अपना नहीं था। यह भी पता नहीं था कि रहूंगा कहां। मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उतरा। एक टैक्सी वाले ने मुझे मोहम्मद अली रोड के पास जाकर छोड़ दिया। एक-डेढ़ साल वहीं रहा। घर से पैसे आ रहे थे, इसलिए मैं थोड़ा कामचोर हो गया। रात भर जगता था, दिन भर सोता था। आरामतलबी होने लगी थी, लेकिन इस दौरान लिखना नहीं छोड़ा। रोज कुछ न कुछ लिखता था, क्योंकि अंत में बनना तो राइटर ही था।
हालांकि एक दिन लगा कि ये मैं क्या कर रहा हूं। मैंने सोचा कि ऐसे काम नहीं होगा। घर से निकलना पड़ेगा, मेहनत करनी पड़ेगी। सबसे पहले मैंने घर से पैसे मंगाने बंद किए। फिर कुछ दोस्तों की मदद से फिल्मों की शूटिंग में जाने लगा। वहां क्राउड में खड़े होने जैसे छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। इससे थोड़ी बहुत कमाई हो जाती थी, जिससे खर्चा भी निकल जाता था।’
तोराज ने आगे कहा, ‘एक्टिंग में आने के बाद संबंध बनने शुरू हुए। लोगों को पता चल गया कि मेरा रुझान एक्टिंग से ज्यादा राइटिंग में है। मेरी काबिलियत देख मुझे सबसे पहले ईटीवी के सीरियल्स में डायलॉग लिखने की जिम्मेदारी दी गई।
इसके बाद आगे के रास्ते खुलते गए। मेरी मुलाकात इस्माइल दरबार के कजिन इकबाल दरबार (म्यूजिक डायरेक्टर) से हुई। उनके जरिेए मुझे लिरिक्स राइटिंग का काम मिल गया। मैं उनके साथ एसोसिएट हो गया। उन्हें पहली फिल्म मिली, कुड़ियों का है जमाना। इस फिल्म के गाने मैंने लिखे हैं तो यह मेरी भी पहली फिल्म बन गई।’
एक बार ऐसा गाना लिख दिया कि केस हो गया
फिल्म चक्रव्यूह के एक गाने की वजह से ए.एम. तोराज के ऊपर केस हो गया था। इस गाने की वजह से देश की टॉप बिजनेस फैमिलीज ने इनके ऊपर केस कर दिया। इस पर बात करते हुए तोराज ने कहा, ‘मुझे प्रकाश झा साहब ने बुलाया और सिचुएशन समझाई। मैं शेरो-शायरी करने वाला, नजाकत वाले गाने लिखने वाला इंसान था। मैंने प्रकाश जी से कहा कि मुझसे यह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आप ही कर सकते हो।
फिर मैंने गाना लिखा जो कुछ बिजनेस घरानों को पसंद नहीं आया। उन लोगों ने हमारे ऊपर केस कर दिया। यह केस दो-ढाई साल चलता रहा। यह समय मेरे लिए सही नहीं था। मेरे वालिद साहब भी मुझसे नाराज हो गए थे।’
फिल्म चक्रव्यूह 2012 में रिलीज हुई थी। फिल्म का डायरेक्शन प्रकाश झा ने किया था।
सऊदी में जाकर समझा खलीबली का मतलब, फिर इस पर गाना लिखा
पद्मावत के एक गाने खलीबली के बारे में भी तोराज ने रोचक बातें बताईं। उन्होंने कहा, ‘मैं अक्सर मुशायरे के लिए सऊदी जाता रहता हूं। वहां एक शब्द यूज किया जाता है-खलीबली। वहां के लोगो को जब किसी बात में इंटरेस्ट नहीं होता है, तो इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
वहीं से इंस्पायर होकर मैंने इस शब्द से एक गाना लिख दिया। फिल्म में इस गाने का मतलब था कि एक राजा जिसे अपने सल्तनत से कोई मतलब नहीं रह गया है, वो बस किसी के प्यार में पड़ा हुआ है। उसके आस-पास क्या हो रहा है, इससे उसको कोई वास्ता नहीं रह गया है।’
बता दें, यह गाना फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी का रोल करने वाले रणवीर सिंह पर फिल्माया गया था।