क्‍या सच में दीवारों के भी कान होते हैं? कैसे पहुंच जाती दूसरे कमरे में आवाज, वैज्ञान‍िकों ने बताई वजह

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दीवारों के भी कान होते हैं! ये कहावत आपने भी सुनी होगी. इसका अर्थ है क‍ि बंद कमरे में अगर आप बातचीत करते हैं, तो दीवारों के पार और जो लोग हैं, इसे सुन सकते हैं. यानी जिन लोगों को आप देख भी नहीं पा रहे हैं, उन तक आपकी आवाज पहुंच जाती है. इससे लगता है क‍ि दीवारों के माध्‍यम से वे आपकी बातें सुन रहे हों. भले ही दीवारें कि‍तनी ही मोटी क्‍यों न हों, उनके साउंडप्रूफ होने की कोई गारंटी नहीं है. अब जान‍िए ये बात आई कहां से?

कहते हैं क‍ि ये कहावत लखनऊ के प्रसिद्ध आसिफी इमामबाड़े से शुरू हुई, ज‍िसे भूलभुलैया या बड़ा इमामबाड़ा के नाम से भी जानते हैं. इसकी घुमावदार बनावट, एक जैसे रास्ते, यहां की कलाकारी, नक्काशी और कई सुरंगें इसे खास बनाती हैं. इन दीवारों की खासियत है कि अगर आप किसी कोने में दीवार के पास फुसफुसा कर भी कुछ बोलते हैं तो उसे इन दीवारों पर कान लगाकर किसी भी कोने में सुना जा सकता है.

गुप्तचरों से बचने के ल‍िए बनवाया
इसका हॉल 165 फीट है, लेकिन इसके एक कोने में भी अगर आप धीरे से बोलें, तो दूसरे कोने में सुनाई देता है. इसकी वजह हॉल में बनी काली-सफेद खोखली लाइनें बताई जाती हैं, तो आवाज को एक कोने से दूसरे कोने लेकर जाती हैं. कहते हैं क‍ि नवाब आसफउद्दौला ने अपनी फौज में छिपे गुप्तचरों से बचने और दुश्मन को पकड़ने के लिए ये तरीका अपनाया था. लेकिन इसके पीछे वैज्ञान‍िक आधार भी हैं.

इस बारे में क्‍या कहते हैं साइंटिस्‍ट
इनसाइड साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान और दक्षिण कोरिया के वैज्ञान‍िकों ने इस पर एक रिसर्च की. उन्‍होंने कहा क‍ि अगर आपको दीवारों को साउंडप्रूफ बनाना है. यानी आप चाहते हैं क‍ि कोई आपकी आवाज न सुन ले, तो आपको साउंडप्रूफ बोर्ड या शीट लगाना होगा. वैज्ञानिकों ने प्रयोग करके पाया कि यदि दीवार में बिल्कुल संकरा छेद कर दें और उसके एक तरफ प्लास्टिक का मेम्ब्रेन लगा दें तो वहां कान लगाने से आवाज बिल्कुल स्पष्ट सुनाई पड़ती है. इतना ही नहीं, यह 75%- 100% वॉल्‍यूम तक हो सकती है. इन संकरे छेद को आप दीवारों के कान भी कह सकते हैं. खास बात, अगर इस छेद में कोई मेंब्रेन नहीं लगा है, यानी एक तरफ से अगर यह खुला हुआ है, तो आवाज आपको सुनाई नहीं देगी.

Tags: Ajab Gajab, Khabre jara hatke, Weird news

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