कैदी बाहर से मंगवा रहे बीड़ी-सिगरेट-गुटखा-तंबाकू व भांग की गोलियां: जेल में 5जी के जमाने में 2जी के जैमर, बंदी चला रहे मोबाइल, अंदर बैठे हत्या तक करवा दी – Udaipur Headlines Today News
शहर में उदियापोल स्थित केंद्रीय कारागृह में कैद होने के बावजूद यहां के बंदी आसानी से अपने बाहरी नेटवर्क के संपर्क में रहते हैं। पिछले साल से अब तक कैदियों के पास 12 मोबाइल मिल चुके हैं, जबकि जेल के बाहर से पार्सल फेंकने के चार मामले भी सामने आ चुके ह
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पिछले साल 6 फरवरी को बजरंग दल के विभाग संयोजक राजेंद्र परमार उर्फ राजू तेली की रामपुरा चौराहे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने जांच के बाद बताया कि इस हत्या को जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर दिलीप नाथ ने कराया था। वह जेल से ही अपने साथियों को मोबाइल पर हत्या का पूरा प्लान बताता था। जेल में मोबाइल के इस्तेमाल के पीछे जेलकर्मियों की मिलीभगत के अलावा तकनीक में पिछड़ना भी एक बड़ा कारण है।
दरअसल, अब जहां 5जी का दौर चल रहा है, वहीं जेल में आज भी 2जी नेटवर्क को रोकने वाले 8 जैमर लगे हैं। अब 4जी-5जी के जमाने में ये नकारा साबित हा़े रहे हैं। बड़ी बात तो यह भी है कि यह सभी 8 जैमर भी पिछले तीन साल से बंद पड़े हैं। इसी का फायदा उठाकर कैदी आसानी से जेल में मोबाइल चलाकर अपना नेटवर्क चला रहे हैं।
जेल से ही हत्या कराने वाले बंदी के बैरक से मिले थे 5 मोबाइल
पिछले साल 6 फरवरी को बजरंग दल के विभाग संयोजक राजेंद्र परमार की हत्या जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर दिलीप नाथ की ओर से कराए जाने की सूचना के बाद जांच कराई गई। तब दिलीप नाथ की बैरक के बाहर पाइप से 5 मोबाइल बरामद हुए। इसके बाद उसे अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में भेज दिया गया। वहां बंद होने के बावजूद उसने हाल ही उदयपुर में एक व्यापारी से फिरौती मांगी थी।
जेल में सेंध के ये तीन बड़े कारण, इन्हीं से कैदियों की मौज
- 12- मोबाइल मिल चुके जेल में पिछले एक साल में
- 04- बार में मोबाइल-नशे के 12 पैकेट अंदर फेंके गए
मिलीभगत : प्रहरी खुद अंत: वस्त्रों में मोबाइल ले जाते पकड़ा जा चुका, बंदियों के परिजन भी ऐसा ही कर रहे 2 जनवरी को सेंट्रल जेल प्रहरी सुरेश कुमार अंडरवियर में तंबाकू का पैकेट ले जा रहा था। मेन गेट पर तलाशी में पकड़ा गया। सस्पेंड किया गया। ऐसे ही 5 मार्च को एक बंदी की पत्नी अंत:वस्त्र में तंबाकू और चरस छिपाकर ले जाते हुए पकड़ी गई थी। 9 जून को जेल की मुख्य दीवार के बाहर से 3 पार्सल अंदर फेंके गए। इनमें 2 मोबाइल, बैट्री, डेटा केबल, सिगरेट, लाइटर आदि थे। इसी दिन हाई सिक्योरिटी वार्ड में कैदी के पास मिले पार्सल में बीड़ियों-गुटखे के पैकेट, भांग की गोली आदि मिले।
उसने जेल के बाहर से फिंकवा कर ये अंदर मंगवाया था। 6 मई को बंदी के पास की-पेड मोबाइल मिला। इसे टॉयलेट सीट के अंदर से बरामद किया। 26 मार्च को जेल में पार्सल फेंका गया। इसमें बीड़ी-तंबाकू के पैकेट थे और बंदी ने माली कॉलोनी निवासी युवक से अंदर फिंकवाया था। 25 मार्च को 5 पार्सल अंदर फेंक गए। इनमें सिगरेट-गुटखा-बीड़ी के पैकेट, लाइटर थे।
जैमर बने जंजाल – बदलने के लिए गृह विभाग को कई पत्र लिख चुके
जेल में वर्ष 2014-15 में आठ 2जी जैमर लगाए गए थे, लेकिन समय के साथ इन्हें अपग्रेड नहीं किया गया। जेल अधीक्षक राजपाल सिंह से इस संबंध में बात की गई तो वे बोले- जैमर बदलने के लिए गृह विभाग को पत्र लिखे जा चुके हैं। यह कब बदले जाएंगे, इसकी जानकारी नहीं है। बाहर से फेंके जाने वाले पार्सलों पर उन्होंने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
प्लानिंग फेल – नई जेल के लिए 16 साल पहले दी जमीन, 1 ईंट नहीं लगी
उदयपुर कारागृह की क्षमता 950 कैदियों की है, लेकिन यहां 1300 से ज्यादा को बंद रखा गया है। संभाग के अन्य जिलों से भी हार्डकोर कैदियों को यहां ट्रांसफर किया जाता है। इसके पीछे उन जिलों की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कम होना है। जिले में नई जेल बनाने को लिए गृह विभाग ने प्लान तैयार किया।
इसके तहत 2008 में यूआईटी ने शहर से 12 किमी दूर लकड़वास में 21.6 हैक्टेयर यानी करीब 86 बीघा जमीन दी थी। यहां करीब 100 करोड़ की लागत से जेल बननी है। नई जेल में 2400 बंदियों को रखा जा सकेगा। लेकिन 16 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नई जेल तैयार होने के बाद वर्तमान जेल की शहर के बीच स्थित जमीन यूआईटी को सरेंडर की जानी है।
पिछले साल से अब तक 13 बार निरीक्षण, डीजीपी भी दौरा कर चुके
जेल में कैदियों के पास पहुंच रहे मोबाइल व मादक पदार्थ की रोकथाम के पुलिस और जेल प्रशासन ने साल 2023 से अब तक करीब 18 माह में 13 बार औचक निरीक्षण किया है। पिछले साल 10 मार्च को पुलिस महानिदेशक जेल भूपेन्द्र कुमार दक ने जेल का दौरा किया था। पिछले साल 17 से 29 मई के दौरान 6 बार बैरिकों की जांच की गई। इस दौरान 9 मोबाइल मिले थे।
तब से लेकर अब तक औचक निरीक्षण के दौरान कैदियों के पास मोबाइल नहीं मिले। हालांकि कैदियों के पास पहुंचे पार्सल में मोबाइल मिले हैं। पिछले 24 जनवरी को प्रदेश के गृह सचिव आनंद कुमार ने बुधवार को उदयपुर सेंट्रल जेल का निरीक्षण किया। इस दौरान कैदियों के पास मोबाइल फोन और प्रतिबंधित चीजें किसी भी हाल में नहीं पहुंचने देने के निर्देश दिए थे।
निरीक्षण पर पहुंची पुलिस (फाइल फोटो)।