कबीरदास जयंती 22 जून को: संत कबीर से सीखें, धन कमाने के साथ ही भक्ति कैसे कर सकते हैं?
15 मिनट पहले
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शनिवार, 22 जून को संत कबीर की जयंती है। कबीरदास जी के जीवन के कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतार लेने से हम सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। यहां जानिए संत कबीर से जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जिसमें उन्होंने काम के साथ भक्ति करने का तरीका बताया है…
संत कबीरदास कपड़े बुनने के साथ ही भगवान की भक्ति भी करते थे। वे कपड़े बुनने का काम और भक्ति दोनों साथ-साथ ही करते थे। एक दिन उनके पास एक व्यक्ति आया और कबीरदास जी कहा कि मैं जानता हूं कि आप एक भक्त हैं, लेकिन मैं कई दिनों से देख रहा हूं कि आप दिनभर कपड़ा ही बुनते रहते हैं तो भक्ति कब करते हैं?’
कबीरदास जी ने उस व्यक्ति की बात का उत्तर नहीं दिया और कहा कि चलो आगे चौराहे तक थोड़ा घूम आते हैं।
वह युवक कबीर जी के साथ चल दिया। रास्ते में उन्हें एक महिला दिखाई दी, जो कि पनघट से पानी भरकर लौट रही थी। उसके सिर पर पानी से भरा घड़ा रखा था। वह अपनी मस्ती में गीत गाते हुए चल रही थी। उसने घड़े को पकड़ा नहीं था, लेकिन घड़ा सिर पर स्थिर था, घड़े का पानी भी छलक नहीं रहा था।
कबीरदास जी ने उस व्यक्ति से कहा कि इस महिला को देख रहे हो? ये अपने घर के लिए पानी लेकर मस्ती में गीत गाते हुए जा रही है। इसका ध्यान अपने घड़े पर भी है, अपने गाने पर भी और रास्ते पर भी है। बस मैं भी अपना जीवन इसी तरह जीता हूं। मेरा मन ईश्वर की भक्ति में भी लगा है और मैं दुनियादारी के काम भी करता रहता हूं।
संत कबीर की सीख
संत कबीर ने इस किस्से में हमें बताया है कि हमें भी धन कमाने के साथ ही भक्ति भी करते रहना चाहिए। भक्ति कभी भी की जा सकती है। हम अपना काम करते हुए भी भगवान का ध्यान कर सकते हैं। भक्ति से अशांति दूर होती है और कर्म करने की शक्ति मिलती है।