इटली से आता है ‘जेठालाल’ के कॉस्ट्यूम्स का फैब्रिक: टीवी शोज में सिर्फ कपड़ों पर खर्च होते हैं करोड़ों; सेट पर होते हैं हजारों कपड़े Headlines Today Headlines Today News

मुंबई9 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन और अभिनव त्रिपाठी

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इस हफ्ते के रील टु रियल में हमने टीवी सीरियल्स में कॉस्ट्यूम सिलेक्शन, चैलेंजेस, बजट और डिजाइनर के रोल के बारे में बात की। - Dainik Bhaskar

इस हफ्ते के रील टु रियल में हमने टीवी सीरियल्स में कॉस्ट्यूम सिलेक्शन, चैलेंजेस, बजट और डिजाइनर के रोल के बारे में बात की।

हम अक्सर इंडियन टेलीविजन सीरियल्स की भव्यता की बात करते हैं। महंगे सेट, फेमस स्टारकास्ट, एंगेजिंग स्क्रिप्ट और भारी-भरकम कॉस्ट्यूम्स। शो का ज्यादातर बजट कॉस्ट्यूम्स पर खर्च किया जाता है।

शो में एक्टर्स कपड़े क्या पहनेंगे, इसका फैसला शो के डायरेक्टर, क्रिएटिव डायरेक्टर और चैनल से जुड़े लोग करते हैं। वे इसके लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनर हायर करते हैं। कॉस्ट्यूम डिजाइनर ऑन बोर्ड होते हैं, फिर उन्हें शो के कैरेक्टर्स के बारे में एक ब्रीफ दिया जाता है। उसी ब्रीफ के हिसाब से कॉस्ट्यूम डिजाइनर हर कैरेक्टर के लिए कपड़े तैयार करते हैं।

इस हफ्ते के रील टु रियल में हमने टीवी सीरियल्स में कॉस्ट्यूम सिलेक्शन, चैलेंजेस, बजट और डिजाइनर के रोल के बारे में बात की। इसके लिए हम सीरियल ‘कृष्णा मोहिनी’ के सेट सहित कई लोकेशंस पर पहुंचे। वहां मौजूद कॉस्ट्यूम डिजाइनर पार्थो घोषाल ने हमें कुछ दिलचस्प बातें बताईं। पार्थो ने कहा कि अमूमन एक टीवी शो में कॉस्ट्यूम्स पर हर महीने 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं। चूंकि शोज लंबे चलते हैं, इसलिए इनका बजट करोड़ों में चला जाता है।

इसके अलावा टीवी के फेमस कैरेक्टर जेठालाल (दिलीप जोशी) के कपड़े डिजाइन करने वाले कॉस्ट्यूम डिजाइनर जीतू लखानी से भी बात की। उन्होंने बताया कि स्क्रीन पर साधारण से दिखने वाले जेठालाल के कपड़ों का रॉ मटेरियल इटली से मंगाया जाता है। लोग ऑर्डर देकर भी जेठालाल जैसे कपड़े बनवाते हैं।

जेठालाल बन दिलीप जोशी पिछले डेढ़ दशक से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं।

जेठालाल बन दिलीप जोशी पिछले डेढ़ दशक से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं।

16 साल में कभी रिपीट नहीं हुए ‘जेठालाल’ के कपड़े
हम मुंबई के बोरिवली में डिजाइनर जीतू लखानी के स्टोर पहुंचे। यहां तारक मेहता का उल्टा चश्मा के मशहूर कैरेक्टर जेठालाल के कपड़े डिजाइन होते हैं। जीतू लखानी तकरीबन 16 साल से जेठालाल यानी दिलीप जोशी के लिए कपड़े बना रहे हैं। इन 16 सालों में जेठालाल के एक भी कपड़े रिपीट नहीं हुए हैं। देखने में वो कपड़े साधारण लगते हैं, लेकिन इसका फैब्रिक इटली से मंगाया जाता है।

जीतू लखानी के छोटे भाई रोहित लखानी ने कहा कि उनके पास देश-विदेश से लोग कॉल करके जेठालाल जैसा कपड़ा बनाने का ऑर्डर देते हैं।

कॉस्ट्यूम पर खर्च किए जाते हैं लाखों रुपए
पार्थो ने बताया कि प्रोडक्शन टीम हर महीने कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट पर 10 लाख से ज्यादा खर्च करती है। इसमें लहंगों पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए जाते हैं। तकरीबन एक लहंगा बनाने में 40 से 50 हजार रुपए का खर्च आता है। वहीं लीड हीरो के सूट पर 15 हजार रुपए तक खर्च किए जा सकते हैं। नॉर्मल शर्ट-पैंट या लेडीज सलवार-सूट पर 10 हजार रुपए तक खर्च किए जाते हैं।

सेट पर हजारों कपड़े रखे होते हैं
पार्थो घोषाल ने बताया कि कॉस्ट्यूम डिजाइनर को कपड़े बनाने के लिए बहुत कम वक्त मिलता है। कभी-कभी तो सिर्फ एक दिन में कपड़े तैयार करने के लिए बोल दिया जाता है। पार्थो हमें एक कमरे में ले गए। वहां तकरीबन 3 हजार कपड़े रखे हुए थे। उन्होंने बताया कि ये सारे कपड़े एक्टर्स के पहनने के लिए रखे गए हैं। कपड़ों के अलावा जूते और ज्वेलरी भी रखी हुई थीं। शूटिंग के समय यहीं से कपड़े और जूते निकालकर आर्टिस्ट तक पहुंचाए जाते हैं।

कपड़ों के मेंटेनेंस पर दिया जाता है पूरा ध्यान
कपड़ों को मेंटेन करने के लिए भी खास ध्यान दिया जाता है। महीने में एक दो बार इन्हें निकालकर लॉन्ड्री के लिए भेजा जाता है। कुछ कपड़े ऐसे होते हैं, जिन्हें बार-बार धोया नहीं जा सकता, इसलिए इन्हें स्टीम दिया जाता है, ताकि ये नए और फ्रेश लगें।

कुछ ड्रेसेस सिर्फ देखने में भड़कीले होते हैं, अंदर से सॉफ्ट होते हैं
आप अक्सर देखते होंगे कि टीवी सीरियल्स में आर्टिस्ट काफी भारी भरकम ड्रेसेस पहने दिखाई देते हैं। खास तौर पर महिला कलाकारों को इन गेटअप्स में देखा जाता है। हालांकि ये देखने में जितने भारी भरकम होते हैं, असलियत में उतने नहीं होते। इन्हें बनाने के लिए बहुत हल्के और आरामदायक कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।

हमने पार्थो से पूछा कि वे हैवी कपड़े पहनने के लिए एक्टर्स को कैसे मनाते हैं? जवाब में उन्होंने कहा, ’हर फंक्शन में शादी का सीन जरूर फिल्माया जाता है। इसमें खास तौर से फीमेल कलाकार लहंगे में दिखाई देती हैं। ये लहंगे हैवी होते हैं। इस कंडीशन में हम लहंगे या साड़ी के लिए हल्के फैब्रिक का यूज करते हैं, जिससे पहनने में दिक्कत नहीं होती।’

कॉस्ट्यूम डिजाइनर पार्थो (बाएं) कपड़ों को हर एंगल से चेक करते हैं, फिर उसे सेट पर भेजते हैं।

कॉस्ट्यूम डिजाइनर पार्थो (बाएं) कपड़ों को हर एंगल से चेक करते हैं, फिर उसे सेट पर भेजते हैं।

कभी-कभी लास्ट मोमेंट पर कपड़े ढीले या टाइट निकल जाते हैं
कभी-कभी ऐसा होता है कि शूटिंग के दौरान कपड़े ढीले या टाइट हो जाते हैं, ऐसे में उन्हें तुरंत दर्जी की मदद से ऑल्टर किया जाता है। ‘कृष्णा मोहिनी’ टीवी सीरियल की एक्ट्रेस देबात्मा ने कहा, ‘कभी-कभार हमें जो कपड़े दिए जाते हैं, वो समझ में नहीं आते। लास्ट मोमेंट पर उन्हें बदलना पड़ता है।’

अगर कपड़ा एक्टर की नाप के मुताबिक नहीं है तो उसे सेट पर मौजूद दर्जी से तुरंत फिट कराया जाता है।

अगर कपड़ा एक्टर की नाप के मुताबिक नहीं है तो उसे सेट पर मौजूद दर्जी से तुरंत फिट कराया जाता है।

शो के डायरेक्टर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर को हर कैरेक्टर के बारे में ब्रीफ देते हैं
टीवी शो के किरदारों के लिए कपड़े तैयार करने का पहला प्रोसेस क्या होता है? पार्थो ने कहा, ‘पहले हमें शो के डायरेक्टर की तरफ से सारे कैरेक्टर्स के बारे में एक ब्रीफ दिया जाता है। फिर हम राइटर के साथ स्क्रिप्ट लेकर बैठते हैं। अब मान लीजिए शो में कोई ऐसा कैरेक्टर है, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है या कह सकते हैं कि शो में उसे गरीब दिखाया गया है।

ऐसे में उसकी ड्रेस डिजाइन करते वक्त दो-तीन चीज ध्यान देनी पड़ती है। पहला कि उस ड्रेस को ऐसे बनाएं कि वो देखने में नया न लगे। उसमें ज्यादा साइन न हो। बुनाई ऐसी हो कि देखते ही लग जाए कि कपड़ा बहुत साल पुराना है।’

धार्मिक और पौराणिक टीवी शोज के लिए कॉस्ट्यूम बनाना सबसे चैलेजिंग
पार्थो ने कहा कि पौराणिक शोज के लिए एक्टर्स के कपड़े तैयार करना सबसे चैलेंजिंग होता है। बहुत डिटेलिंग करनी पड़ती है। चूंकि मामला धर्म से रिलेटेड होता है, ऐसे में कैरेक्टर पर पहले काफी रिसर्च किया जाता है। स्टडी भी की जाती है।

अगर विष्णु भगवान के ऊपर कोई शो बन रहा है तो हमें पहले उनके लुक के बारे में रिसर्च करनी पड़ती है। कौन सी ड्रेस उनके कैरेक्टर के ऊपर सूट करेगी, इस पर शो के डायरेक्टर के साथ लंबा डिस्कशन होता है।

जिस शो की थीम मिडिल क्लास वाली होती है, उसमें कैरेक्टर्स को रिपीट कपड़ों में दिखाया जाता है
क्या टीवी शो में कैरेक्टर्स कपड़े रिपीट करते हैं? पार्थो ने कहा, ‘जिस शो में कहानी मिडिल क्लास फैमिली की दिखाई जाती है, वहां कपड़े रिपीट किए जाते हैं। ऐसा इसलिए ताकि दर्शकों को वो शो रिलेटेबल लगे। वहीं जिस शो में थोड़ी रॉयल्टी दिखाई जाती है, वहां कपड़े रिपीट होने के चांसेज बहुत कम होते हैं।

कभी-कभार 50 एपिसोड के बाद छोटे-मोटे कैरेक्टर्स को हम दोबारा पुराने कपड़ों में दिखा देते हैं। एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर मैं अपने शोज में ड्रेसेस को रिपीट करने से बचता हूं। ऐसा इसलिए ताकि मैं अपनी क्रिएटिविटी ज्यादा से ज्यादा दिखा सकूं।’

पार्थो की टीम मेंबर एक ड्रेस पर काम करती हुई।

पार्थो की टीम मेंबर एक ड्रेस पर काम करती हुई।

अगर एक सीन की शूटिंग कई दिन होती है, फिर कपड़े रिपीट करना मजबूरी बन जाती है
क्या कभी प्रोडक्शन टीम कपड़े रिपीट करने का निर्देश देती है? पार्थो का कहना है कि प्रोडक्शन हाउस की तरफ से कभी ये हिदायत नहीं दी जाती कि कपड़े को बार-बार रिपीट किया जाए। ऐसा तभी होता है जब कोई सीन 3-4 दिन लगातार टेलिकास्ट किया जाए।

जैसे कि किसी सीन में यह दिखाया जाता है कि कोई शख्स गांव से शहर जा रहा है और उसे इस जर्नी में कई दिन लग जा रहे हैं, इस कंडीशन में एक्टर को एक ही कपड़े में दिखाना पड़ता है। इस स्थिति में हम एक ही तरह के 2-3 कपड़े बैकअप में रखते हैं, ताकि किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो।

एक्टर्स कभी-कभार जानबूझकर डिजाइनर को परेशान करते हैं
कभी-कभी ऐसा होता है कि कपड़े वगैरह सब सही होते हैं, लेकिन एक्टर्स जानबूझकर प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं। वे कपड़े पहनने को लेकर काफी नाटक भी करते हैं। पार्थो ने कहा, ‘मेरे साथ ऐसा दो बार हुआ है। एक टॉप की एक्ट्रेस हैं, उनका मैं नाम नहीं लूंगा। उन्होंने मुझे हर बार परेशान करने की कोशिश की है। ड्रेसेस सही कंडीशन में रहते थे, फिर भी परेशान करने के लिए झूठा इल्जाम लगाती थीं कि कपड़े सही नहीं हैं। इस वजह से शूटिंग में देरी भी हो जाती थी।

कभी ऐसा हुआ है कि काम के बाद प्रोडक्शन हाउस ने पैसा नहीं दिया है? पार्थो ने कहा, ‘हां एक घटना हुई है। ZEE चैनल का एक शो था। शो की प्रोडक्शन टीम ने काम खत्म हो जाने के बाद एक्टर्स समेत हमारी टीम को पेमेंट नहीं दिया। तब मैंने हमारी एसोसिएशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिससे बहुत मदद मिली। इसके बाद अभी तक मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।’

पहले टीवी इंडस्ट्री में एक्टर्स खुद से कपड़े और लुक पर काम करते थे
हमने मशहूर टीवी एक्ट्रेस सुधा चंद्रन से कॉस्ट्यूम और स्टाइलिंग को लेकर सवाल किया। जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैंने जब पहला टीवी शो किया था, उस वक्त हमें स्टाइलिस्ट वगैरह नहीं मिलते थे। हम खुद से ही अपना मेकअप किया करते थे। कपड़ों की भी व्यवस्था इधर-उधर से करनी पड़ती थी।’

कुछ प्रोड्यूसर्स कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में काफी दिलचस्पी लेते हैं। इसमें से एक हैं जेडी मजीठिया। वागले की दुनिया जैसा फेमस टीवी शो बना चुके जेडी मजीठिया ने कहा कि वो दूसरों प्रोड्यूसर्स के इतर कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में भी प्रॉपर इंटरेस्ट दिखाते हैं।

ग्राफिक्स- विपुल शर्मा

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